ईओडब्लू डीजी तक पहुंची मेडिकल कालेज शिवपुरी की गड़बडिय़ों की शिकायत

शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में एक के बाद एक परतदार परत गड़बडिय़ां उजागर हो रही हैं। ताजा मामला मेडिकल कॉलेज के डीन पर उछल रहे आरोपों का है जिसे लेकर पुलिस महानिदेशक ईओडब्ल्यू को शिकायत की गई है।
  • डायग्नोस्टिक सेंटर की वैधता, से लेकर होस्टल वार्डन तक के प्रभार में अनियमितता जांच में
  • बायोमेट्रिक्स को जानबूझकर बेअसर बनाने के आरोप

शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में एक के बाद एक परतदार परत गड़बडिय़ां उजागर हो रही हैं। ताजा मामला मेडिकल कॉलेज के डीन पर उछल रहे आरोपों का है जिसे लेकर पुलिस महानिदेशक ईओडब्ल्यू को शिकायत की गई है। शिवपुरी के अभिभाषक विजय तिवारी ने एक शिकायती पत्र मय प्रमाण के ईओडब्ल्यू को भेजा है, जिसमें शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के डीन द्वारा की गई अनियमितताओं को प्रमुखता के साथ रेखांकित किया है।

एडवोकेट विजय तिवारी ने इस शिकायती पत्र में उल्लेख किया है कि कुछ कर्मचारी विशेष से महाविद्यालय के अधिष्ठाता लीक से हटकर काम ले रहे हैं। उन्होंने डीन पर विकास त्यागी नामक तृतीय श्रेणी कर्मचारी को उपकृत करने का आरोप भी लगाया है, जिसमें कहा गया है कि इस कर्मचारी को इन्टर्न गर्ल हॉस्टल का सहायक वार्डन , स्टोर प्रभारी, आईपीडी, ओपीडी पर्चा प्रभारी तथा लक्ष्य संस्था का प्रभारी जिसके माध्यम से महिलाओं को प्रोत्साहन राशि दी जाती है इसके अलावा हाइट का नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया है। जबकि महाविद्यालय में अन्य कर्मचारी भी हैं जिनके बीच इन प्रभार का वितरण किया जाना चाहिए था।

तृतीय श्रेणी कर्मचारी को इन्टर्न गल्र्स हॉस्टल का प्रभारी बनाया गया है, जबकि नियम अनुसार उक्त पद पर केवल महिला सहायक प्राध्यापक की ही नियुक्ति हो सकती है। विकास त्यागी द्वारा गल्र्स हॉस्टल के भूतल पर बिना शासन से विधिवत अनुमति प्राप्त किए एक बड़े हिस्से को तुड़वाकर उसे रिनोवेट कराया गया है, और वे वही निवास कर रहे हैं। गल्र्स हॉस्टल जैसी संवेदनशील स्थान पर अवैधानिक नियुक्ति आपत्तिजनक है। कालेज में चल रही गड़बडिय़ों के क्रम में एक और गंभीर आरोप सामने आया है जिसमें सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर एवं जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के लगभग 100 पद होना महाविद्यालय में बताया गया है, किंतु मौके पर मात्र 35 से 40 रेजिडेंट डॉक्टर मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी पर आते हैं शेष सभी ग्वालियर व अन्य शहरों में रहकर प्राइवेट नर्सिंग होम एवं अस्पताल में सेवा देकर वहां से वेतन प्राप्त कर रहे हैं।

इन्हें दिया जाने वाला स्टाय फण्ड उनकी गैर मौजूदगी के बावजूद दिया जाना समझ से परे है। इस संबंध में सीनियर एवं जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स की मोबाइल टावर लोकेशन की जांच की मांग की गई है। मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डॉक्टर वर्मा पर यह भी आरोप शिकायत पत्र में सामने आया है कि उन्होंने अपनी धर्मपत्नी को डाइटिशियन के पद पर नियुक्ति दिलाते हुए पदस्थ कराया है, जिसका कोई इंटरव्यू और पद का कोई नोटिफि केशन तक जारी नहीं हुआ वह भी ग्वालियर निवासरत बताई जाती हैं। मेडिकल कॉलेज में बायोमेट्रिक अटेंडेंस मशीन स्थापित हैं कर्मचारियों को नियमानुसार उन मशीनों पर अपना अंगूठा लगाकर उपस्थिति दर्ज करानी होती है किंतु यहां बायोमेट्रिक मशीनों का उपयोग ही नहीं किया जा रहा। शिवपुरी कल्याणी धर्मशाला में स्पर्श डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, इसके संचालन हेतु जो योग्यता होना चाहिए वह भी जांच के घेरे में है। क्योंकि इसके लिए रेडियोलॉजिस्ट या सोनोलॉजिस्ट की योग्यता होना जरूरी है जबकि डॉक्टर वर्मा द्वारा जो सोनोलॉजिस्ट का डिप्लोमा प्रस्तुत किया है और जिस स्पर्श डायग्नोस्टिक सेंटर का रजिस्ट्रेशन कराया गया है उस संस्था की वैधता पर भी सवाल खड़े उठ रहे हैं।

यहां बता दें कि मेडिकल कॉलेज में हुई अनियमितताओं को लेकर पहले से ही ईओडब्ल्यू की टीम जांच कर रही है, ऐसे में इन नए मामलों का सामने आना आने वाले कल में पूरे प्रकरण को गंभीर मोड़ दे सकता है।

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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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