अजीब हालात: चुनाव मैदान से खुद हटीं यशोधरा राजे सिंधिया, तो नेतृत्व पर दबाव बनाने में जुटे समर्थक…

यशोधरा को शिवपुरी से टिकट देने की मांग को लेकर प्रदेश भाजपा कार्यालय पर समर्थकों का प्रदर्शन
  • गुडबाय बोल कर गईं राजे को मनाने की बजाए संगठन से मांग कर रहे समर्थक
  • यशोधरा को टिकट की मांग को लेकर समर्थकों का भोपाल कूच चर्चा मेंं

शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र के लोगों को यशोधरा राजे सिंधिया द्वारा गुड बाय बोले जाने के बाद उनके कुछ समर्थकों द्वारा प्रदेश नेतृत्व से यशोधरा राजे सिंधिया को शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़ाए जाने और उनकी इस बार 50 हजार की जीत का विश्वास दिलाए जाने जैसा अभियान चलाया जाना उनकी भावनाओं का परिचायक है मगर यह अभियान उस स्थिति में अपने आप में कई विरोधाभासों को जन्म दे रहा है जबकि खुद यशोधरा राजे सिंधिया चुनाव न लडऩे का मंच से ऐलान करने के साथ शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र को अलविदा कह गई हैं।शिवपुरी से उनके कुछ समर्थकों का एक जत्था 7 अक्टूबर को भोपाल प्रदेश कार्यालय रवाना हुआ, जिसमें नगर मण्डल पदाधिकारियों के साथ नपाध्यक्ष, कुछ पार्षद भी शामिल रहे।

राजनीति के जानकारों की राय है कि इन समर्थकों का इस तरह से प्रदेश संगठन मंत्री हितानंद शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा सहित प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के समक्ष यह मांग उठाया और प्रदेश कार्यालय पर जा कर प्रदर्शन तर्क संगत इसलिए प्रतीत नहीं हो रहा क्योंकि खुद यशोधरा राजे सिंधिया चुनाव न लड़ने की बात कह चुकी हैं। यदि यह मांग करनी ही थी तो प्रदेश नेतृत्व की बजाय अपनी नेता यशोधरा राजे सिंधिया के समक्ष करना थीं ताकि वे शिवपुरी विधानसभा से इस तरह से न जाने का मन बनातीं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जिस तरह से यशोधरा राजे सिंधिया समर्थकों द्वारा उन्हें शिवपुरी से चुनाव लड़ाए जाने और नेतृत्व को 50 की जीत का आश्वासन दिलाये जाने की रूपरेखा प्रचारित की जा रही है उसके दृष्टिगत राजनीतिक विश्लेषकों यह आशंका जताई जा रही है कि प्रदेश स्तर से जो टिकट आवंटन किया जा रहा है उस सूची में कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को स्थान न दिए जाने के चलते तो कहीं ऐसी स्थिति निर्मित नहीं हो रही जिसके मद्दे नजर समर्थकों को अब प्रदेश नेतृत्व पर दबाव बनाए जाने के लिए यह सब करना पड़ रहा है।

कम से कम इस तरह के शक्ति प्रदर्शन से तो यही संदेश जा रहा है, अन्यथा नेतृत्व के सम्मुख मांग रखने और शक्ति प्रदर्शन जैसी परिस्थितियों निर्मित ही क्यों होती। समर्थकों की इस कवायद के ठीक उलट सार्वजनिक मंच से स्वास्थ्य समस्या कारण गिनाते हुए श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने अपने चुनाव न लड़ने के निश्चय को जिस तरह से अटल बताया और तीन दिन पहले खुद ही मैदान से हटने और नए लोगों को चांस देने का जो ऐलान कर शिवपुरी को गुड बाय… यानी अलविदा बोला वह अपने आप में यह दर्शाता है कि अब वे खुद आधे अधूरे मन से चुनाव लडऩे जैसा कदम शायद ही उठाएं। रही बात यशोधरा राजेश सिंधिया के समर्थन में नेतृत्व के समक्ष प्रदर्शन की तो ऐसा लगता है कि यह कदम उठाने में बहुत अब पर्याप्त विलंब हो चुका है। हालांकि राजनीति में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। जो होता है वह दिखाई नहीं देता और जो दिखाई नहीं देता वह अक्सर हो जाया करता है ऐसे में कुछ भी असम्भव नही।

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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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