अजीब हाल: 399 स्कूलों के भवन जर्जर, नए आदेश के बाद स्कूलों में छुट्टी के हालात

स्कूलों के हाल से छुट्टी के हालात

-विभाग कह रहा है जर्जर भवन में शाला लगी तो प्रधानाध्यापक जिम्मेदार
-प्रधानाध्यापकों का कहना अफसर बताएं फिर कहां लगाएं

एक के बाद एक कभी जिले शिक्षा विभाग से तो कभी डीपीसी कार्यालय से जारी हो रहे पत्रों ने स्कूलों के संचालन को ठप स्थिति में ला पटका है। जर्जर भवनों में शाला संचालन को लेकर सामने आए फरमान से जिले भर के शासकीय प्राइमरी और मिडिल स्कूल के प्राचार्यों की समस्या को बढ़ा दिया है। जिले सभी शासकीय प्राइमरी और मिडिल स्कूल के प्राचायों को पत्र के माध्यम से आगाह किया गया है कि अगर जर्जर स्कूली भवन में अगर कोई भी घटना घटित होती है तो इसकी जिम्मेदारी व्यक्तिगत रूप से सिर्फ स्कूल के प्राचार्य की होगी।

2250 स्कूलों में से 399 स्कूल मांग रहे हैं मेंटेनेंस-

शिवपुरी जिले में शासकीय प्राइमरी और मिडिल स्कूलों की संख्या 2250 हैं। डीपीसी दफेदार सिंह सिकरवार की माने तो जिले में 399 स्कूलों की मरम्मत होनी हैं। ऐसे में अगर किसी भी विद्यालय में घटना होती हैं। तो उसका जिम्मेदार प्राचार्य को माना जाएगा।डीपीसी दफेदार सिंह सिकरवार ने आदेश में लेख किया है कि वर्षा के कारण क्षतिग्रस्त या जर्जर भवन में छात्र.छात्राओं को किसी भी स्थिति में न बैठाएं और क्षतिग्रस्त या जर्जर भवन को ताला बंद करके रखें। छात्र.छात्राओं को उनके आस.पास भी न जाने दें। अगर किसी छात्र.छात्रा के साथ कोई भी हादसा होता है तो संबंधित संस्था के प्रधानाध्यापक व्यक्तिगत रुप से जिम्मेदार होंगे। इस आदेश के बाद अब उन स्कूलों के प्राचार्य परेशानी में आ चुके हैं जिनके स्कूली भवन जर्जर हाल में हैं।

इस मामले में डीपीसी दफेदार सिंह सिकरवार का कहना हैं कि उनके द्वारा यह आदेश जारी किया गया हैं। उन्होंने यह आदेश जारी बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए किया है। सभी प्राचार्यों को निर्देशित किया है अगर स्कूली भवन जर्जर हैं। तो उन्हें कक्षा को अन्य प्राइमरी मिडिल या फिर अन्य सरकारी भवन में लगाने के निर्देश दिए हैं।उन्होंने 270 स्कूलों की मरम्मत के पत्र लिखा हैं जिनमे से 27 स्कूलों की स्वीकृति मिल चुकी है। कुछ समय बाद 50 से 100 पुराने जर्जर स्कूलों के भवनों का डिसमेंटल करने का काम भी शुरू किया जाएगा। अब प्रधानाध्यापकों का कहना है कि एक ओर तो स्कूलों को ताला बंद करने के निर्देश दिए है दूसरी ओर वे कहां शाला का संचालन करें यह स्थान नियत करने को कोई तैयार नहीं ऐसे में वे कहां और किस तरह से शाला का संचालन करें यह समझ से परे है।

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Rahil Sharma
Rahil Sharma
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