अन्य संभागों में शुरु नहीं हुई प्रक्रिया
प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को चौथे समयमान वेतनमान का लाभ देने सम्बंधी जो घोषणा की गई उसके क्रियान्वयन को लेकर भारी विसंगति पैदा हो रही है। यहां शिक्षा विभाग में हालत यह है कि जहां कुछ संभागों में व्याख्याताओं को तो इसका लाभ देने के आदेश संयुक्त संचालक स्तर से जारी कर दिए गए हैं वहीं अन्य संभागों में चुप्पी ओढ़ रखी है। वहीं शिक्षकों और सहायक शिक्षकों को इस लाभ से बंचित कर दिया गया है। कर्मचारियों के बीच यह भेदभाव समझ से परे है।
प्रदेश में ही कर्मचारियों अधिकारियों के मध्य दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं। संयुक्त संचालक लोक शिक्षण भोपाल ने भोपाल संभाग में स्कूल शिक्षा विभाग अंतर्गत मध्य प्रदेश शिक्षा सेवा शाला भर्ती एवं पदोन्नति नियम 1982 में व्याख्याता संवर्ग सीधी भर्ती के माध्यम से भरे जाने के प्रावधान होने से व्याख्याता संवर्ग को प्रथम एवं द्वितीय उच्चतर माध्यमिक वेतनमान दिए जाने के निर्देश तथा मध्य प्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय भोपाल के आदेश दिनांक 6 जनवरी 2017 के द्वारा व्याख्याता संवर्ग को समय मान वेतनमान प्रदान किए जाने हेतु संभागीय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण को सक्षम अधिकारी घोषित करते हुए अधिकारों के प्रत्यायोजन की स्वीकृति के अनुक्रम में व्याख्याता संवर्ग को मध्य प्रदेश शासन वित्त विभाग के परिपत्र दिनांक 24 जनवरी 2008 व समय.समय पर प्रसारित वित्त विभाग एवं लोक शिक्षण संचालनालय मध्य प्रदेश के मार्गदर्शन एवं लोक शिक्षण संचालनालय मध्य प्रदेश के पत्र दिनांक 14 जनवरी 2020 डीपीई के पत्र क्रमांक 570 दिनांक 29 अगस्त 2020 वित्त विभाग के 14 अगस्त 2023 को जारी परिपत्र के परिपालन में व्याख्याता संवर्ग पद पर 35 वर्ष का सेवाकाल पूर्ण करने वाले व्याख्याता, प्राचार्य हाई स्कूल, प्राचार्य उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को चतुर्थ समयमान वेतनमान को स्वीकृति प्रदान की है।दिनांक 29 फरवरी 2024 से प्राप्त मार्गदर्शन अनुसार व्याख्याता पद पर 35 वर्ष का सेवाकाल पूर्ण करने वाले व्याख्याता को यह लाभ मिलेगा। उनकी पात्रता दिनांक से चतुर्थ समयमान वेतन पर पे बैण्ड 15600 -39100 प्लस 7600 ग्रेड पे स्वीकृत किया गया है।
अब सवाल यह उठता है कि यह प्रक्रिया सभी संभागों में क्यों नहीं अपनाई जा रही, और इसमें शिक्षकों और सहायक शिक्षकों को क्यों समयमान वेतनमान से बंचित रखा गया है। तमाम कर्मचारी और शिक्षक संगठनों ने भी इस पर चुप्पी ओढ़ रखी है।