- जिले भर में एनजीटी के प्रावधानों खूंटी पर
- रेतीले नेता, रेतीले थाने और मौन प्रशासन के चर्चे जोरों पर
यह सच्चाई है कि रेत पर यहां समय समय पर सामने आती रही रार आज भी जारी है। सेण्ड सिण्डीकेट में विधायकों, मंत्रियों से लेकर अफसरों की सायलेंट पार्टनरशिप भी चर्चा में रही है। यहां कई थानों को प्राइम पोस्टिंग का थाना इसलिए माना जाता है क्योंकि ये रेतीले थाने हैं जहां पैसा आता नहीं बरसता है। यही कारण है कि इन थानों पर पोस्टिंग को लेकर गत समय पुलिस के आला अधिकारियों और तत्कालीन प्रभारी मंत्री तक के बीच रार ठन गई थी।
शिवपुरी में सत्ता पक्ष के नेताओं से लेकर रसूखदार लोग दम से अवैध खनन कर रहे हैं। रेतीले थानों पर पोस्टिंग के लिए यहां जोर आजमाईश का दौर हमेशा से देखा गया है।
इन थानों पर पोस्टिंग्स के लिए मंत्रियों तक की सिफारिशें आती हैं और उसी के अनुसार पोस्टिंग देना यहां पुलिस अधिकारियों की मजबूरी हो जाती है। गत वर्ष अवैध खनन पर तत्कालीन एडीजी
डी श्रीनिवास वर्मा ने पुलिस अधीक्षक को जारी पत्र में रेत पत्थर गिट्टी के अवैध उत्खनन का कारोबार करने वाले माफियाओं को चिन्हित कर उनके विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे। उनके इस आदेश का धरातल पर कोई असर नहीं दिखाई दिया।
अंधेरगर्दी अब से पहले कभी नहीं देखी गई। यहां करैरा नरवर के कल्याणपुर, पूल्हा, बीजौर,सीहोर, चितारी,छितरी क्षेत्र में धुंआधार ढंग से रेत का खनन जारी है। इस खनन में मेसर्स रॉयल नेचुरल स्टोंस प्रालि कंपनी की भूमिका भी अब जांच के घेरे में आ गई है। प्रशासनिक संरक्षण में चल रहे इस अवैध खनन के लिए नदियों में पन डुब्बियों से लेकर पोकलेन तक घनघनाती देखी जा रही हैं। दिखावे को प्रशासन पूर्व सूचना कर रेत के कारोबार पर छापामारी का स्वांग करता है, और कुछ पनडुब्बियों की जब्ती के बाद फिर जस के तर हालात हो जाते हैं। तमाम अनियमितताओं के सामने आने के बाद एक भी सेण्ड माईन की लीज निरस्ती नहीं होना यह दर्शाता है कि सब नियोजित अंदाज में खेल खेला जा रहा है। कोलारस, बदरवास में भी नदियों में सरेआम पनडुबबी और एलएनटी उतार कर अवैध रेत खनित की ता रही है।
रेत का अवैध कारोबार यहां प्रतिदिन लाखों में पहुंच गया है रेत के गोरखधंधे में नेताओं की सांझेदारी शुरु से ही सवालों में रही है। यहां करैरा, नरवर, कोलारस बदरवास में एनजीटी के प्रावधानों के विरुद्ध जाकर सिंध नदी से रेत का दोहन धुंआधार ढंग से जारी है। बड़े नेताओं के नाम भी इस रेतीले कारोबार के सिंडिकेट में सामने आते रहे है। सरकार किसी की भी हो यहां रेत माफियाओं के हमजोली दोनों ही दलों के नेता होते रहे हैं। अवैध रेत खनन पर जब जब कार्रवाई की बात उठी नौकरशाहों ने हमेशा अवैध खनन को संरक्षण देते हुए देखने दिखाने को सिर्फ परिवहन पर कार्रवाई की और उसे ऐसा प्रदर्शित किया मानो अवैध खनन पर शिकंजा कस दिया गया हो। कोई खदान निरस्त नहीं हुई, किसी खदान संचालक पर जुर्माना नहीं हुआ मात्र परिवहन पर कार्रवाई दर्शाकर ऊपर तक फर्जी फीडबैक परोसा गया।
-एनजीटी को ठेंगा , नदियों में जल जीवन को खतरा–
अवैध रेत खनन इतने बड़े पैमाने पर हो रहा है कि नदियों का जलीय जीवन खतरे में आ गया है। एनजीटी के प्रावधान कागजों में ही दफ न होकर रह गए हैं। उनका पालन मैदान में कहीं नजर नहीं आ रहा। यहां करैरा नरवर क्षेत्र में नदियों में पनडुब्बी और पोकलेन उतारी जाकर मशीनों के मार्फ त रेत खनन किया जा रहा है। जिले में नकली रेत का कारोबार भी कोपरा के नाम से दम से चल रहा है वन विभाग पुलिस विभाग राजस्व और माइनिंग विभाग के तमाम सारे चेहरे इस हमाम में डूबे दिखाई दे रहे हैं। यही स्थिति पक्ष और विपक्ष के नेताओं की भी कहीं जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। सेण्ड सिण्डीकेट की हालत यह है कि यहां अधिकारियों की दम नहीं कि इन पर हाथ डालने की जुर्रत कर सकें।
–कार्रवाई के नाम पर परिवहन पर कसते है शिकंजा खनन को छूट-
जब जब रेत के इस काले कारोबार पर कार्रवाई का दम भरा जाता है तब तब प्रशासन द्वारा मात्र कुछ डंपर कुछ ट्रॉली और दो चार मशीनों की जब्ती कर अपनी पीठ थपथपाई कर ली जाती है, लेकिन जिन कंपनियों और लोगों के नाम रेत खदानें हैं और जहां जहां से रेत का यह काला धंधा पनप रहा है उनकी लीज निरस्ती की कार्यवाही नहीं की जाती। वाहनों से तो रेत खनन करते नहीं फिर परिवहन को उत्खनन से क्यों लिंक किया जाता है। कुल मिलाकर छुटपुट कार्यवाही दिखाकर इस बड़े गोलमाल को संरक्षण देने का खेल बड़े स्तर से जारी था, जारी है और जारी रहेगा भागीदार बदलते रहेंगे मगर कारोबार चलता रहेगा।