-दर्पण कॉलोनी के पीछे भी प्लाटिंग
-छात्रावास की सरकारी नम्बर की भूमि पर भी भूखण्ड
अवैध कॉलोनाइजेशन पर रोक संबंधी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव स्पष्ट निर्देशों के बाद भी शिवपुरी के नगरीय और इससे लगे आसपास के ग्रामीण इलाकों में अवैध कॉलोनाइजेशन और सरकारी जमीनों की घेराबंदी का सिलसिला थमने के बजाय और तेजी पकड़ गया है।
शहर और इससे लगे क्षेत्रों में चौतरफा अवैध कॉलोनाइजेशन के बावजूद एक भी अवैध कॉलोनाइजर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है। लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू जैसी जांच एजेंसियां जरूर आला अधिकारियों के विरुद्ध शिकंजा करने में लगी हैं लेकिन जिला प्रशासन की स्थिति यह बन गई है कि कुछ चिन्हित अधिकारियों के नाम पर शिवपुरी के विभिन्न इलाकों में अब अवैध कॉलोनाइजर्स से नोटिसों के नाम पर नया खेल शुरू हो गया है। कुछ पटवारियों का समूह इस काम को अंजाम देने में लगा हुआ है। पिछले दिनों शहर के विभिन्न इलाकों से अवैध कालोनियों की एक सर्वे रिपोर्ट तलब की गई थी लेकिन यहां शिवपुरी सब डिवीजन में हालत यह है कि अधिकांश पटवारियों ने अभी तक रसूखदार भूमाफियाओं के विरुद्ध कोई रिपोर्ट प्रशासन को फाइल नहीं की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम झींगुरा के सर्वे नंबर 48/1 की भूमि पर ग्वालियर निवासी कारोबारी ने द्वारा दर्पण कॉलोनी के पीछे लगभग 3 बीघा में सरकारी भूमि पर सड़क डालकर अवैध कॉलोनी का निर्माण किया जा रहा है। यहां भूखंडों की बुकिंग और विक्रय जोर शोर से शुरू हो गया है बिक चुके भूखण्डों पर निर्माण भी शुरु हो गया है, जबकि पूर्व में सर्वे क्रमांक 48/ 1 की यह भूमि पुनिया आदिवासी के नाम की भूमि थी जिसे कथित परमिशन कराने के बाद ओने पौने दामों में खरीद कर इस पर भूखंड विक्रय किए जा रहे हैं। नियम अनुसार इस प्रवृत्ति की भूमि पर भूखंड विक्रय किया जाना गलत है। ग्राम झींगुरा में ही सर्वे नंबर 40 एवं 47 रकबा 6 बीघा पर शहर के जाने.माने धनपति द्वारा अवैध कॉलोनी काट दी गई है यहां कृषि भूमि को टुकड़ों में आवासीय भूखंडों के तौर पर बेचा जा रहा है। शहर में भूदान की उन जमीनों को भी बेंच डाला गया है जिन की जांच कलेक्टर के यहां लम्बित है। यहां सब कुछ बेधड़क हो रहा है। नमोनगर के आसपास के क्षेत्र में टीएनसीपी के नक्शे में आमोद प्रमोद के लिए आरक्षित नम्बरों पर भी व्यापक पैमाने पर टाऊन शिप तैयार हो रही है, शिवपुरी में ग्रीन लैण्ड तक बेच डाली गई और तो और थीम रोड से लगे क्षेत्र में अवैध निर्माण जोरों पर है यहां पिछले दिनों नगर पालिका ने जिस कालोनी का शुल्क सीधे सीधे 47 लाख से कम कर 27 लाख कर दिया था उस कालोनी को दिए नोटिस का भी सेटलमेंट कर दिया गया है। कुल मिलाकर यहां पालिका, राजस्व और भू-माफिया खुला खेल खेल रहे हैं। अवैध कालोनियों के इस कारोबार में नेताओं की भूमिका पर भी इसलिए सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि वे भी दस्तावेजों में अवैध कालोनाईजेशन के खेल मेेंं लिप्त नजर आ रहे हैं।