- बूढ़े पुरानों से लेकर नौजवानों में भी जागी इच्छा
यशोधरा राजे सिंधिया की चुनावी राजनीति से मनाही के बाद शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से नया चेहरा कौन बीजेपी की ओर से उम्मीदवारी में सामने आता है। इसे लेकर हर तरफ हलचल दिखाई दे रही है। दरअसल यशोधरा राजे सिंधिया की गैर मौजूदगी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को शिवपुरी क्षेत्र से चुनाव लड़ाए जाने संबंधी जो अटकलें शुरुआती दौर में लगाई जा रही थीं उनका रुख अब ग्वालियर पूर्व की ओर हो चुका है।सिंधिया शिवपुरी से चुनाव लड़ रहे होते तो गत शुक्रवार को माधव राष्ट्रीय उद्यान के लिए दी गई बाउंड्री वॉल की सौगात का शिलान्यास वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ना कर रहे होते, बल्कि इस अवसर को खुद शिवपुरी पहुंचकर भुनाते, मगर उनका वर्चुअल रूप से शिवपुरी से जुड़ना इस बात का परिचायक है कि वह शिवपुरी में इंटरेस्टेड नहीं हैं, अथवा फि र यूं कह सकते हैं कि पार्टी उन्हें ग्वालियर पूर्व की कांग्रेस शासित चुनौती पूर्ण विधानसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतार सकती है।
यशोधरा राजे सिंधिया ने शिवपुरी विधानसभा सीट को गुड बाय बोलने के साथ ही यह भी स्पष्ट तौर पर बोल दिया था कि मेरा कोई उत्तराधिकारी नहीं। वे अपने पीछे कोई राजनैतिक विकल्प छोड़कर नहीं गई है, ऐसे में कौन उनकी पसंद और कौन उनकी नापसंद होगा इस पर कयास लगाना बेकार है। लेकिन यह भी तय है कि ऐसा तो है नहीं कि पार्टी वाक ओवर दे देगी, प्रत्याशी तो उतरेगी और दम से उतारेगी, लेकिन वह प्रत्याशी कौन होगा इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
वर्तमान के जो हालात हैं उसके दृष्टिगत देखें तो 1993 में शिवपुरी से विधायक रह चुके भाजपा नेता देवेंद्र जैन पत्ते वाले कोलारस से टिकट का पत्ता कटने की स्थिति में शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से चुनावी संभावनाएं टटोलने आ पहुंचे हैं, वहीं राजनीति तौर पर सक्रिय राजनीति से लगभग किनारा कर घर बैठे पूर्व विधायक माखनलाल राठौर भी पूरे जोश के साथ एकाएक दावेदारी जताते दिखाई देने लगे हैं। जबकि इस समय जो नए चेहरे विधायक के टिकट की दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं उनमें भाजपा के प्रदेश कार्यालय मंत्री एवं बाल आयोग के पूर्व अध्यक्ष राघवेंद्र शर्मा का नाम जहां चर्चा में है, वहीे जिला अध्यक्ष राजू बाथम, नरेंद्र सिंह तोमर खेमे के रामजी व्यास धैर्यवर्धन शर्मा, मनोज मंगल जोली, होटल पीएस के संचालक सिंधिया समर्थक पवन जैन का नाम शामिल है। इनमें पवन जैन चंद रोज पूर्व ही अपना बायोडेटा प्रदेश स्तर पर पहुंचा चुके हैं।
इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि जिस तरह से कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी के असंतुष्टों को स्थान देकर उन्हें टिकट से उपकृत करने की स्थिति में है, वहीं भाजपा भी कांग्रेस के किसी कद्दावर असंतुष्ट को यहां टिकट थमा देती है तो अचंभा नहीं होना चाहिए। हालांकि इसकी संभावना कम है लेकिन फिर भी टिकट घोषणा तक कुछ भी कह पाना जल्दबाजी होगा।