मिलावटी सामान की बड़ी खेप बाजार में
पर्व त्योहारों के अवसर पर खाद्य सामग्रियों में मिलावट करने वालों की पौ-बारह हो जाती है। ऐसे मिलावटखोर व्यापारी इन अवसरों का विशेष रूप से इंतजार करते है। पर्व त्योहार के अवसर पर मिलावटखोर अपने मिलावटी सामानों की बिक्री कर मोटी कमाई करते हैं। काफी संख्या में लोग सस्ते के चक्कर में पड़कर ऐसे खाद्य सामग्रियों की खरीदारी करते है और आर्थिक हानि के साथ-साथ स्वास्थ्य की भी हानि उठाते है। काफी संख्या में लोग मिलावटी सामानों की पहचान नहीं कर पाने के कारण भी धोखा खा जाते हैं। होली पर्व के कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में मिलावट खोर एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में जिस स्तर पर ऐसे लोगों के विरूद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। उस स्तर पर इनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं हो पा रही है। मिलावट करने वाले व्यापारी बेखौफ होकर अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं। मिलावट का धंधा विभिन्न प्रकार से विभिन्न खाद्य सामग्रियों में किया जाता है।मिलावटखोरों के काली करतूत आम शहरवासी के जायका से लेकर घरों तक आसानी से पहुंच रही है। बाजार में बिकने वाले नकली एवं मिलावटी बेसन, सरसों तेल, रिफाइंड ऑयल, वनस्पति घी , नमक, धनिया, हल्दी, मिर्च, जीरा सौंफ इत्यादि में भी मिलावट खोरी का जाहर फैला हुआ है। कम लागत से सस्ती सामानों के प्रयोग से बनाए गए इन प्रोडक्ट्स को खाने से तीन प्रकार की बीमारियां, पेट से संबंधित परेशानियां मैंने कई प्रकार के समस्याओं से लोर्र्ग्र जूझ रहे हैं।मसालों में बड़ी मिलावट, असली दिखाने के लिए रंग का प्रयोग आजकल बाजार में मसालों की भर्ती डिमांड एवं आपूर्ति में कमी को देखते हुए व्यवसाय नकली एवं मिलावटी मसाले बाजार में उतार चुके हैं। मसालों को असली दिखाने के लिए रंगों एवं झास का प्रयोग किया जाता है जिससे वह आकर्षक एवं असली दिखे। इन मसालों में ज्यादातर हल्दी, धनिया, मिर्च इत्यादि के पाउडर शामिल है।
शुद्ध घी की जगह मिल रहा वानस्पति घी
वनस्पति घी वनस्पति तेल से बनता है, इसे ठोस बनाने के लिए हाइड्रोजनीकृत किया जाता है। शुद्ध घी के बनावट और स्वाद की नकल करने के लिए इसे हाइड्राजनैशन किया जाता है। ट्रांस फैटी एसिड सामग्री में वृद्धि हाइड्रोजनीकरण का कारण होती है। इसके प्रयोग से दिल की बीमारी,ब्रेस्ट कैंसर का खतरा,गर्भ में पल रहे बच्चे की आंखों में नुकसान होता है।
बिना दूध के भी तैयार हो जाता है देसी घी
इसके लिए एसेंस के साथ चर्बी और बटर आयल का भी इस्तेमाल किया जाता है नकली घी के व्यापार के लिए विक्रेताओं के द्वारा हिंदू देवी देवताओं के नाम पर भी ब्रांडिंग की जाती है पूजा के लिए जी का उपयोग करने के नाम पर नकली घी की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है ग्राहक भी पूजा के नाम पर नकली घी को खरीदने से परहेज नहीं करते हैं।
शुद्ध देसी खरीदने से पहले दें ध्यान
शुद्ध देसी घी का असली रंग पीला या सुनहरा होता है। घी का दानेदार भाग जो तली में बैठ जाता है, वह ऊपर तैरते हुए घी के तरल सुनहरे भाग से अधिक सफेद होता है। बाजार से खरीदे गए घी में खुशबू और प्रिजरवेटिव मिलाए गए हैं, जिससे यह लंबे समय तक ताजा बना रहता है। घी की शुद्धता की जांच करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
किस प्रकार होता है मिलावट का खेल
अभी जो बाजार में सामान बिक रहे हैं उनमें से सबसे ज्यादा मिलावट मैदा सूजी बेसन मसाला सामग्री तेल भी में मिल रहा है सरसों के तेल में जहां का मोबाइल वह सिर्फ मिलाया जा रहा है वही खराब गेहूं से मैदा किराया सूची आटा व रंग से बेसन को तैयार किया जा रहा है यहां तक कि हल्दी वह मसाले में भी मिलावट किया जा रहा है।खाद्य पदार्थ में मिलावट सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक है। नकली या मिलावटी खाद पदार्थ का शरीर पर काफी दुष्प्रभाव होता है। इस प्रोडक्ट से पेट खराब के अलावा कैंसर तक की बीमारी हो सकती है। मिलावटी तेल से जहां आंखों की रोशनी जा सकती है। वहीं मिलावटी खाद्य पदार्थों व तेल व घी से लीवर तक डैमेज हो सकता है। मिलावटी खाद्य पदार्थों से पेट में अल्सर कैंसर जैसी कई बीमारियां हो सकती है।- डॉ. शिल्पी पाठक
ऐसे जांचे मिलावटी घी
जानकार बताते हैं कि घी में मिलावट जानने के लिए एक चम्मच पिघले घी में एक चम्मच हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाएं। फिर इसमें दो चम्मच चीनी खोलिए। अगर दो रंगहीन सतह दिखे तो यह घी शुद्ध है। यदि नीचे का सतह भूरा- लाल हो जाए तो इसका मतलब इसमें वनस्पति घी मिलाया गया है।