- यशोधरा के स्थान पर भतीजे सिंधिया की उम्मीदवारी की अटकलें तेज
- सर्वे में कमजोर परफारेमेंस से 7 मंत्रियों 21 विधायकों का टिकट संकट में
चुनाव लड़ने के दावे के 24 दिन बाद ही चुनाव मैदान से हटने का निर्णय चर्चा में ….
प्रदेश का राजनैतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। हाल ही शिवपुरी विधायक एवं केबिनेट मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया के स्वास्थ्य कारणों के चलते चुनाव न लडऩे की बात सामने आने के बाद राजनैतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। इसके साथ ही शिवपुरी से ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी उछलना शुरु हो गया है।
अब बड़ा सवाल यह कि मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने खुद चुनाव लडऩे के प्रति अनिच्छा जताई या फिर पार्टी ने ही उनको न कह दिया है, इसे लेकर भी विभ्रम की स्थिति इसलिए है क्योंकि इसी माह गत 4 सितम्बर को ही यशोधरा राजे ने शिवपुरी में तमाम मीडिया के सामने चुनावी ताल ठोंककर कहा था मैं अस्थाई नहीं हूं, स्थाई हूं, सामने कौन है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। साथ ही उन्होंने शिवपुरी विधानसभा सीट से खुद के बतौर उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरने की बात भी कही थी। फिर इन 20 दिनों के भीतर ऐसा क्या हो गया कि उनके स्तर से ही स्वास्थ्य कारणोंं को सामने रख कर चुनाव न लडऩे सम्बंधी चर्चा सामने आने लग गई।इस घटनाक्रम को लेकर राजनैतिक जानकारों का कहना है कि यदि यशोधरा राजे ने चुनाव न लडऩे की यही घोषणा प्रदेश में भाजपा उम्मीदवारों की दो सूचियों के सामने आने के पहले की होती तो समझा जा सकता था कि वे स्वेच्छा से टिकट त्याग रही हैं, और चुनाव मैदान से हटने का निर्णय ले रही हैं, लेकिन उनका यह निर्णय वर्तमान में प्रतिकूल माहौल और बढ़ती जा रही एण्टीइन्कवेंसी को देखते हुए भविष्य के लिए फेस सेविंग के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि इन सबके बीच इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि चुनाव न लडऩे की बजह उनका खराब स्वास्थ्य भी एक कारण हो सकता है क्योंंकि वे पिछले काफी समय से अस्वस्थ चल रही हैं।
राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से एंटी इनकंबेंसी को देखते हुए शिवराज मंत्रिमंडल के कई सदस्यों के टिकट काटे जा रहे हैं। मंत्रियों के टिकट काटे जाने की खबरों के बीच खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के टिकट पर भी संकट है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भले ही यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी से लगभग 30 हजार वोटों से जीती हों लेकिन इस बार उनकी स्थिति पिछले बार के मुकाबले ज्यादा ठीक नहीं। पार्टी सूत्रों की माने तो सर्वे और परफारमेंस के आधार पर वर्तमान में प्रदेश के 7 मंत्रियों और लगभग 21 विधायकों के टिकट काटे जाकर उनके स्थान पर दूसरे चेहरों को मौका दिया जाने की बात कही जा रही है, इन मंत्रियों में शिवपुरी के प्रभारी मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया सहित श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, ओपीएस भदौरिया आदि का नाम भी शामिल बताया जा रहा है। यहां बता दें पार्टी की ओर से अभी शिवपुरी सीट को अन्य सीटों के साथ होल्ड पर रखा गया है और किसी अन्य चेहरे के नाम का ऐलान भी नहीं हुआ है, लेकिन अब ऐसा कुछ शेष बचा भी नहीं जिसका अनुमान लगाना कठिन हो।यशोधरा राजे को लोकसभा के लिए चुनाव मैदान में उतारने के आश्वासन के साथ विधानसभा चुनाव से दूर रखने की बात भी उनके समर्थक प्रचारित कर रहे हैं, इनका तर्क है कि राजे चार बार विधायक और दो बार सांसद रह चुकी हैं, ऐसे में पार्टी उनको भविष्य में बड़ा मौका देगी। एक हकीकत यह भी है कि भाजपा ने कई मंत्रियों के टिकट काटने का जो निर्णय गुजरात पैटर्न पर लिया है उससे यह जताने का प्रयास किया गया है कि पार्टी में व्यक्ति नहीं संगठन महत्वपूर्ण है।
यशोधरा के स्थान पर ज्योतिरादित्य या फिर….
अब बात करें शिवपुरी सीट से टिकट की तो यशोधरा राजे नहीं तो कौन सा वह चेहरा होगा जिसे पार्टी चुनाव मैदान में इस सीट से उतारेगी? सियासी गलियारों में यह चर्चा सरगर्म है कि केंद्रीय नेतृत्व क्षेत्रीय क्षत्रपों को उन्हीं के इलाके में जोर आजमाइश के लिए चुन चुन कर विधानसभा चुनाव में उतार रहा है। ऐसे में सिंधिया राज घराने के परम्परागत संसदीय क्षेत्र रहे शिवपुरी और ग्वालियर क्षेत्र से पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया को शिवपुरी अथवा ग्वालियर पूर्व से बतौर विधानसभा प्रत्याशी मैदान में उतारने का निर्णय कर सकती है। जो मौजूदा राजनैतिक परिस्थितियां हैं उसके दृष्टिगत इस समय क्षेत्रीय क्षत्रपों और पार्टी के नामचीन चेहरों के लिए भी विधानसभा की लड़ाई इतनी आसान नहीं है जितनी आसान उनकी कद काठी के हिसाब समझी जा रही है।
ग्वालियर पूर्व में कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार का अपना प्रभाव क्षेत्र जबरदस्त है, जिसे भाजपा महापौर के चुनाव में भी आजमा चुकी है, उनके इस प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। ऐसे में संभावना बनती है कि टिपिकल मानी जा रही ग्वालियर पूर्व सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के आभामंडल को भाजपा इस्तेमाल कर सकती है और यदि ग्वालियर पूर्व नहीं तो फि र सिंधिया को शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से बुआ के स्थान पर विधानसभा चुनाव में उतार जा सकता है ताकि न केवल शिवपुरी सीट बल्कि उसके आसपास की सीटों पर भी सिंधिया के प्रभाव को भुनाया जा सके।
औचक निर्णय भौचक दिग्गज
भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व जिस तरह के औचक निर्णय ले रहा है, उससे उनके बड़े.बड़े दिग्गज खुद भौचक दिखाई दे रहे हैं। यहां हाल यह कर दिया गया है कि जो दिग्गज पिछले कुछ समय तक खुद टिकट बांटते थे, जिनके आगे पीछे टिकट की उम्मीद में नेताओं की भीड़ जुटा करती थी, वे खुद आज न केवल अपने समर्थकों को टिकट दिला पा रहे बल्कि उन्हें खुद के टिकट का तक पता सिरा नहीं। पार्टी के इन फैसलों के पीछे केंद्रीय नेतृत्व का क्या कुछ गणित है, यह तो वही जाने लेकिन स्थानीय स्तर पर ऊपर से भेजे जा रहे दिग्गजों का विरोध भी उनके ही अपने दल के उन दावेदारों के बीच जगह.जगह होना शुरू हो गया है जो वर्षों से अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे।
यह स्थिति पार्टी के लिए कहीं ना कहीं आने वाले समय में दिक्कत का सबब बन सकती है। यशोधरा राजे सिंधिया के चुनाव मैदान से हटने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया यदि शिवपुरी से उम्मीदवार नहीं घोषित होते तब की स्थिति में भाजपा किन चेहरों पर विचार कर सकती है इसे लेकर भी कई नाम सामने आने लगे हैं। बीजेपी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं अब बीजेपी की सूची का इंतजार किया जा रहा है जो धमाकेदार हो सकती है।