जिले में पिछोर को छोड़ चार सीटों पर चेहरों को लेकर कशमकश बरकरार, गर्माया माहौल

शिवपुरी में वीरेन्द्र और यशोधरा राजे के मध्य जंग के आसार....
  • कोलारस में एक दूसरे के टिकट पर टिकीं दोनों दलों की प्रत्याशी घोषणा

शिवपुरी जिले की पांच विधानसभा सीटों में से पिछोर को छोड़ कर कहीं भी परिदृश्य स्पष्ट नजर नहीं आ रहा। पिछोर में भाजपा और कौंग्रेस के प्रत्याशी समय पूर्व तय हैं, भाजपा ने जहां प्रीतम को टिकट दिया है वहीं कौंग्रेस से केपी सिंह के तय शुदा नाम की औपचारिक घोषणा होनी शेष है। यहां चुनावी गतिविधियां प्रारम्भ हो गई हैं। माहौल गर्माया हुआ है, भाजपा ने ब्राह्मण समाज के विरोध के बावजूद प्रीतम को टिकट दिया है जिसके परिणाम स्वरुप पार्टी को आने वाले समय में अन्य सीटों पर इसके परिणाम झेलना पड़ सकते हैं। पांचो सीटों मेें से सबसे एग्रेसिव चुनाव इस सीट पर होता दिखाई दे रहा है।

शिवपुरी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया के चुनाव नहीं लडऩे सम्बंधी उन्हीं की पार्टी के लोगों द्वारा लगाई जा रही अटकलों पर खुद यशोधरा राजे ने 4 सितम्बर को यह कह कर विराम लगा दिया कि मैं स्थाई हूं अस्थाई नहीं। यानि वे शिवपुरी से चुनाव लड़ेंगी इधर कौंग्रेस से प्रत्याशी कौन होगा इसे लेकर कौंग्रेसी दावेदार जिस तरह से विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी की दावेदारी को लेकर शोर मचा रहे हैं उससे लगता है कि वीरेन्द्र को शिवपुरी से चुनावी हिंट मिलने के बाद ही यह विरोध के स्वर निकाले जा रहे हैं। कमलनाथ ने यह कहकर और साफ कर दिया है कि जो लोग दीगर दलों से कौंग्र्रेस में आए है उनका आगमन स्थानीय संगठन की सहमति से ही हुआ है ऐसे में पैराशूट लैंडिंग का कोई प्रश्र ही नहीं उत्नन्न हो रहा। रही बात किसी को टिकट की तो उसका एकमात्र पैमाना सर्वे रिपोर्ट होगी।

पोहरी विधानसभा में मौजूदा विधायक एवं मंत्री सुरेश रांठखेड़ा की दावेदारी भाजपा से कमजोर सी दिखाई दे रही है उनके लिए यदि सिंधिया ने बीटो लगाया तो अलग बात है अन्यथा की स्थिति में भाजपा संगठन यहां चेहरा बदलने की मनोस्थिति में बताया जा रहा है।

बदलाव की स्थिति में यहां से प्रह्लाद भारती की सम्भावना अधिक है वैसे यूथ चेहरे के तौर पर सोनू बिरथरे को पार्टी आजमा सकती है, लेकिन उनकी दावेदारी को उनके घर से ही चाचा नरेन्द्र बिरथरे की चुनौती ने कठिन कर दिया है। कौंग्रेस यहां कैलाश कुशवाह, प्रद्युम्र बछोरा, और कल्याण वर्मा की बात कर रही है जिनमें कैलाश कुशवाह की पिछले दो चुनावों में सेकण्ड रनरअप की उपलब्धि को सशक्त भले ही बताया जा रहा है लेकिन इस बार बसपा से प्रत्याशी न होना उन्हें दलित वोटर्स की नाराजगी के निशाने पर ले कर आ सकता है, जो कि पिछले दो चुनावोंं में उनकी ताकत रहा है।कोलारस विधानसभा क्षेत्र से दो तरह की तस्वीर उभर कर सामने आई है। जिसमेेंं भाजपा से यदि महेन्द्र यादव को टिकट मिला तो कौंग्रेस से जितेन्द्र जैन गोटू का टिकट तय है, और यदि काँग्रेस ने बैजनाथ यादव को चुनाव मैदान में उतारा तो फिर भाजपा से देवेन्द्र जैन की सम्भावना जताई जा रही है।

करैरा विधानसभा सीट की बात करें तो यहां काँग्रेस चेहरा बदलेगी तो उम्मीदवार कौन होगा इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, वैसे सिटिंग विधायक को बदलकर किसी अन्य चेहरे को सामने लाना काँग्रेस को दिक्कत का सबब भी बन सकता है। यहां भाजपा से उम्मीद में तो जसमंत जाटव भी हैं मगर भाजपा मेें सबसे सशक्त प्रत्याशी के तौर पर रमेश खटीक को देखा जा रहा है।

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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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