– हर माह लगातार बढ़ रहा है अतिकुपोषितों का आंकड़ा
– एनआरसी के आंकड़े कुपोषण की दे रहे गवाही
Shivpuri जिले में कुपोषण से हुई दो मौतों के बावजूद यहां सरकारी तंत्र कोई सीख लेने को तैयार नहीं। पोहरी अनुविभाग में कुपोषण अपने चरम पर है गरीबों के लिये आने वाले पोषण आहार पर समूह संचालकों, कार्यकर्ता, सहायिका एवं परियोजना आधिकारी कार्यालय के अधिकारी कर्मचारी कमीशन के रूप में डकार रहे हैं। जबकि ग्रामीण बच्चे गंभीर कुपोषण से जूझ रहे हैं। कुछ माह के एनआरसी के आंकड़ों को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात कितने बदतर हो चुके हैं।
जानकारी के अनुसार पोहरी महिला बाल विकास परियोजना के अंतर्गत कुल 09 सेक्टर बनाये गये हैं। सेक्टर के अंतर्गत कुल 326 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं। इन आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से गर्भवती महिला की पहचान कर उसे समय समय पर परीक्षण एवं स्वास्थ परामर्श के साथ ही आवश्यक स्वास्थवर्धक दवाओं का वितरण भी करने का प्रावधान किया गया है। किंतु अधिकारी एवं कर्मचारियों की कर्तव्यपालन में गंभीर उदासीनता के कारण पोहरी एनआरसी में इस वर्ष के अप्रैल माह में 14 अतिकुपोषित बच्चों को, मई माह में 15 अति कुपोषित, जून माह में 14 अति कुपोषित जुलाई माह में 28 अति कुपोषित, अगस्त माह में 28 तथा सितंबर माह में अभी तक 17 अतिकुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया जा चुका है। अप्रैल से सितंबर के दौरान कुल 116 बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया गया परंतु इसके अलावा कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें भर्ती नहीं कराया गया तथा कई बच्चे ऐसे भी रहे। जिन्होने समय से इलाज के अभाव में प्राण त्याग दिये होंगे।बाक्स
यह है प्रावधान
आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 06 वर्ष तक आयु के बच्चे, गर्भवती व धात्री शिशुवती,माताओं तथा किशोरी बालिकाओं 11 से 14 आयु वर्ग की शाला त्यागी की पहचान हेतु समुदाय के सभी परिवारों का सर्वेक्षण किया जाता है, तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के प्रावधान अनुरूप वर्ष में तीन सौ दिन पूरक पोषण आहार दिया जाता हैं। वर्तमान में 06 माह से 06 वर्ष तक के बच्चों को रूपये 08:00 प्रति बच्चा प्रतिदिन के मान से 12.15 ग्राम प्रोटीन एवं 500 कैलोरी युक्त पोषण आहार दिये जाने का प्रावधान है। गंभीर कुपोषित बच्चों को रूपये 12:00 प्रति बच्चा प्रतिदिन के मान से 20.25 ग्राम प्रोटीन एवं 800 कैलोरी युक्त पोषण आहार तथा गर्भवती धात्री माताओं एवं किशोरी बालिकाओं को रूपये 0 9:50 प्रति हितग्राही प्रतिदिन के मान से 18.20 ग्राम प्रोटीन एवं 600 कैलोरी युक्त पूरक पोषण आहार आंगनवाड़ी केंद्र के माध्यम से दिये जाने का प्रावधान है। यदि विभाग अपने दायित्वों का निर्वहन पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी से कर रहा होता तो शायद कुपोषण को दूर किया जा सकता था।
-ये रहे माहवार पोहरी में कुपोषण के हालात-अप्रैल माह में -14 ,मई माह में -15 ,जून माह में -14 ,जुलाई माह में- 28 ,अगस्त माह में -28, सितम्बर माह में अभी तक 17 कुल 116 अतिकुपोषित बच्चों को एनआरसी भेजा जा चुका है।
326 आंगनबाडी केन्द्र हैं पोहरी में
पोहरी में 09 सेक्टर कार्यरत ,205 समूह संचालित हैं, यहां स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा का भी है दायित्व। आंगनवाड़ी केन्द्रों का उद्देश्य बच्चों का मानसिक विकास करना भी है जिससे वह प्राथमिक स्कूल में और बेहतर तरीके से शिक्षा प्राप्त कर सकें। इसके लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को खेल.खेल में अनौपचारिक शिक्षा दिये जाने का प्रावधान है। बच्चों को प्राकृतिक संसाधनों जैसे .जल जंगल जानवर इत्यादि के बारे में प्रारंभिक ज्ञान से अवगत कराया जाना चाहिये, किंतु हकीकत इससे कोसों दूर नजर आती है।