टिकट नहीं मिलने पर क्या कदम उठाऐं, जानने के लिए भाजपा के दर्जा प्राप्त मंत्री ने 3 को बुलाई बैठक
- पोहरी विधानसभा में जाति विशेष को तरजीह देने से बचे भाजपा
- 2018 में मेरा टिकट रातों रात काटना मंहगा पड़ा, तीसरे क्रम पर आया पार्टी प्रत्याशी
भारतीय जनता पार्टी में अब पुराने नेताओं के भी सुर और तेवर बदलना शुरू हो गए हैं । ताजा मामला पोहरी विधानसभा क्षेत्र का है, जहां से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक एवं प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त नेता नरेंद्र बिरथरे ने भी इस विधानसभा से 2023 के चुनाव में दावेदारी जताते हुए स्पष्ट तौर पर कहा है कि यदि उन्हें पार्टी टिकट नहीं देती है, तो ऐसी स्थिति में क्या रणनीति होगी इसके लिए 3 तारीख को मैंने कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है, जिसमें उनकी भावनाओं को जानने के बाद अगला कदम और रणनीति तय की जाएगी।
मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में नरेंद्र विरथरे ने कहा कि इन दिनों भारतीय जनता पार्टी का मूल कार्यकर्ता परेशान है। प्रशासनिक दृष्टि से उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही, और आर्थिक दृष्टि से भी वह कमजोर है, पार्टी को इस पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने इस विधानसभा सभा क्षेत्र से खुद की दावेदारी के संबंध में पूछे गए प्रश्न के जवाब में कहा कि 2018 के चुनाव में भी उनका टिकट पोहरी से लगभग फ़ाइनल था, लेकिन चुनाव से चंद दिन पहले आधी रात को उनका टिकट काट दिया गया और भाजपा ने जिस प्रत्याशी को टिकट दिया उसकी स्थिति पर गौर करें तो वह तीसरे नंबर पर आया था। बकौल विरथरे पोहरी विधानसभा क्षेत्र में जातिवाद को लेकर लोग परेशान हैं जाति विशेष से लोगों की नाराजगी साफ दिखाई दे रही है। भाजपा को अब इस जातिवाद को तरजीह देने से बचना चाहिए। नरेंद्र बिरथरे ने कहा कि यदि पार्टी से उन्हें टिकट मिलता है तो वह यह सीट जीत कर देंगे और यदि टिकट नहीं मिलता है तो क्या वह काँग्रेस या अन्य दल की राह पकड़ेंगे? इस पर उन्होंने साफ कहा कि यदि टिकट नहीं मिलता तो वे क्या कदम उठाऐंगे, इसके लिए आगामी 3 तारीख को मैंने अपने कार्यकर्ताओं की पोहरी में बैठक बुलाई है, जिसमें उनसे वह चर्चा करेंगे कार्यकर्ता व जनता मुझसे क्या अपेक्षा रखते हैं यह सब जानकर अब आगे की रणनीति तय की जाएगी।
इस दौरान उन्होंने शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से कैबिनेट मंत्री यशोधर राजे सिंधिया के उठ रहे विरोध पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि शिवपुरी विधानसभा सीट 1990 से भारतीय जनता पार्टी की कब्जे वाली सीट रही है, केवल एक सवा साल का वीरेंद्र रघुवंशी का कार्यकाल छोड़ दें तो यहां भाजपा काबिज रही है, रही बात किसी के विरोध की तो जनता की व्यक्ति विशेष से नाराजगी हो सकती है, लेकिन पार्टी से जनता की कोई नाराजगी नजर नहीं आती।