पीडब्लूडी आवासों की पुताई और मेंटीनेंस के नाम पर कागजीबाड़ा

जो आवास दो साल से नहीं पुते उनका भी निकाला जा रहा है भुगतान
  • विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से आवासों की हालत जर्जर

शिवपुरी में लोक निर्माण विभाग पूल के सरकारी कर्मचारियों के आवास की पुताई और रखरखाव के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा पिछले कुछ सालों से चल रहा है। यहां हो यह रहा है कि सरकारी आवासोंं की हालत जर्जर पड़ी है मगर कागजों में इनके रखरखाव और पुताई के नाम पर लाखों के भुगतानकिए जा रहे हैं। इस सम्बंध में दैनिक जागरण ने सरकारी आवासों में निवासरत कर्मचारियों से जब जमीनी हकीकत जानी तो अधिकांश का कहना था कि पुताई के टेण्डर हुए या नहीं उनको नहीं पता मगर इतना अवश्य है कि उनके आवास सरकारी स्तर पर पिछले दो साल से नहीं पुते इन आवासों के पुताई ठेकों की बात करें तो विभाग के स्तर पर टेण्डर शिवपुरी के दोनों सब डिवीजन में हुए मगर इसके बावजूद पुताई कहीं से कहीं तक नजर नहीं आ रही।

गत वर्ष भी यही हुआ चंद चुनिंदा कोठियों और आवासों को पुतवा कर ठेकेदार चुप्पी ओढ़ लेते हैं। चूंकि 90 प्रतिशत कर्मचारी दीवाली के समय स्वयं के खर्च पर आवासों की पुताई करा लेते हैं, ऐसे में उनके निजी खर्च पर कराई गई पुताई के भी बिल समिट कर विभागीय अमला इनके भुगतान की प्रक्रिया को सम्पन्न कराने का खेल खेलता है। यहां तथ्य यह है कि ये टेण्डर मार्च तक की समयावधि के लिए होता है ऐसे में सरकारी आवासों में निवासरत कर्मचारी भी दीवाली के बाद इस बात को ध्यान में नहीं रखते कि उनका आवास सरकारी स्तर पर नहीं पुता और इसी बात का लाभ उठा कर यह सारा खेल खेला जा रहा है।

खिड़की दरवाजों के वार्निश आदि तो वर्षों से नहीं हुए हैं। मेंटिनेंस की बात करो तो यहां कागजों में आवासों का संधारण होता है खर्चे डाल दिए जाते हैं हकीकत में ये आवास वर्ष दर वर्ष जर्जर होते जा रहे हैं। पुताई के सम्बंध मेंं विभागीय सूत्रों का कहना है कि दोनो सब डिवीजन में ये टेण्डर इस बर्ष भी हुए हैं मगर पुताई कहीं से कहीं तक नहीं हुई। सरकारी कर्मचारी आवासों मेंं निवासरत लोगों के इसके वेरीफिकेशन की प्रक्रिया उपरांत भुगतान किया जाना चाहिए मगर यहां ऐसा भी नहीं हो रहा। उपयंत्री से लेकर कार्यपालन यंत्री तक की भूमिका पर इस सम्बंध में तमाम सवाल उठ रहे हैं। यह किसी एक वर्ष की कहानी नहीं बल्कि पिछले काफी समय से यही चल रहा है।

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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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