अब होगा सडक़, पुल-पुलिया, सीएम राइज स्कूल, सिंचाई परियोजना सहित अन्य निर्माण के कार्यों पर फोकस

रोजगार के अवसर बढ़ाने पर… सरकार का सर्वाधिक फोकस

भोपाल । मप्र की 16वीं विधानसभा का मानसून सत्र जुलाई के पहले सप्ताह में शुरू हो सकता है। इसको देखते हुए अधिकारियों ने बजट बनाने की तैयारियां शुरू कर दी है। राज्य सरकार मप्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए एक ओर जहां औद्योगिक विकास पर जोर दे रही है, वहीं पूंजीगत व्यय को भी और बढ़ाने की कार्ययोजना पर काम कर रही है। आगामी बजट में पूंजीगत व्यय के लिए प्रविधान 63 हजार करोड़ रुपये से अधिक करना प्रस्तावित है। इसका लाभ यह होगा कि केंद्र सरकार से विशेष पूंजीगत सहायता अधिक प्राप्त होगी। गौरतलब है कि अधोसंरचना विकास और रोजगार के लिए पूंजीगत व्यय 2023-24 में 56 हजार 500 करोड़ रुपये किया गया था, जिसे अब 63 हजार करोड़ रुपये से अधिक ले जाने की तैयारी है। इसमें औद्योगिक विकास केंद्रों का विकास, सडक़, पुल-पुलिया, सीएम राइज स्कूल, सिंचाई परियोजना सहित अन्य निर्माण के कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव द्वारा बजट की तैयारियों को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में निर्देश देने के बाद विभाग कार्ययोजना बनाने में जुट गए हैं।

प्रदेश में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार अधोसंरचना विकास पर विशेष ध्यान दे रही है। इसके तहत रोड नेटवर्क का विकास किया जा रहा है। एक्सप्रेस वे बनाए जा रहे हैं ताकि औद्योगिक गतिविधि, पर्यटन, रोजगार स्वरोजगार को बढ़ावा मिले। औद्योगिक विकास केंद्रों में अधोसंरचना का विकास किया जा रहा है तो नए क्षेत्र भी विकसित किए जा रहे हैं। कोरोना महामारी के समय केंद्र सरकार से पूंजीगत कार्यों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रविधान किए। ऋण लेने की सीमा में भी वृद्धि कुछ शर्तों के साथ दी गई थी। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में पूंजीगत व्यय में रिकार्ड 15 प्रतिशत की वृद्धि करके 56 हजार 256 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया। सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2024-25 में इसे बढ़ाकर 63 हजार करोड़ रुपये से अधिक किया जा सकता है। इसके लिए विभागों को प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा गया है ताकि उन्हें बजट में शामिल किया जा सके। सरकार को जोर युवा शक्ति का उपयोग प्रदेश के सर्वांगीण विकास में करने पर है। मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन योजना, संत रविदास स्वरोजगार योजना, रोजगार दिवस के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बैंक ऋण स्वीकृत कराने, ब्याज अनुदान देने का प्रावधान किया है। चार नए ग्लोबल स्किल पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। फ्यूचर जाब स्किल पाठ्यक्रम प्रारंभ करने के लिए जबलपुर, उज्जैन, भोपाल का चयन किया गया है। स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला में भाग लेने पर सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग को राशि उपलब्ध कराई जा रही है।

अधोसंरचना विकास के कामों को गतिवित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार स्थानीय स्तर पर रोजगार के अधिक से अधिक अवसर सृजित करने के लिए निवेश को बढ़ावा देने पर कार्ययोजना बनाकर काम कर रही है। इसके लिए अधोसंरचना विकास के कामों को गति दी जा रही है। 56 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत की सडक़ परियोजनाओं पर काम चल रहा है। औद्योगिक विकास केंद्रों में सभी तरह की सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। नए औद्योगिक केंद्र बनाने के साथ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए क्लस्टर बनाए जा रहे हैं। ऊर्जा के क्षेत्र में सुधार के लिए कार्ययोजना बनाकर काम हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि आगामी बजट में अधोसंरचना विकास के लिए 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का प्रविधान रखा जा सकता है। इसमें सर्वाधिक राशि पिछली बार की तरह ऊर्जा विभाग को उपलब्ध कराई जा सकती है। वहीं, जल जीवन मिशन के कार्यों को तेजी के साथ पूरा करने के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को अतिरिक्त राशि मिल सकती है।प्रदेश ने बीते सालों में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय तरक्की हासिल की है। इनमें औद्योगिक विकास एक ऐसा क्षेत्र रहा, जिसमें सबसे ज्यादा ग्रोथ देखने को मिली है। हाल के वर्षों में निवेशकों के लिए प्रदेश पहली पसंद बनकर उभरा है। निवेश के लिहाज से उद्योगों के लिए बिजली, पानी और सड़क जैसी आधारभूत सुविधाएं बेहद जरूरी होती हैं। मध्य प्रदेश इन सभी पैमानों पर निवेशकों के लिए खरा उतरा है। प्रदेश में उद्योगों के अनुकूल माहौल बनाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए। सिंगल विंडो सिस्टम, बिना अनुमति उद्योग की स्थापना समेत उद्योग जगत से किए गए अन्य वादे भी पूरे किए गए हैं। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि पिछले 10 वर्षों में मध्य प्रदेश में तकरीबन तीन लाख करोड़ के उद्योग धंधे लगे। इन उद्योगों के माध्यम से आर्थिक प्रगति के साथ-साथ दो लाख युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिले। हालांकि, परिस्थितियां अब भी पूरी तरह से दोषहीन नहीं हैं। कई समस्याएं अब भी हैं, जिनमें सुधार की गुंजाइश बनी हुई है। उद्योगों की स्थापना से जुड़े विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली इनमें से एक है। अगर बचे हुए सुधार भी शासन की ओर से लागू कर लिए जाते हैं ,तो सर्वाधिक निवेश के मामलों में मध्य प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो जाएगा।

ऐसे बढ़ा प्रदेश में पूंजीगत व्यय…

गौरतलब है कि सरकार का हर बार उन योजनाओं-परियोजनाओं पर फोकस रहता है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ सके। इसके लिए सरकार साल दर साल पूंजीगत व्यय बढ़ा रही है। वित्त वर्ष 2019-20 में पूंजीगत व्यय 30 हजार 228 करोड़ रुपये था, वहीं 2020-21 में 31 हजार 586 करोड़ रुपये, 2021-22 में 40 हजार 415 करोड़ रुपये, 2022-23 में 48 हजार 800 करोड़ रुपये और 2023-24 में 56 हजार 256 करोड़ रुपये किया गया है।

Share this article >
Aarav Kanha
Aarav Kanha
Articles: 258

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from बेचैन नज़र

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading