चुनावी चकल्लस/ संजय बेचैन
महाराज के Congress छोड़कर भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस में लंबे समय से चली आ रही गुटबाजी भले ही समाप्त मानी जा रही हो मगर यह खतरा पूरी तरह से टल गया हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता। एक तरफ एक एक सीट पर कमलनाथ फूंक फूंक कर टिकट वितरण की बात कर रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के इस प्लान को पलीता लगाने के लिए भाजपा के बड़े दिग्गज दल बदल के माध्यम से बड़ा गेम प्लान कर रहे हैं।
अन्दर खाने की खबर है कि Congress कुछ ऐसी सीटों पर सशक्त उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है जहां पार्टी पिछले गई चुनाव लगातार हारती आ रही है। कमजोर सीटों पर सशक्त प्रत्याशी का यह फॉर्मूला पूर्व में महाराज के कांग्रेस में रहने के चलते सफ ल नहीं हो पा रहा था। कुछ सीटों पर विपक्ष से टाईअप कर हारने वाले ऐसे मोहरे मैदान में उतारे जाते थे जो चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि चुनाव हारने के लिए खड़े होते थे। अब कांग्रेस महाराज मुक्त हो गई है लेकिन उनकी अनुपस्थिति के बावजूद जो खबरें सामने आ रही हैं उसके तहत चिन्हित सीटों पर कांग्रेस का जिताऊ प्रत्याशी उतारने का फॉर्मूला फेल करने के लिए चुनाव से पूर्व कुछ चिन्हित महाराज समर्थक मोहरों की कांग्रेस वापसी तय रणनीति के तहत कराई गई है।
कई चेहरे चुनाव से पूर्व कांग्रेस में वापस इसीलिए लाए गए हैं ताकि वे किसी भी तरह Congress नेताओं का विश्वास जीतें अथवा मनी मैनेजमेंट करें और टिकट हासिल करें ताकि प्रतिष्ठा पूर्ण कुछ सीटों पर भाजपा की जीत हमेशा की तरह आसान हो सके। जनबल में कमजोर लेकिन धनबल में सशक्त चेहरों के मार्फ त भाजपा कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को प्रभावित कर चुनावी समीकरण जिस तरह से साधने का प्रयास कर रही है यदि वह सफल हुआ तो कुछ सीटों पर फिर से नूरा कुश्ती दिखाई दे सकती है। हालांकि कांग्रेसियों का एक वर्ग इस बात को लेकर अलर्ट मोड पर आ गया है और हाल ही दल बदल कर आए सिंधिया निष्ठों को टिकट न देने के लिए लामबंद हो गया है।
Congress नेताओं का साथ कहना है कि जो सिंधिया समर्थक भाजपा से कांग्रेस में वापस आए हैं उनका पार्टी में तो स्वागत है लेकिन टिकट के इश्यू पर किसी तरह का कोई समझौता आंखों देखे मक्खी निगलने जैसी बात होगी।
अब रघुवंश वालों पर खतरा

भाजपा ने चंदेरी से जगन्नाथ सिंह रघुवंशी को टिकट का एलान कर दिया है, ऐसे में अब कोलारस से रघुवंश वालों की सम्भावना पर संशय पैदा हो गया है। वैसे भी यहां सिंधिया समर्थक महेन्द्र के रहते टिकट की किच किच मची हुई है , उस पर ये टिकट का जातिगत पेंच पड़ोसी सीट से उलझ गया। कहने वालों का कहना है कि अब ठाकुर को ठौर शिवपुरी मेंं ही बची है जहां वे सक्रिय होकर कभी खोड़ तो कभी बलारपुर में दिखाई दे रहे हैं। आगे आगे देखिए होता है क्या?
नौकरशाही का खेल, दाऊ दियन में दे रहे तेल…

चुनावी रंग चटख होने लगा है चुनावों में मात्र अब 90 से भी कम दिन बचे हैं। और चुनाव आचार संहिता में तो उससे भी कम ऐसे में हर तरफ चुनावी चर्चा सरगर्म है।
प्रशासन के अधिकारियों को बेसब्री से उस दिन का इंतजार है जब तिथि घोषणा हो और नेता नगरी के दबाव से राहत मिले। इस समय नेताओं की सीधी चढ़ाई अधिकारियोंं कर्मचारियों पर हो रही है। यहां प्रेशर पालिटिक्स के मारे ये बेचारे अपने विवेक से एक कदम भी नहीं उठा पा रहे। पद लोलुप अफसरों की जी हुजूरी के तो कहने ही क्या मगर नेताओं की पीठ फिरते ही इनकी व्यथा कथा सुनते ही बनती है।
इस बार मामला कुछ टेढ़ा है सो इन्हे कौंग्रेसी दियों में भी तेल देना पड़ रहा है। नौकरशाही का यह फन गजब का है इसीलिए अपने राम का कहना भी यही है कि देखिए नौकरशाही का खेल, दोऊ दियन में दे रहे तेल…
दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम

रघुवंश वाले नेताजी का मन मयूरा डांवाडोल हो रहा है। वे कोलारस से भाजपा के टिकट की बाट जोह रहे हैं मगर आश्वस्त नहीं हैं, यही बजह है कि वे शिवपुरी पर भी नजर गढ़ाए हुए हैं, मगर काँग्रेस से। अब जानकारों की सुने तो कोलारस से उनकी राह टिकट के बाद भी आसान नहीं है क्योंंकि वहां आपसी टांग खिंचाई इस कदर है कि कौग्रेस से पहले अपने ही पटकने फिर रहे हैं। नेताजी बड़े लडैय़ा हैं सो इस खामख्याली में हैं कि वे चाहे जहां से लड़ लेंगे। अपने राम का कहना तो यह है कि जो भी निर्णय लेना है लो अन्यथा ऐसा न हो कि दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम….क्योंकि कभी कभी देर भी अंधेर का कारण बन जाया करती है।
जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे…

कोई कुछ भी कहे मगर अधिकांश जानकारों की एक राय यही है कि नपा में छांट छांट कर किए गए सिलेक्शन ने इलेक्शन का गेम बजा डाला है। औरों की क्या कहें यहां तो खुद अपने ही रम्हाते घूम रहे हैं, उनकी ही कोई सुनवाई नहीं हो रही। अब आने वाले कल में इस मण्डली की सभाएं और हो जाएं तो फिर पूछना ही क्या है। दिक्कत यह है कि जो सांच कहे उस पर आंच आना तय है इसलिए लोगों ने भी ठान लिया है कि जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे.. तुम दिन को अगर रात कहो रात कहेेंगे…।
विनाशकाले विपरीत बुद्धि

जब वक्त बुरा होता है तो बुद्धि भी वैसी ही हो जाती है। पिछोर में श्रावण मेला के आयोजन को सीएम की सभा के नाम पर अस्तव्यस्त कराने के पीछे कोई भी क्यों न हो और उसका मन्तव्य कुछ भी क्योंं न रहा हो मगर यह विशुद्ध रुप से जनविरोधी निर्णय के अलावा कुछ नहीं। एक तो जनता वैसे ही नाराज ऊपर से फिजूल की लूट मार अब आने वाले कल में मय सूद के इसका जबाव मिलेगा तब इस फैसले पर माथा पीटने के अलावा कुछ शेष नहीं रहेगा। कहावत है छलनी में दूध दुहो और किस्मत को दोष दो।
पिछोर से तीसरी बार प्रीतम पर दांव

भाजपा ने 39 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है शिवपुरी जिले की पिछोर सीट से लगातार 2 बार हार का मुंह देख चुके उम्मीदवार प्रीतम इस बार भी भाजपा की पहली पसंद बन गए हैं। लगता है विवादों में उलझे प्रीतम के अलावा भाजपा पर कोई चेहरा भी नहीं है जो पिछोर से प्रत्याशी बनाया जाए। अब एक बात तो तय हो गई अभी से कि एक तरफ कक्काजू तो दूसरी तरफ प्रीतम ये दोनों ही नाम अभी से फायनल हैं सो पिछोर का दंगल आज से ही शुरु मानिए।
पार्षद पर एफआईआर की तैयारी
अब नपा में पार्षदों पर भी निशाने की तैयारी है अभी वार्ड 18 की महिला पार्षद को नपा कर्मियों ने जो खरीखोटी सुनाई उस पर कोई एक्शन भले ही नहीं हुआ, मगर इधर Congress पार्षद पप्पू गुप्ता की नपा कर्मी से हुई गाली गलौच पर पार्षद के खिलाफ मुकदमे की तैयारी कर डाली गई। खबर है कि पार्षद के गाली गलौच के वायरल वीडियो के साथ नपा ने एक आफिशियल पत्र पुलिस अधीक्षक को भेज दिया है जिसमें अब एफआईआर कटने की तैयारी है। इस पर कोई कुछ भी कहे पर अपने राम का कहना तो यही है कि जबरा मारे रोने न देय… अभी जो फुदक रहे हैं उनकी भी फुदकन कब बंद हो जाए कहना जरा मुश्किल है।