हाईकोर्ट गए शिक्षकों सुनवाई में जेडीई के सामने आए चौकाने वाले मामले
मनमानी पद संरचना से लेकर, पोर्टल पर जानबूझकर की गई त्रुटियों की खुली पोल
नीति विरुद्ध मध्य सत्र में अतिशेष बता कर किए जा रहे शिक्षकों के मनमाने स्थानान्तरणों पर एक के बाद एक कोर्ट से मिल रहे डायरेक्शन्स के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों में हड़कम्प की स्थिति है। शिक्षा विभाग के अधिकारी जो पहले असुनवाई की मुद्रा में थे अब भोपाल से लेकर जिलों तक शिक्षकों से उनके अभ्यावेदन तलब कर उनके निराकरण की कवायद में जुट गए हैं।
इधर हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में शिवपुरी जिले के 22 विज्ञान शिक्षकों ने बुधवार को संयुक्त संचालक शिक्षा के बुलावे पर ग्वालियर पहुंच कर उन्हें अपने अपने रिप्रजेंटेशन प्रस्तुुत किए वहां के विधि कक्ष में पहुंचे संयुक्त संचालक शिक्षा दीपक पाण्डे और सहायक संचालक श्री पाण्डे ने शिक्षकों से वन टू वन चर्चा कर उनके निराकरण के सम्बंध में सुनवाई की। अधिकारियोंं ने माना कि पोर्टल में जहां खामियां हैं वहीं पद संरचना में भी विसंगतियां सामने आई हैं। चूंंकि न्यायालय के आदेश हैं कि सभी शिक्षकों को उनकी आपत्तियों का लिखित और तार्किक कारण सहित जबाव देकर निराकरण किया जाए ऐसे में अब अधिकारी भी प्रकरणों की सुनवाई में सजग दिखाई दे रहे हैं क्योंकि स्पीकिंग आदेश में खामी मिलने पर उनके विरुद्ध कोर्ट के स्तर पर जबाव तलब की स्थिति बनना तय है।ग्वालियर पहुंचे शिक्षकों ने सप्रमाण जेडीई को अवगत कराया कि जिले में जहां छात्रों की संख्या अधिक है वहां शिक्षकों के कम पद स्वीकृत हैं जबकि कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों में शिक्षकों के अधिक पद स्वीकृत हैं।
पदीय संरचना में शिवपुरी जिले में जो विसंगति की स्थिति सामने आई है वह प्रक्रिया की पारदर्शिता के विरुद्ध है। उदाहरणार्थ एकीकृत कन्या हायर सेकण्डरी आदर्श नगर में छात्र संख्या 457 होने के बावजूद मात्र 2 विज्ञान शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं जबकि जिले के एकीकृत कन्या हायर सेकण्डरी कोलारस में यही छा़त्र संख्या 454 होने पर वहां 3 विज्ञान शिक्षक पद स्वीकृत हैं, कमोवेश यही स्थिति कन्या हायर सेकण्डरी स्कूल स्कूल करैरा की है, वहां भी विज्ञान शिक्षक और एसएसटी के 3-3 पद स्वीकृत हैं। जबकि कन्या उमावि आदर्शनगर में दो ही पद स्वीकृत हैं। यह गंभीर विसंगतियां हैं। पद संरचना सम्बंधी विसंगति को अधिकारियों ने नोटिस किया और जिला शिक्षा अधिकारी से जबाव मांगने की बात कही, इसी प्रकार से पोर्टल में गम्भीर विसंगतियों का भी मामला सामने आया जिसमें तमाम शिक्षकों को अतिशेष से बचाने के लिए विभाग के जिम्मेदारों ने पोर्टल पर ही जानबूझकर गलत प्रविष्टियां कर दीं जिन्हें शिक्षकों के द्वारा साल भर पूर्व उनके संज्ञान में लाने के बावजूद भी नहीं सुधारा गया जिससे यह साफ जाहिर होता है कि अधिकारियों ने मनमाने ढंग से इस प्रक्रिया को दूषित करने का काम बखूबी अंजाम दिया है।अतिशेष के सम्बंध में शासन की तबादला नीति और जीएडी के सर्कुलर से लेकर माननीय हाईकोर्ट जबलपुर के 2008 में जारी आदेश के विपरीत विद्यालयों में बिना रिक्ति के शिक्षकों को पदांकित करने सम्बंधी प्रकरण भी सामने आए जिनके सम्बंध में शिक्षकों ने न्यायालयीन आदेश के प्रकाश में अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत कर इन विन्दुओं पर विभाग का स्पीकिंग आदेश प्रदान करने की मांग रखी है। इस दौरान संयुक्त संचालक शिक्षा दीपक पाण्डे ने कहा कि सभी शिक्षकों के प्रकरणों के निराकरण के लिए सेल गठित कर तेजी से निराकरण कार्यवाही की जा रही है जिसके सम्बंध में शिक्षकों को लिखित में अवगत कराया जाएगा।
आरटीई के प्रावधानों की व्याख्या भी यहां सामने आई है जिसमें एक ओर 140 की छात्र संख्या पर विज्ञान शिक्षकों को हटाया जा रहा है वहीं यहां 40 की छात्र संख्या के बावजूद भी विज्ञान शिक्षकों को पोस्टिंग देकर पदस्थ किया गया। तीन शिक्षकों की न्यूनतम स्थिति बनाए रखने के आदेश के बावजूद तीन शिक्षकों की शाला में से अतिशेष बता कर विज्ञान शिक्षकों को हटाए जाने का मुददा भी सरगर्म रहा। संयुक्त संचालक शिक्षा ने बताया कि जो कुछ उनके अधिकार क्षेत्र में है उसे वे निवारण करेंगे शेष पॉलिसी मेटर और पद संरचना सम्बंधी विषय पर शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।