पिछड़ों की सियासत के साथ साधा सत्ता पर निशाना
भाजपा में चुनावों से ठीक पहले शुरु हुआ बिखराव जहां थमने का नाम नहीं ले रहा वहीं पार्टी के नेता भाजपा की दुश्वारियां बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अपने बागी तेवरों को लेकर सुर्खियों में रहती हैं। उन्होने हाल ही में महिला आरक्षण अधिनियम को लेकर अपनी ही सरकार के मसौदे का विरोध करना जहां शुरु कर दिया है, वहीं भाजपा के ट्रम्प कार्ड माने जा रहे सनातन को लेकर भी वह मुखर हो गई हैं। उन्होंने नेताओं को नसीहत देते हुए यहां तक कह डाला कि सनातन की चर्चा राजनीति के मंच से न करें यह साधु संतों का विषय है।
सनातन धर्म पर उपजे विवाद में उमा भारती ने कहा कि धर्म के मुद्दे पर राजनेताओं को दूर रहना चाहिए। धर्म केवल साधु-संतों का विषय है। गत दिवस चिंतामणि गणेश मंदिर सीहोर के दर्शन करने पहुंची उमा भारती ने कहा कि मैं नेताओं से आग्रह करती हूं कि सनातन की चर्चा राजनैतिक मंचों पर ना करें।
उमा भारती ने प्रदेश में महिलाओं को दिए जा रहे नकद रुपए पर मुखर होते हुए कहा कि महिलाओं को 2000 रुपए देने से क्या होगा बेहतर होगा कि सरकार इनके लिए रोटी,कपड़ा और मकान की व्यवस्था करें। इस समय उमा भारती ने महिला आरक्षण बिल पर नाराजी जताते हुए कहा कि इस बिल में पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए जगह नहीं हैं।
इसको लेकर उन्होंने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा उस पत्र की प्रतिक्रिया आने से पहले ही उमा भारती ने इस बारे में चर्चा करने के लिए 23 सितम्बर को एक बैठक भी बुला डाली है। यहां बता दें कि शिवपुरी जिले में पिछोर, शिवपुरी और कोलारस में लोधी वोटर्स के बीच उमा भारती की लोकप्रियता जबर्दस्त रही है।
ऐसे में यदि उमा भारती पार्टी के सम्मुख यदि नाराजगी की मुद्रा में हैं तो भाजपा को कई सीटों पर इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
उमा भारती अब पूरी तरह पिछड़ों की वकालत करते हुए सामने आ गई हैं। उन्होंने महिला आरक्षण बिल में पिछड़ों की हिस्सेदारी को लेकर शनिवार को भोपाल में बैठक बुलाई है। उमा भारती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा राज्यसभा में भी महिला आरक्षण बिल पूर्ण बहुमत से पारित हो गया। अब पिछड़े वर्गों को स्थान देने के लिए एक और संशोधन का मार्ग निकालना है, इसलिए भोपाल शहर के एवं उसके आसपास के पिछड़े वर्ग के प्रमुख नेताओं के साथ विचार विमर्श हुआ। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह बैठक पिछड़े वर्ग के नेताओं की होगी या उसमें सिर्फ भाजपा के पिछड़ा वर्ग के नेता ही हिस्सा लेंगे।