- पिता की हालत नाजुक इसलिए पिता को खबर तक नहीं दी गई
- अभाविप का पदाधिकारी और आरएसएस का कार्यकर्ता भी है सुकृत
मानवता के नाते विश्वविद्यालय के चांसलर की जान बचाने के लिए हड़बड़ी में बिना अनुमति के हाईकोर्ट जज की कार का इस्तेमाल करने पर डकैती जैसी संगीन धारा में जेल पहुंचे छात्रों में एक शिवपुरी का सुकृत शर्मा पुत्र गिरीश शर्मा भी है जिसके पिता इस समय दिल्ली के अस्पताल में हुई ब्रेन सर्जरी के बाद से बेड पर हैं और उन्हे इस बात से बेखबर रखा गया है कि उनका बेटा सुकृत इस समय जेल में हैं। इस परिवार पर टूटा मुसीबत का यह पहाड़ वाकई हिला देने वाला है।
ज्ञातव्य है कि गत दिनों ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर शिवपुरी की पीके यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो रणजीत सिंह यादव की जान बचाने के फेर में दो स्टूडेंट्स को जेल जाना पड़ा है उन पर डकैती का केस दर्ज किया गया है।सुकृत की मां गुहार लगा रही हैं कि भगवान के लिए जज साहब बेटे को माफ कर दें, उसने किसी की जान बचाने के लिए यह सब किया है।
उल्लेखनीय है कि 11 दिसंबर को प्रात: 4 बजे ट्रेन में हार्ट अटैक आने पर कुलपति की जान बचाने के लिए उन्हें अस्पताल पहुंचाने हिमांशु श्रोत्रिय और सुकृत शर्मा ने हाईकोर्ट जज की कार छीनी थी। मामले में उन पर केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया है। कोर्ट ने जमानत भी खारिज कर दी।इस मामले में प्रदेश के पूर्व सीएम से लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पत्र लिख चुके हैं, सीएम यादव ने डीजीपी से कहा कि युवकों पर डकैती की धारा लगाना न्यायोचित नहीं लगता। वे आपराधिक पृष्ठभूमि के नहीं हैं। युवकों ने मानवीय दृष्टि से तो सही कार्य किया लेकिन उनका तरीका गलत था। संपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए जांच के पश्चात कार्यवाही करना ठीक होगा इसलिए जांच कराएं।
शिवपुरी के टीवी टॉवर रोड क्षेत्र के निवासी सुकृत शर्मा की मां अंजना शर्मा ने कहा बेटा दिल्ली में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एबीवीपी के तीन दिवसीय सम्मेलन में शामिल होने दिल्ली गया था। सम्मेलन में शामिल होकर 14 साथियों के साथ रविवार रात दिल्ली से दक्षिण एक्सप्रेस से ग्वालियर के लिए रवाना हुए थे। आगरा के पास रात में अचानक शोर हुआ। पता चला कि कोच में कोई व्यक्ति बेहोश हुआ है।पता चला कि पीके यूनिवर्सिटी शिवपुरी के वीसी प्रो रणजीत सिंह यादव 68 को हार्ट अटैक आया था। मुरैना आते आते उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई। हेल्पलाइन पर कॉल किया तो बताया गया कि ग्वालियर स्टेशन पर एंबुलेंस बाहर खड़ी मिलेगी। सुबह 4 बजे स्टेशन आते ही सभी बच्चे बेहोश हालत में प्रोफेसर को स्टेशन के बाहर लेकर आए। यहां पर एंबुलेंस नहीं थी। सामने एक कार दिखाई दी। उन्होंने कार के चालक से प्रोफेसर को अस्पताल तक ले जाने के लिए कहा लेकिन उसने मना कर दिया। एंबुलेंस का काफी देर तक इंतजार किया। कार ड्राइवर से कहा. हमारे साथ चलो और उसे छोड़कर वापस चले आना। चालक राजी नहीं हुआ तब छात्रों ने जबरन कार की चाबी ली। बेहोश व्यक्ति को कार से अस्पताल लेकर गए। उन्हें नहीं पता था कि वह कार जज साहब की है।
कार के पीछे पीछे पुलिस की 25 गाड़ियां अस्पताल पहुंच गईं। बच्चों ने तत्काल कार की चाबी उन्हें सौंप दी। एफआईआर में डकैती की धारा लगाई गई है। इस बारे में कहा जा रहा है कि बच्चों ने डेढ़ घंटे बाद कार की चाबी दी इसलिए डकैती की धारा लगी है।
-पिता की हुई है ब्रेन सर्जरी
अंजना शर्मा ने बताया सुकृत के पिता गिरीश शर्मा टीचर हैं। डेड़ साल पहले वे सडक हादसे का शिकार हो गए थे। जैसे तैसे उनकी जान बच सकी है। अब उन्हें सुनने और बोलने में परेशानी होती है। उनका दिल्ली में हाल ही में ऑपरेशन हुआ है। उन्हें नहीं बताया गया कि बेटा जेल में है।सुकृत की मां ने बताया सुकृत ग्वालियर के माधव कॉलेज से एलएलएम कर रहा है। बेटा वकालत की पढ़ाई कर रहा है।
मां ने बताया कि सुकृत चौथी कक्षा में था उसी वक्त से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाने लगा था। इसके बाद वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ा रहा। हिमांशु एबीवीपी का महानगर मंत्री और सुकृत सह महानगर मंत्री हैं।हिमांशु और सुकृत के साथी छात्रों ने मौन न्याय यात्रा निकालकर दोनों को छोड़ने की मांग की।
हिमांशु और सुकृत के साथी छात्रों ने मौन न्याय यात्रा निकालकर दोनों को छोड़ने की मांग भी की है।
-जमानत पर सुनवाई में लगेगा समय
हाईकोर्ट जज की कार छीनने वाले छात्रों पर वह धाराएं लगाई गई हैं जो कभी चंबल के डाकुओं पर लगती थीं। इनके सख्त प्रावधानों के चलते आसानी से जमानत नहीं मिल पाएगी। छात्रों के वकील भानुप्रताप सिंह चौहान के अनुसार इन पर मध्यप्रदेश डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम की धारा 11ए 13 और आईपीसी की धारा 395 के तहत केस दर्ज किया गया है।बुधवार को सत्र न्यायालय ने दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। गुरुवार को दोनों ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी लगाई जिस पर अगले हफ्ते सुनवाई की संभावना है। तब तक इन्हें जेल में ही रहना होगा।