- विरोधाभासी बयानों और समर्थकों की एकाएक सक्रियता ने पेंच उलझाया
- पार्टी की कसौटी पर खतरे मेंं हैं कई मंत्रियों के टिकट
- यशोधरा नहीं तो कौन…पर टिकी निगाहें
इस समय न केवल जिले की पांचों सीटों पर बल्कि प्रदेश भर के परिदृश्य में शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र सर्वाधिक सुर्खियों में है उसकी वजह साफ है कि सत्ता दल के लिए अविजित कही जाने वाली सीट से विधायक श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया का असमंजस भरा कथित इंकार जिसके चलते वे चुनाव सूची आने से पहले ही चुनाव मैदान से बाहर होने की घोषणा कर बैठीं।
उनकी इस चुनावी ना को लेकर असमंजस इसलिए पैदा हो गई है, क्योंकि उनके समय समय पर सामने आ रहे बयान और उनकी एक्टिविटी के बीच कोई तालमेल ही नजर नहीं आ रहा। यही कारण है वातावरण में उहापोह की स्थिति बनी हुई है। उनका टिकट पार्टी ने काटा या वे खुद स्वेच्छा से पीछे हटीं इसे लेकर नित नई कहानी सामने आ रही है।गौर करें तो भारतीय जनता पार्टी की विधायक यशोधरा राजे सिंधिया का यह मीडिया स्टेटमेंट सामने आया कि वे अगस्त में ही संगठन को पत्र लिखकर चुनाव लडऩे से मना कर चुकी थीं। यदि यह सही है तो फिर अगस्त के बाद 4 सितंबर को उन्होंने खुद शिवपुरी दौरे के समय पूरे दमदम से जो चुनाव लडऩे की बात ऑन कैमरा कही थी उसे क्या माना जाए। ज्ञातव्य कि उन्होंने कहा था मैं कहीं और क्यों जाऊंगी, मैं यहां स्थाई हूं अस्थाई नहीं, सामने कोई भी क्यों ना हो। इसके बाद गत सप्ताह उन्होंने फि र से यशोधरा राजे की ओर से खबर आई कि जिसमें उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य की बात कहकर चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया।
ऐसे में उनकी खुद की मंशा क्या है यह समझ नहीं आ रहा। ऐसा इसलिए भी कि जिस दिन से उन्होंने खराब स्वास्थ्य की बात कह कर चुनाव लड़ने से कथित तौर पर इनकार किया है उसके बाद से वह शिवपुरी में लगातार भूमि पूजन, लोकार्पण शिलान्यास सहित अन्य कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर पार्टी संगठन को अपनी सक्रियता का एहसास कराने से नहीं चूक रहीं। इसके अलावा उनके इस इनकार के एक सप्ताह बाद अब उनके समर्थकों का एकाएक उन्हें मनाने का उपक्रम करते दिखाई देना भी बहुत कुछ कह रहा है। यह समूचा घटनाक्रम बेहद दिलचस्प किंतु उलझाऊ नजर आ रहा है। इसके ठीक इतर संगठन स्तर पर एक चर्चा यह भी सामने आई थी कि भाजपा की आने वाली चौथी सूची में सात मंत्रियों और 21 विधायकों के टिकट गुजरात पैटर्न पर काटने का मन पार्टी बना चुकी है, जिनमे कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का नाम भी शामिल बताया गया था तो क्या श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने पार्टी की ओर से टिकट की न होने के बाद चुनाव लडऩे से हाथ खींचे अथवा फि र उन्होंने खुद व खुद संगठन को पत्र लिखकर खराब स्वास्थ्य के चलते चुनाव न लडऩे का फैसला किया। इन दोनों ही बातों को लेकर सबकी अपनी राय जुदा है।
यदि यशोधरा राजे सिंधिया ने मर्जी से सीट छोड़ी तो फि र 4 सितंबर को उन्होंने मीडिया साक्षात्कार में खुद को शिवपुरी से प्रत्याशी बताने का दावा क्यों किया, और यदि स्वास्थ्य कारणों से वे चुनाव नहीं लड़ रही तो खराब स्वास्थ्य के बीच एकाएक क्षेत्र में बढ़ी उनकी सक्रियता कहीं ना कहीं यह दर्शाती है कि वह चुनावी मंशा से भरपूर हैं, गड़बड़ ऊपर से हो रही है, इधर समर्थकों का भी पूरे 7 दिन बाद सक्रिय होना और चुनाव के लिए उनकी मानमनोव्वल का एपिसोड खड़ा करना भी कहीं न कहीं पार्टी संगठन का ध्यान यशोधरा राजे सिंधिया की शिवपुरी से उम्मीदवारी की ओर दिलाने का उपक्रम कहा जाए तो गलत ना होगा।
कुल मिलाकर शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र इस समय पांचो विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक सुर्खियां बटोर रहा है तो सिर्फ इसलिए क्योंकि भाजपा की इस परंपरागत सीट से उम्मीदवार ने खुद समय पूर्व मैदान से हटने का फैसला कर लिया है। आने वाले दो.चार दिन इस सीट पर काफी उहापोह भरे होंगे। यशोधरा राजे सिंधिया की गैर मौजूदगी में भाजपा शिवपुरी विधानसभा सीट से प्रदेश कार्यालय मंत्री राघवेंद्र शर्मा को चुनाव मैदान में उतारती है अथवा फि र शिवपुरी से पूर्व विधायक रहे देवेंद्र जैन, माखनलाल राठौर से लेकर राजू बाथम, धैयवर्धन शर्मा या सिंधिया समर्थक विजय शर्मा जैसे चेहरों पर दांव खेलती है यह देखना खासा दिलचस्प होगा।