क्या जो सपना देखा था वैसा है मेरा भारत!

वैसे तो हम आज़ादी के 77वे साल में हैं लेकिन क्या जिस भारत का सपना देखा था क्या यह वही भारत है?

देश आज अपनी आजादी के 77 वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। कई लोगों की नजरों में इसकी अब तक की यात्रा शानदार रही है, तो कई इसके पिछड़ेपन की चर्चा अधिक करते हैं।

बर्बाद हो रही नौजवान पीढ़ी

आज का भारत एक ऐसा देश है, जिसके पास भविष्य को लेकर कोई बड़ा सपना नहीं है और जिस देश के पास बड़े सपने नहीं होते, उसके पास करने को भी कोई गंभीर काम नहीं होता। उसके पास कोई ऐसा लक्ष्य नहीं होता, जिसको पाने के लिए सब लोग मिलकर काम करते हैं। आज का भारत खंड़ित समाजों का एक समुच्चय है, जहां हर समुदाय दूसरे से भीतर-भीतर नफरत करता है। वह नफरत जाति के आधार पर हो या धर्म के आधार पर। हर समुदाय दूसरे को बर्बाद होते देखना चाहता है। हर समुदाय दूसरे को अपने से खराब समझता है। एक समुदाय के सांविधानिक अधिकारों या बराबरी या सम्मान पर हमला होता है, तो दूसरा समुदाय खुश होता है। हम भारत के लोग एक-दूसरे से दूर होते जा रहे हैं, हम दूसरे के अधिकारों के लिए खड़े होना तेजी से भूलते जा रहे हैं।

क्या जो सपना देखा था वैसा है मेरा भारत!

गांधी की हत्या से लेकर आज तक की राजनीति का यही फसाना है। फर्जी इतिहास, फर्जी कहानियां, फर्जी डर और उसके आधार पर नफरत फैलाना। राजनीति के इस तरीके ने हमारी पूरी नौजवान पीढ़ी को बर्बाद कर दिया है, अब देश की अर्थव्यवस्था को भी बर्बाद करने में जुटा है।

हिमांशु शर्मा

आजाद भारत की चुनौतियां

जब भारत को आजादी मिली थी, तब वह यूं ही नहीं मिल गई थी। इसके लिए काफी संघर्ष किया गया था। असंख्य स्वाधीनता सेनानियों ने इसके लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। मगर आज भी हमारा देश चौतरफा चुनौतियों का सामना कर रहा है। मणिपुर जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कई तरह की मुश्किलें हमारे सामने हैं। हमारे सैनिकों द्वारा जवाबी कार्रवाई करने के बावजूद चीन की लाल सेना लगातार हमें अपनी लाल-लाल आंखें दिखा रही है। इसी तरह, आर्थिक मोर्चों पर भी तमाम तरह की चुनौतियां हमारे सामने हैं। देश में बढ़ती गरीबी से भी हमें जल्दी निपटना होगा। साफ है, आजादी मिलनी चुनौती थी, लेकिन देश की आजादी को मजबूती से बनाए रखना उससे भी बड़ी चुनौती है। –

डॉ शिल्पी पाठक

आजाद भारत का हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं। पूरा देश अब अखंड भारत को जीने लगा है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत एक है। विविधताओं में एकता हमारी पहचान है। इस देश को बनाने में जिन नेताओं ने अपना संपूर्ण जीवन दे दिया, उनमें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, मौलाना आजाद, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद आदि ऐसे नाम हैं, जो भारत की एकता और अखंडता के प्रतीक माने जाएंगे। आज हमारे देश ने जितनी तरक्की की है, उसका जिक्र एक या दो पंक्तियों में नहीं हो सकता। हर क्षेत्र की तरक्की, हर क्षेत्र के काम का उल्लेख आज आवश्यक है। आज हमारे यहाँ सड़कों का जाल बिछ गया है। वंचित और पिछड़े तबकों में खुशहाली आई है। आज हम चंद्रमा पर पानी ढूंढ़ रहे हैं, यह क्या कोई मामूली बात है? कुल मिलाकर, यही कहा जाएगा कि भारत ने पिछले साढ़े सात दशकों में जो तरक्की की है, वह अतुलनीय है। कोई लोकतंत्र इतना तेज विकास नहीं कर सका है

भारत भार्गव
आजाद भारत की चुनौतियां

अमृत महोत्सव का अर्थ

आजादी की वर्षगांठ को आज देश भर में अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। पूरे भारत में इस उपलक्ष्य पर कई आयोजन हो रहे हैं। देश भर में तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही हैं। इन आयोजनों में हमने सक्रिय भागीदारी की है। करनी भी चाहिए, आखिर राष्ट्रीयता हमारे रोम-रोम में है। भारतीयता को हमने ओढ़ना-बिछाना सीख लिया है। मगर इसके साथ-साथ हमें कुछ संकल्प भी लेने चाहिए। जैसे, भ्रष्टाचार से मुक्ति, पौधारोपण, पानी के अपव्यय को रोकना, स्वच्छता, रक्तदान, नेत्रदान आदि। देशहित में काम करने वाली सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर समाज और देश के विकास में अपना योगदान देने जैसे संकल्पों को भी हमें धारण करना होगा, तभी वर्षगांठ का अर्थ साकार हो सकेगा।

इन्दु पाराशर
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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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