चटक हुई चुनावी रंगत, टिकटों की उठापटक तेज, सियासी पारा उछाल पर

केपी ने किया कार्यकर्ता सम्मेलन तो वीरेन्द्र करेंगे प्रेस कांफ्रेंस

– बगावती तेवरों के साथ दिखे कई नेता, बगावत से पोहरी में बदल सकते हैं समीकरण
– पिछोर पर ताकत झोंकने सिंधिया, नरोत्तम ने सम्हाला मोर्चा

इस चुनावी मौसम में शिवपुरी जिले के चर्चे प्रदेश की राजधानी भोपाल से लेकर दिल्ली तक सुन जा रहे हैं। यहां के मसले हर जगह चर्चा का विषय बने हुए हैं। चाहे वह शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया का शिवपुरी से चुनावी मोह भंग हो या फिर शिवपुरी को लेकर काँग्रेस में टिकट की कलह, इन सब बातों से शिवपुरी का राजनीतिक तापमान बढ़ा हुआ है। प्रदेश में टिकटों को काँग्रेस ने यदि बदला है तो उस सूची में दतिया के बाद शिवपुरी के पिछोर का भी नाम आया है। कुल मिलाकर हलचल जबर्दस्त है जो दर्शाती है कि इस चुनाव में रण भीषण होगा। यहां घटित हो रहे राजनैतिक घटनाक्रमों पर निगाह डालें तो कई मामले ऐसे सामने आएंगे जिनसे यहां की राजनीति में खदबदाहट दिखाई दे रही है।

काँग्रेस ने पिछोर विधानसभा क्षेत्र से लगातार 1993 से विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे केपी सिंह को एकाएक शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाकर तमाम राजनीतिक समीक्षकों को चौंका दिया है। हालांकि यह बदलाव सिंधिया को घेरने की काँग्रेसी रणनीति के तौर पर सामने आया है। केपी के रिक्त स्थान पर पिछोर से जिन शैलेन्द्र सिंह को चुनावी टिकट की घोषणा की वे दो दिन तो इसी ससोपंज में उलझे रहे कि यह हुआ क्या प्रचार करें या न करें इसी बीच गत रात को आई सूची में पिछोर से उनका टिकट काट दिया गया और उनके स्थान पर काँग्रेस ने लोधी विरुद्ध लोधी कार्ड खेल डाला और वहां से कक्काजू की पसंद पर अरविंद लोधी को मैदान में उतार दिया। अब वहां भाजपा के प्रीतम लोधी से उनका मुकाबला होगा।

अब इन सबके अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों पर गौर करें तो टिकटों की लालसा में भारतीय जनता पार्टी से दामन छुड़ा छुड़ा कर चुनाव से ठीक पहले काँग्रेस में शामिल हुए नेताओं की हालत इस समय देखते ही बन रही है। कोलारस से बैजनाथ सिंह यादव को छोड़ दें तो अन्य तमाम नेता फिलहाल खाली हाथ हैं, इनमें से कुछ राकेश गुप्ता जैसे नेताओं ने जहां शांत रहकर काँग्रेस का साथ देने का मन बना लिया है वहीं कुछ टिकट की महत्वाकांक्षा पूरी न होने के चलते बगावती तेवर भी अपनाते दिखाई दे रहे हैं। जो शांत रहकर नजारा देख रहे हैं उनका सच यह है कि आगे पीछे काँग्रेस यदि सत्ता में आती है तो वह कहीं ना कहीं एडजस्ट हो जाएंगे। अब जिन्हें सब्र नहीं वे इस मौके को किसी अन्य दल में जाकर भुनाने की तजबीज में जुट गए हैं। काँग्रेस से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे पोहरी विधानसभा क्षेत्र के प्रद्युम्न वर्मा बछौरा हाथी पर सवारी गांठ चुके हैं। भाजपा से यदि कोई धाकड़ उम्मीदवार चुनाव मैदान मे उतरता है तो हाथी उसका खेल कांग्रेस से ज्यादा खराब कर सकता है।

कोलारस विधानसभा क्षेत्र से टिकट की मांग करने वाले पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जितेंद्र जैन गोटू को भी काँग्रेस ने टिकट न देकर अधर में लटका दिया है, जिसके चलते अब उनके तेवर बदले बदले दिखाई दे रहे हैं। कोई बड़ी बात नहीं की जितेंद्र जैन पत्ते वाले समाजवादी पार्टी अथवा फिर अन्य किसी पार्टी से चुनाव मैदान में बगावत का शंख फूं क कर खड़े दिखाई दें। हालांकि उन्होंने आधिकारिक तौर पर इतना ही कहा है कि वह अपने कार्यकर्ताओं की भावनाओं के अनुरूप ही कोई अगला कदम उठाएंगे, उनका यह कदम क्या होगा आजकल में पता चल जाएगा। कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी शिवपुरी विधानसभा से जिस टिकट की उम्मीद के साथ काँग्रेस में ज्वाइन हुए और आते ही उन्होंने जिस तरह से अपनी इलेक्शन कैंपेनिंग शुरू की और उसके बाद जब उन्हें टिकट नहीं मिला तबसे वह भी इस समय नाराजगी की मुद्रा में हैं। उन्होंने इस संबंध में 21 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का भी ऐलान किया है। संभावना जताई जा रही है कि वह अपने किसी अगले राजनीतिक कदम के संबंध में कुछ खुलासा करेंगे। फिलहाल देखें तो इस चुनावी अपरा तफरी के बीच काँग्रेस ने पांचों सीटों पर इलेक्शन कैंपेन शुरू कर दिया है। जिसके तहत शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी केपी सिंह ने शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की एक बैठक लेने के साथ ही जनसंपर्क की शुरुआत कर दी है। वे पिछोर मेंं भी 22 को कार्यकर्ता सम्मेलन करने जा रहे हैं।

करैरा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व में बगावत का बिल्कुल फूंक कर स्पाक्स से चुनाव लड़ चुके पूर्व विधायक रमेश खटीक को पहले मंत्री का दर्जा दिया और अब पुरुष्कृत करते हुए उनको टिकट भी दिया है जिससे भाजपा के अन्य दावेदारों की त्योंरियां तनी हुई हैं। काँग्रेस ने बसपा से काँग्रेस में आकर चुनाव जीते विधायक प्रागीलाल जाटव को फिर से मैदान में उतारा है। इस सीट पर प्रगीलाल के विरुद्ध पोस्टवार शुरू हो गया है, वहीं रमेश खटीक के खिलाफ भी भाजपा के ही अन्य दावेदार जबरदस्त भितरघात की रणनीति बुनने में जुट गए हैं। कुल मिलाकर अभी टिकटों की यह उठापटक नोमिनेशन के ठीक पहले तक दिखाई देने के आसार हैं। संभव है कि कुछ बड़े चेहरे एकाएक बगावत का शंख फूंक कर अपने ही दल के उम्मीदवारेां की राह का रोड़ा बन जाएं। चुनावी माहौल अब शबाव पर आता जा रहा है। यहां केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा तक ने पिछोर में ताकत झोंकना शुरु कर दिया है।

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Rahil Sharma
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