मोराई डबिया के जंगलों में धुआंधार अवैध पत्थर खनन, पेड़ों का सफाया

वन विभाग की अनदेखी से खनन माफिया कर रहे जंगल का सफाया

-पहले किया छापामारी का स्वांग कर फिर शुरु कराई खदानें
-पाटखेरा, मोराई, खेरोना और गढ़ी बरोद में अवैध खनन के पीछे फॉरेस्ट
टीम
पूर्व में डीएफओ ने जिस डबिया खदान की ओट में चल रहे अवैध खनन को देखते हुए कलेक्टर शिवपुरी को इस खदान लीज निरस्ती का प्रस्ताव भेजा, वह खदान आज भी धडल्ले से चल रही है। इसके आसपास मोराई, गढ़ी बरोद, और खेरोना में बेतहाशा अवैध पत्थर उत्खनन वन क्षेत्र में ही किया जा रहा है। हैरत इस बात की है सारा खनन आउट एरिया में हो रहा है, यहां विशुद्ध रुप से बिना रायल्टी के अवैध तौर पर खनन कर पत्थर की निकासी चौंड़े में की जा रही है। जाहिर सी बात है कि फॉरेस्ट के मैदानी अधिकारी और अमला अपने बड़े अधिकारियों को इस खनन की सही जानकारी नहीं दे रहा उनको हालातों से अनभिज्ञ बनाए हुए है।
नौकरशाही यहां शासन की बजाए माफियाओं के हित संरक्षक की भूमिका में नजर आ रही है। हद तो यह है कि इतना सब होने के बाद प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। पत्थर खदानों में शुरू हुआ अवैध उत्खनन थमने का नाम नहीं ले यहां फॉरेस्ट और उससे लगे रेवेन्यू के क्षेत्र में लगाए जाने वाले खदान गड्ढों की तादाद बढ़ती जा रही है। पाटखेड़ा खदान, मझेरा खदान,चिरकुण्डा, मोराई, खेरोना और अर्जुर्नगवां में इस समय सैकड़ों गड्ढे लगे हुए हैं। मझेरा के समीप बफर जोन में स्थित सफेदा फर्शी पत्थर खदान से भी बेतहाशा अवैध खनन किया जा रहा है। जिला प्रशासन नाम की कोई चीज यहां दिखाई नहीं दे रही। इस पत्थर खदान में चल रहे विशुद्ध अवैध खनन को रोकने जैसा कोई प्रयास प्रशासन द्वारा नहीं किया जा रहा।

एक समय था जब कलेक्टर इस जिले में इस हद तक संजीदा हुआ करते थे कि वे अवैध खनन की सूचना पर इन पत्थर खदानों में खुद एक नियोजित प्लान के साथ कार्रवाई करने से नहीं चूकते थे। पत्थर खदानों पर फॉरेस्ट, पुलिस, रेवेन्यू और माइनिंग की संयुक्त टीम लेकर खुद ऑपरेशन की अगुवाई डीएम करते थे मगर ये सब अब बीतरागी हो गया है। यहां वन क्षेत्र में चल रही पत्थर खदान के गड्डों के भौतिक सत्यापन की सुधि न तो वन विभाग को है और न ही राजस्व या मायनिंग कोई रुचि लेते दिखाई दे रहे। एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर खुलेआम फारेस्ट में अवैध पत्थर उत्खनन चल रहा है। जब जब मीडिया शोर मचाता है तब तब देखने दिखाने को वन विभाग एक दो खदानों पर प्रायोजित छापामारी करवा कर बैठ जाता है जबकि जिन क्षेत्रों में अवैध खनन हो रहा है यदि वह वन क्षेत्र है तो वहां के एसडीओ तक पर कार्यवाही किया जाना चाहिए और यदि राजस्व क्षेत्र में अवैध पत्थर खनन हो रहा है तो सीधे सीधे क्षेत्र के पटवारी आरआई से लेकर एसडीओ राजस्व को जिम्मेदार मानकर कार्यवाही की जाए तो क्या मजाल किए एक इंच भी अवैध खनन हो पाए मगर यहां फॉरेस्ट की टीमें हर वार चंद घन फुट पत्थर फोड़ कर चली आती है।
मझेरा सेक्टर में बंद पड़ी 314 और 316 नम्बर की खदानों के आस पास जर्बदस्त खनन चल रहा है और यहां 50 से अधिक गड्ढे लगा दिए गए हैं। मायनिंग के अधिकारी लम्बे समय से यहां डटे हैं वे सूचनाएं छुपाने में इस कदर से तल्लीन हैं कि आरटीआई के अपीलीय आवेदनों को भी दरकिनार कर अवैध खनन को प्रोत्साहन देने में जुटे हैं। पिछले दिनों इनके द्वारा मुरम खदान की आवंटन प्रक्रिया को भी दूषित करने का प्रयास किया। शिवपुरी जिले में टास्क फोर्स को भी डिजाल्व कर दिया गया है। गत समय शिवपुरी पदस्थ रहे खनिज निरीक्षक के विरुद्ध ग्वालियर कमिश्रर ने कलेक्टर शिवपुरी को शिकायत की जांच करने हेतु निर्देशित किया मगर जब समयावधि में जांच नहीं हुई तो एक रिमाइण्डर भी भेजा गया पर कोई एक्शन सामने नहीं आया। जाहिर सी बात है कि अवैध खनन को चैनलाइज कर प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

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Rahil Sharma
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