शिवपुरी में मजाक बनी आचार संहिता, प्रशासन की नाक के नीचे उड़ रही हैं धज्जियां

निकाय के पदाधिकारी पदीय हैसियत का कर रहे हैं दुरुपयोग

-गांव गांव पार्टी विशेष के रंग में रंगे हैं बस स्टॉपेज

-सरकारी अमला और वाहनों की वापसी पर ध्यान नहीं

शिवपुरी जिले में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकने के बावजूद आदर्श आचार संहिता का पालन करने के प्रति प्रशासन कतई गंभीर नहीं है। यहां चुनाव के बीच खुद नगरीय निकाय के पदाधिकारी कार्यालय छोड़कर कर्मचारियों की सार्वजनिक पार्कों में बैठकें आयोजित कर रहे हैं जैसा की यहां के तात्या टोपे पार्क में बुधवार दोपहर दिखाई दिया। वहीं जिले के कई क्षेत्रों में राजनीतिक दलों के रंग में रंगे बस स्टॉपेज शेड गांव गांव में देखे जा रहे हैं। यहां जिला मुख्यालय पर ही देखें तो लोनिवि की सरकारी कोठी का राजनीतिक उपयोग पहले से ही किया जा रहा है, जिसे आधिकारिक रूप से अभी तक खाली नहीं कराया गया है। सूत्रों का कहना है कि कोठी में भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय संचालित है और चुनाव आचार संहिता के दौरान केवल इसका ताला लगा दिया गया है, जबकि आधिकारिक तौर पर इसे खाली नहीं कराया गया है। नियमानुसार जनप्रतिनिधियों के पास जो शासकीय अमला निजी सहायक या कार्यालय उपयोग के लिए दिया जाता है, वह भी अपनी मूल नियुक्ति पर वापस होना चाहिए लेकिन यहां इसकी भी अनदेखी की जा रही है। टीला सुनाज बीरा मार्ग पर जगह जगह भारतीय जनता पार्टी के रंग में रंगे सांसद का नाम एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के फोटो सहित बस स्टॉपेज स्टैंड देखे जा रहे हैं। नियम अनुसार यह भी दल विशेष के प्रचार की श्रेणी में आने वाला तथ्य है और इस तरह की प्रचार सामग्री को तत्काल ढंकवा या पुतवा दिया जाना चाहिए था, लेकिन आज दिनांक तक प्रशासन ने इस तरफ सुध ही नहीं ली। राजनीतिक पार्टियों ने खुद इस संबंध में आपत्ति उठाई है। कांग्रेस का कहना है कि शिवपुरी जिले में कतिपय अधिकारी पार्टी विशेष के कार्यकर्ता की हैसियत से काम कर रहे हैं, जिस कारण यहां चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष ढंग से चल पाएगी इसकी संभावना अभी से कम दिखाई दे रही है। जिले में कृषि विभाग सहित अन्य विभागों में पांच साल की समयावधि से अधिक पदस्थापना वाले अधिकारियों की फेहरिस्त भी जांच के घेरे में है।

सार्वजनिक पार्को में मीटिंग्स के सम्बंध में बात करें तो नियमानुसार विधानसभा चुनाव आचार संहिता के नियम अनुसार चुनाव के दौरान किसी भी जनप्रतिनिधि को पदीय स्थिति का उपयोग करके किसी सार्वजनिक स्थान सरकारी परिसर में बिना अनुमति भी बैठक करने की अनुमति नहीं है। सार्वजनिक पार्क में कर्मचारियों की मीटिंग लेते समय सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि यह माना जा सकता है कि वह पदीय स्थिति का उपयोग करके अपने दल विशेष के पक्ष में प्रचार कर रहा है। इससे मतदाताओं को प्रभावित होने का खतरा हो सकता है। सार्वजनिक पार्क भी एक सरकारी परिसर माना जाता है।

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Rahil Sharma
Rahil Sharma
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