सात मंत्रियों के दबदबे वाले शिवपुरी में सन्नाटा, किसी को नहीं मिला मंत्री पद

शिवपुरी की झोली खाली

-शिवपुरी की झोली खाली-

-जिला ही नहीं बल्कि समूचा संसदीय क्षेत्र रहा अछूता

-फार्मूले के चलते यादवी समीकरण के दायरे से बाहर हुए महेंद्र

गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से किसी को भी प्रदेश मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला है। यह लोकसभा क्षेत्र मंत्रिमंडल के लिहाज से प्रतिनिधित्व शून्य हो गया है। अब से पूर्व की स्थिति पर नजर डालें तो यह वही शिवपुरी जिला है जहां से प्रभारी मंत्री और मंत्री का दर्जा प्राप्त नेताओं सहित सात सात चेहरे प्रदेश की सियासत में चमक रहे थे। मंत्री प्रदेश में मंत्री का रुतबा हासिल करते थे। इससे पूर्व कांग्रेस सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया जब गुना शिवपुरी का प्रतिनिधित्व करते थे तो वे स्वयं भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शुमार रहे भले ही सरकार कांग्रेस की रही हो। इस बार जैसा सन्नाटा अब से पूर्व कभी नहीं रहा।शिवपुरी जिले के पांच में से चार विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें भाजपा का कब्जा है, और कांग्रेस यहां मात्र एक पोहरी सीट पर सिमट कर रह गई है। सीएम डॉ मोहन यादव कैबिनेट के गठन के दौरान इस बात को लेकर उम्मीद लगाई जा रही थी कि शिवपुरी जिले से किसी ना किसी को प्रतिनिधित्व मिलेगा, लेकिन केंद्र के स्तर पर जिस तरह के जातिगत, क्षेत्रीय और अन्य समीकरणों को मंत्रिमंडल गठन में आधार बनाया गया उसके चलते न केवल शिवपुरी जिले को बल्कि समूचे गुना शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र को ही मंत्रिमंडल में कोई स्थान नहीं मिल पाया। जिस तरह से प्रदेश में पहली बार में ही बड़ी संख्या में मंत्री बनाए गए हैं उसके दृष्टिगत आने वाले लंबे समय तक इस मंत्रिमंडल में फे रबदल के भी कोई चांस कहीं से कहीं तक नजर नहीं आ रहे।

शिवपुरी जिले की कोलारस एवं करैरा विधानसभा सीट पर दो-दो मर्तबा के जीते विधायक चेहरे के तौर पर महेन्द्र यादव और रमेश खटीक हैं, तो शिवपुरी विधानसभा सीट से विधायक बने देवेंद्र जैन थर्ड टर्म के विधायक हैं जबकि पिछोर विधानसभा सीट से पहली बार लोधी समुदाय के प्रीतम लोधी विधानसभा पहुंचे हैं। ऐसा माना जा रहा था कि कोलारस विधायक महेंद्र यादव जो कि जिले में सर्वाधिक मतों से विजयी विधायक हैं, उन्हें सिंधिया कोटे से मंत्री पद का रुतबा हासिल हो सकता है, लेकिन प्रदेश में मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही महेंद्र यादव के मंत्री बनने की संभावना समाप्त हो गई थी क्योंकि यादवी समीकरण को साधने के लिए अब मुख्य मंत्री का चेहरा ही पर्याप्त हैं।बात करें गुटबाजी की तो ऐसा नहीं है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का दखल भाजपा के इस मंत्रिमंडल गठन में नहीं चला हो। सिंधिया की भरपूर चली है, और उन्हीं के दखल के चलते तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, एदल सिंह जैसे चेहरे मोहन कैबिनेट के सदस्य बन सके हैं मगर सात सात मंत्रियों वाला शिवपुरी जिला सूना रह गया है।

संगठन की रिपोर्टिंग और फीडबैक अब अहम-

सूत्रों की माने तो भारतीय जनता पार्टी संगठन में प्रदेश भर से जीतकर आए विधायकों के बारे में सब कुछ संगठन के फीडबैक पर ही आश्रित रहा है। संगठन का दखल अब हर स्तर पर मौजूद है। ऐसे में किसी तरह की टीका टिप्पणी अथवा विवाद को साथ लेकर चलने वाले विधायकों के बारे में पार्टी फूं क फूं क कर कदम रख रही है। इस बार भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है ऐसे में परिस्थितियां पिछले बार से सर्वथा भिन्न है, जिसमें पहले की तरह विधायक या मंत्री संगठन की अनदेखी कर सरकार पर दबाव बना सकने या प्रेशर पालिटिक्स चलाने की स्थिति में कतई नहीं है। संगठन के सूत्रों की माने तो भविष्य में भी केवल उन्हें विधायकों को तवज्जो मिल सकती है जिनका ट्रैक रिकॉर्ड विवादों से परे और साफ सुथरा होगा।

Share this article >
Rahil Sharma
Rahil Sharma
Articles: 95

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from बेचैन नज़र

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading