पिछोर थाने में आदिवासी से छुलवाए दबंगों के पैर

थानेदार आदिवासी से बोला - चल बे सबके पैर छूकर माफी माँग

पिछोर थाना बना यातना केंद्र, आदिवासी और कमजोर वर्ग के लोगों पर अत्याचार के बढ़ रहे मामले

शिवपुरी। जिले के पिछोर थाने में आदिवासी और कमजोर वर्ग के लोगों के साथ अत्याचार के मामले सामने आ रहे हैं। हाल ही में ग्राम बंडा निवासी निरपत आदिवासी, पुत्र गंसा आदिवासी ने पुलिस द्वारा की गई अभद्रता और मारपीट की शिकायत सहरिया क्रांति कार्यकर्ताओं के साथ आकर पीढ़ित आदिवासी ने जिले के प्रभारी मंत्री प्र्धुम्म्न सिंह तोमर को दर्ज कराई है। शिकायत पुलिस अधीक्षक को भी की गई है। उनका आरोप है कि उनकी जमीन को हड़पने के प्रयास के चलते दबंगों से पैसे लेकर पुलिस ने उन्हें बर्बरता से पीटा और अपमानित किया और साथ ही थाने के अंदर सभी दबंगों के पैर छुलवाए गए। सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन ने इस अत्याचार की घटना की घोर निंदा करते हुये कार्रवाई की माँग की है।
निरपत आदिवासी के अनुसार, उनके पास पहाड़ी क्षेत्र में खाता नंबर की जमीन पर लगभग 70 वर्षों से कब्जा है। इस जमीन को लेकर उनके पड़ोसी, जगदीश लोधी पुत्र भाव सिंह, रामकिशोर और कोमल, उन पर दबाव बना रहे थे। जब निरपत ने अपनी जमीन छोड़ने से इनकार कर दिया, तो ये लोग पुलिस के पास पहुंचे और अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उनके खिलाफ अवैध तौर पर कार्रवाई करवाई।
दिनांक 13 सितंबर 2024 को, जगदीश और अन्य व्यक्तियों के प्रभाव में आकर, पिछोर थाने से बंजारा दरोगा और एक अन्य पुलिसकर्मी निरपत आदिवासी के घर पहुंचे और बिना किसी कारण उन्हें पकड़कर थाने ले गए। जब निरपत ने इसका विरोध किया, तो उन्हें अपशब्द कहे गए और मारपीट की गई। थाने में उन्हें भूखा रखा गया और फिर चक्की के पट्टे से बुरी तरह पीटा गया। पुलिस ने उन्हें 40 दंड बैठकें लगाने के लिए मजबूर किया और हर बैठक के साथ पट्टा मारा गया।


बर्बरता का सिलसिला जारी

अगले दिन जब जगदीश, मोहन और उनकी माँ थाने में आए, तो पुलिस ने उनके कहने पर निरपत के साथ और भी बर्बरता की। पुलिस ने उन पर दबाव बनाकर उन्हें अपनी जमीन छोड़ने को मजबूर करने की कोशिश की। यहां तक कि निरपत से सभी के पैर छुलवाए गए, जिससे उनका आत्मसम्मान बुरी तरह से आहत हुआ। इस घटना के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।


न्याय की गुहार

निरपत आदिवासी ने पुलिस अधीक्षक से मामले की गंभीर जांच की मांग की है। उनका कहना है कि दोषी पुलिसकर्मियों और संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि उन्हें न्याय मिल सके। उन्होंने यह भी अपील की है कि पिछोर क्षेत्र में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों को रोका जाए और उनके अधिकारों की रक्षा की जाए।
सहरिया क्रांति के औतार आदिवासी , शिशुपाल आदिवासी, सुरेन्द्र आदिवासी का कहना है कि पिछोर थाना में आदिवासियों के साथ हो रहे इन अत्याचारों ने एक बार फिर से पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिवपुरी जिले में प्रशासन को इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

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Rahil Sharma
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