कांग्रेस में विधानसभा चुनावों के दौरान टिकट के लिए दावेदारी कर रहे नेताओं के समूह में से अधिकांश नेता टिकट घोषणा के बाद से चुनावी परिदृश्य से गायब हो गये है, वहीं भाजपा में मूल भाजपाई और महाराज भाजपा के बीच भी यही स्थिति देखने में आ रही है।
शिवपुरी जिले की पांचों सीटों पर यही परिदृश्य है। यहां बता दें कि शिवपुरी विधानसभा से ही तमाम कांग्रेस नेता टिकट वितरण से पूर्व संगठित होकर खुद को खालिस कांग्रेसी बता रहे थे और हाल ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए कुछ टिकटार्थियों के विरोध के नाम पर एकमत होकर भोपाल से दिल्ली तक दौड़ लगाने से गुरेज नहीं कर रहे थे वही टिकट घोषणा के बाद इनमें से अधिकांश चेहरे गायब हैं। चुनाव प्रचार के दौरान इनकी गुमशुदगी यह दर्शाती है कि खुद को छोड़कर कोई भी दूसरे के लिए कोई चुनावी योगदान देने को तैयार नहीं। कुछ चुप बैठ गए हैं तो कुछ दूसरे दल को फीडिंग देने में जुट गए हैं।
उधर भाजपा में तो एक खेमे ने खुद को पूरी तरह से प्रचार से अलग कर लिया है। दोनों की प्रमुख दलों के बीच यह नजारा न केवल एक सीट पर बल्कि पांचों सीटों पर स्पष्ट देखा जा रहा है। कुछ रुसिया कर कुछ खिसिया कर घर से बाहर होने के बहाने गढ़ रहे हैं तो कुछ ने फोन पर ही खेला करना शुरु कर दिया है। कुल मिलाकर प्रत्याशियों को अधिकतर स्थानों पर खुद के मैनेजमेंट से चुनावी जंग में हाथ पैर मारना पड़ रहे हैं।