तारिख थी 19 सितंबर 2023 नई संसद से स्पीकर ओम बिरला की आवाज़ में ये स्वर गूंजते है अध्याधीन मत विभाजन का परिणाम इस प्रकार है हां 454 और न 2 इतना कहते ही संसद में समर्थन का शोर तेज हो गया।
यानि की 454 मत के साथ महिला आरक्षण विधेयक को संसद में स्वीकृति मिल गई।
महिला आरक्षण विधेयक का तात्पर्य यह है कि लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिला को 33 प्रतिशत सींटो को आवंटित करन, यानि की कुल सीटों में से 1 तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रखना
जिन दो सांसदो ने इस बिल के खिलाफ वोट डाले उनके नाम है आईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज उन्होंने इस बिल में ओबीसी रिजर्वेशन को शामिल करने की मांग की। ओवैसी ने लोकसभा में महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक पर चर्चा में शामिल होते हुए आरोप लगाया कि सरकार संसद में सिर्फ ‘सवर्ण महिलाओं’ का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहती है। उसे अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) और मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की चिंता नहीं है।
बिल को मंजूरी मिल जाने के बाद जितना शोर संसद के अंदर था उससे अधिक शोर बाहर देखने को मिलने लगा महिला सांसदों का एक दूसरे को मिठाई खिलाने बाद जगह जगह इस विधेयक की खुशियां बनाई जाने लगी। तमन्ना भाटिया, प्रियंका चोपड़ा और दिव्या गुप्ता की ही तरह तमाम अभिनेत्रीयों ने इस बिल के समर्थन में नारी सशक्तिकरण के लिए लाभकारी मानकर अपने मत रखे।
लेकिन कहानी में एक रोमांचक मोड़ आता जब नारी शक्ति वंदन अधिनियम की बहस श्रेय लेने की होने लगी जब सोनियां गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने ये कहा कि ये बिल पहले कांग्रेस लेकर आना चाह रही थी और बिल को पेश भी किया गया था लेकिन मंजूरी नहीं मिली।
दरअसल इस बिल का इतिहास आज का नहीं है, ये लगभग 27 साल पुराना और जब तक ये बिल प्रभावी होगा तब तक शायद 3 दशक से ज्यादा का समय पूर्ण हो जाऐ।
मैं ये ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि ये बिल कानून तो बन गया है लेकिन जनगणना और परिसीमन के बाद ही इसे लागू किया जाएगा।
तब तक इसका 27 साल का संक्षिप्त में इतिहास जान लेते है और इस कहानी का पूरा एपिसोड़ देखने के लिए आपको सोनी लिव एप डाउनलोड़ नहीं करना पड़ेगा बल्कि मेरे साथ कुछ दशक पीछे चलना पड़ेगा।
एतिहासिक पृष्ठभूमि
साल 1996 में इस बिल को पहली बार संसद में पेश किया गया, जिसे यूनाइटिड़ फ्रंट की देवेगोड़ा सरकार लेकर आई थी और इस तत्कालीन कानून मंत्री रमाकांत डी खलप ने पेश किया गया। लेकिन समर्थन का अभाव होने के कारण पास नहीं हो पाया
उसके बाद साल 1998 इस विधेयक को पास कराने के लिए काफी मशक्कत भरा रहा, हुआ यूं कि 13 जुलाई को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की एनडीए सरकार ने इस बिल को पास कराने की कोशिश की लेकिन सांसद सुरेंद्र यादव ने बिल की कॉपी फाड़ दी। उसके 14 जुलाई को भी यही हाल रहा। 11 दिसंबर की बात लोकसभा में इस बिल को पेश करने की फिर से कोशिश हुई लेकिन सपा के सांसद दरोगा प्रसाद स्पीकर महोदय की सीट तक इस बिल को रोकने के लिए पहुंच गऐ।
इतनी मशक्कत के बाद एनडीए सरकार ने 23 दिंसंबर को बिल को पेश करने में सफल रही लेकिन जेडीयू के विरोध के चलते मंजूरी दिलाने में असफल रही
इसके बाद 2000, 2002,2003 और 2004 में एनडीए सरकार ने इस बिल को पास कराने की भरसक कोशिश की लेकिन विरोध के चलते मंजूरी दिलाने नाकामयाब रही
सरकार बदलती है साल आता है साल आता है 2008 मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनते है उनकी सरकार ने में इस विधेयक को 108वें संविधान संशोधन के रूप में राज्यसभा में पेश कियाविधेयक को पेश किया लेकिन भारी विरोध के चलते ये विधेयक स्टेंडिग कमेटी को भेज दिया गया
साल आता है 2010 राज्यसभा में यह विधेयक को मंजूरी मिल गई, खास बात यह है इस बिल का समर्थन करने वालों में बीजेपी भी शामिल थी। लेकिन कुछ पार्टियों ने इसका विरोध किया इसलिए कांग्रेस सरकार ने इस लोकसभी में पेश नहीं किया। इसलिए ये विधेयक सिर्फ राज्यसभा तक ही सीमित रहा।
मौजूदा महिला आरक्षण बिल क्या कहता है
इस विधेयक को संविधान के 128वे संसोधन के तहत लागू किया गया है, जिसमें अनुच्छेद 239AA, 330A, 332A और 334A में बदलाव किया गया है। लेकिन 334A कहता है कि ये कानून अगले परिसीमन के बाद बी लागू होगा। इसी की बहस राजनीतिक गलियारों में हो रही है। आप नेता आतिशी मार्लेना ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह महिला आरक्षण बिल नहीं बल्कि महिला बेवकूफ बनाओं बिल है।
दरअसल 29 सितंबर को ये बिल कानून तो बन गया लेकिन ये प्रभावी कब तक होगा ये सुनिश्चित नहीं हो पाया। प्रियंका गांधी और कपिल सिब्बल की ही तरह तमाम नेता इसे बीजेपी का चुनावी एजेंड़ा बता रहे जिसे 2024 के चुनाव के बाद भी लेकर चलना चाहते है।
इस बिल में ओबीसी समुदाय की महिलाओं के लिए आरक्षण के अंदर आरक्षण नहीं है जिस प्रकार शैक्षिक क्षेत्र में होता है इसलिए ओबसी वर्ग बिल के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहा है, ऐसा ही एक प्रदर्शन आरा जिले में हुआ, इस विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा ओबीसी समुदाय के प्रतिनिधि नंदकिशोर यादव ने थी