- सहरिया क्रांति जिंदावाद,पुलिस अधीक्षक जिंदाबाद, से गूँजा एसपी ऑफिस
- सहरिया क्रांति व पुलिस की संयुक्त मुहिम से मुक्त हुये 1 सैंकड़ा से अधिक मजदूर
पैर में बंधी जंजीर दे रही है अमानुषिक यातना की गवाही, सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन के साथ ढोल पर नाचकर मनाई खुशियां।
कर्नाटक से मुक्त होकर आए आदिवासी एसपी के गले लग गए,
महाराज …यदि कोई बीमार हो जाता था और मजदूरी पर नहीं जा पाता था तो मिल मालिक और उसके गुर्गे पैरों में जंजीर बांधकर डाल देते थे, खाना की तो बात ही मत करो मुश्किल से एक टाइम थोड़ा बहुत चावल खाने को देते थे, हमने बहुत संकट झेले हैं। यह कहते हुये कर्नाटक से मिल मालिक के चंगुल से छूटकर आए सहरिया मजदूर मुकेश आदिवासी पुलिस अधीक्षक के सामने फू ट फू टकर रोने लगा ।
आज सहरिया क्रांति और पुलिस के संयुक्त प्रयास से कर्नाटक में एक मिल मालिक व उसके गुर्गों द्वारा बंधुआ मजदूरी कराने बंधक बना लिए गए मजदूर शिवपुरी लौटकर आए। सभी ने रेल से उतरते ही सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन के निवास पर रवानगी डाली। यहाँ पूर्व से ही इंतजार कर रहे उनके परिजनों को देखते ही आंसुओं के साथ मिलाप किया। सभी परिजन गले लगकर फूट- फूटकर रोने लगे छोटे छोटे बच्चे अभी भी सहमे हुये थे, वहीं सभी मजदूरों की आँखें नाम थीं । इसके बाद सभी बंधनमुक्त आदिवासी पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे जहां पुलिस जिंदाबाद के नारों व सहरिया क्रांति जिंदाबाद के नारों से आकाश गूंज उठा । पुलिस अधीक्षक ने भी आदिवासियों को गले लगाकर हौसला अफजाई की । उन्होने अराजक तत्वों पर सख्त कार्यवाही की बात प्रेस से कही है।
ढोल नगाड़ों पर जमकर नाचे कर्नाटक से वापस आए मजदूर
आज सहरिया क्रांति कार्यालय पर कर्नाटक से आ रहे मजदूरों के आगमन से पहले ही परिजन पहुँच गए वे प्रियजनों का ढोल नगाड़ों से स्वागत करने बैठे हुये थे । मजदूरों का जत्था जैसे ही संजय बेचैन के निवास पर पहुंचा सभी खुशी से झूम उठे, जमकर ढोल की थाप पर नाचे, लगभग 1 घंटे तक जमकर सबहई गम भुलाकर झूमते रहे आदिवासी। महिलाओं ने कहा आज मनी है हमारी संक्रांति जब हमारे सभी अपने वापस आ गए ।
ऐसे फंसे थे जाल में
ये सभी मजदूर सरकार के कागजों मे तो मजदूरी पा रहे थे मगर असल हकीकत में इनके पास खाने तक को पैसे नहीं बचे थे, तभी बाराँ गाँव जो सुभाषपुरा थाने में आता है वहाँ का निवासी अनिल जाटव आया और खिरई घुटारी के मजदूरों से बोला यहाँ क्या मक्खी मार रहे हो चलो मेरे साथ तुम्हें रोज के 600 रुपए मजदूरी के और खाना खर्चा फ्री दिलवाऊंगा। अनिल की बातों में सभी आदिवासी आ गए ,इसी तरह उसने गुमराह कर बैराड़ थाना के तिघरा, बालापुर, सारंगपुर, जारपुर से भी आदिवासियों को बरगला लिया। उनसे बोला इंदौर तक चलना है मगर उसने इंदौर की बजाय सभी को कर्नाटक ले जाकर पटक दिया । यहीं से आदिवासियों को यातनाएं मिलना शुरू हुआ। एक मिल मालिक जिसका नाम आदिवासी नहीं जानते उसने इन्हे जबरन मारपीटकर अपने यहाँ काम कराया।
बीमार से कराते थे काम, पैसा मांगने पर बांध देते थे बेड़ियाँ
जाफरपुर का कैलाश कहता है कि अमानुषिक अत्याचार का दौर ऐसा चला हम दलित व आदिवासियों पर की जो सुनेगा उसकी रूह काँप उठेगी। सुबह 6 बजे सभी को उठा दिया जाता था और रात 10 बजे तक खेतों में गन्ना कटवाया जाता था। इस बीच कोई मजदूर यदि बीमार भी हो जाता तो उसे जानवरों की सांकल से बांध दिया जाता था वहीं मजदूरी के पैसे मांगने पर बेल्ट और गैस की लेजम से पीटा जाता था । मारपीट मे महिलाओं को भी नहीं वख्सते थे ये जालिम ।
संजय बेचैन से बात कराई पर कनपटी पर रिवाल्वर लगाकर
चराई रेंहट का गोविंद आदिवासी बताता है कि जब शिवपुरी पुलिस कर्नाटक पहुँच गई है, ये जानकारी मिल मालिक को लगी तो उसने कहा बताओ तुम्हारी बात किससे कराई जाये इस पर सभी आदिवासियों ने कहा कि हमारी बात सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन से करवा दीजिये । ये सुनते ही उसने कहा बात करो मगर बोलना हम सब बहुत खुश हैं । आदिवासी बोले की हम ये क्यों बोलें कि खुश हैं हम उन्हे सही बात बताएँगे । इस बात पर उसने अपनी रिवाल्वर निकालकर कनपटी पर लगा दी और उनसे वही बुलवाया जो वह बोलना चाहता था । सभी ने मजबूरी मे बताया कि हम खुश हैं यहाँ पर मगर उनकी बार बार खाँसने की आवाज पर सहरिया क्रांति संयोजक सब हकीकत समझ गए ।उन्होने पुलिस को इससे अवगत कराया ,जिसके बाद पुलिस दल इनके पास पहुंचा।
पुलिस ने फैलाया कर्नाटक में अपना नेटवर्क तब मिले मजदूर
पुलिस अधीक्षक रघुवंश सिंह भदोरिया ने जानकारी लगते ही मजदूरों की सकुशल वापसी के प्रयास शुरू कर दिये थे जहां उन्होने कर्नाटक के संबन्धित जिला के एसपी को सारा मामला समझाया, वहीं पुलिस का एक दल यहाँ से रवाना किया दल के साथ सहरिया क्रांति सदस्य सीता आदिवासी भी गया । वहाँ पुलिस ने पहले सभी मजदूरों को मुक्त कराया बाद मे सभी को सकुशल कर्नाटक एक्स्प्रेस से ग्वालियर भिजवाया से सभी आज शिवपुरी आए। पुलिस 1 सप्ताह की मशक्कत के बाद मजदूरों को वापस ला सकी है।
पैर में लोहे की जंजीर बंधी थी मजदूर के
जिस समय मजदूर पुलिस अधीक्षक को अपनी आपबीती सुना रहे थे तभी एसपी श्री भदौरिया की नजर एक मजदूर पर पड़ी जो कर्नाटक से आया था उसके पैर मे लोहे की जंजीर पड़ी थी । एसपी ने पूछा ये क्या है मजदूर मुकेश आदिवासी ने रोते हुये बताया कि ये हमें हिसाब- किताब की बोलने पर इसी से बांधकर रखते थे । पुलिस अधीक्षक ने कहा कि मैं तत्काल पुलिस प्राथमिकी दर्ज करवाऊँगा आप थाने जाकर अपने बयान दीजिये। उपरोक्त कार्यवाही में पुलिस अधीक्षक रघुवंश सिंह भदोरिया , निरीक्षक जितेन्द्र सिंह मावई, उनि राघवेन्द्र सिंह यादव, सउनि रामसिंह भिलाला, प्र. आर. 475 नरेश दुबे, प्र. आर. 776 नीतू सिंह, आर. 291 राहुल परिहार, आर. 88 पुष्पेन्द्र रावत (सउनि अजय पाल, प्र. आर. 315 विकास चौहान, आर. आलोक व्यास सायवर सेल शिवपुरी) की विशेष भूमिका रही।
ये मजदूर आए मुक्त होकर
जो मजदूर कर्नाटक से वापस आए हैं उनमे चाइना आदिवासी , कैलास , रसना आदिवासी , रामदास जातव , रूबी जातव , बसंत आदिवासी , सुहागी आदिवासी ,किरण आदिवासी, कोमल आदिवासी, क्र्श्ना आदिवासी , सीता आदिवासी ,रुकमा आदिवासी, दीपु आदिवासी , रेश्मा आदिवासी , निशा आदिवासी , गोविंद आदिवासी , विजय आदिवासी , रंडुलारी आदिवासी , काजल आदिवासी , अशोक आदिवासी , जंडेल आदिवासी , राजदीप आदिवासी, ल्ख्मा आदिवासी, बच्चिन आदिवासी , रामवीर आदिवासी , रेहाना आदिवासी, नीरज आदिवासी , सलीना आदिवासी , विक्रम आदिवासी , मुकेश आदिवासी , रेवती आदिवासी , शिशुपाल आदिवासी , भारती आदिवासी ,शिव सिंह आदिवासी , दिलीप आदिवासी , विश्राम आदिवासी , रवि पडोरा, बंटी आदिवासी ,राधा आदिवासी, रोशन आदिवासी, हसीना आदिवासी, केपी आदिवासी, सतीश आदिवासी, पापुआ आदिवासी , भूरा आदिवासी , चम्पा आदिवासी, अनिल आदिवासी, ऊधम आदिवासी, पवन आदिवासी, कमल आदिवासी आदि शामिल हैं ।