- कलेक्टोरेट पर आदिवासियों ने किया प्रदर्शन।
- बोले झोपड़ियों को तोड़ा जा रहा है, दबंगों को संरक्षण
- आदिवासियों ने की कुटीर दिलाए जाने की मांग
जनपद के करीब एक दर्जन गांव के सैकड़ों आदिवासी समाज के लोग मंगलवार को जनसुनवाई में सहरिया क्रांति के नारों के साथ कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे जहां उन्होंने आवास के लिए जगह व आवास योजना के तहत कुटीर दिलाए जाने की मांग की और साथ ही भूमाफिया के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जिला कलेक्टर के प्र्तिनिधि के तौर पर एसडीएम शिवपुरी वहाँ पहुंचे और उन्होने शीघ्र ही समस्याओं के निराकरण की बात कहते हुये दल गठित कर दिया। इसके साथ ही एसडीएम ने भूमाफिया द्वारा ठ्कुरपुरा मे गरीबो की झोंपड़ी पर बुलडोजर चलाकर तोड़ने की धमकी देने वाले पर कार्यवाही की बात कही है ।
आज सेंकड़ों की संख्या में सहरिया क्रांति के बैनर तले जिला मुख्यालय पर आए ग्रामीणों का आरोप था कि गांव की आबादी की और सरकारी भूमि पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है। उन्हें रहने को जगह और कुटीर नहीं दी जा रही है जबकि सैकड़ों बीघा सरकारी जमीन पर दबंगों द्वारा कब्जा कर रखा है जिसे प्रशासन द्वारा खाली नहीं कराया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक आज सहरिया क्रांति के बैनर तले बम्हारी डविया, केरऊ, विनेगा, वरखाडी, हिम्मतगढ़, धुआनी, करई, गंगोरा, वीचि कोट्का, सलईया, बुकर्रा, बरखाड़ी नरवर के आदिवासी एकजुट होकर कलेक्टर के पास शिकायत लेकर पहुंचे जहां उन्होंने आदिवासी परिवारों को रहने के लिए आवासीय पट्टे और कुटीर दिलाये जाने की मांग की है। विनेगा के आदिवासियों का कहना था कि वे 100 साल से भी अधिक समय से गाँव मे रह रहे हैं , उंकए लिए आंगनवाड़ी व सरकारी स्कूल भी उसी भूमि पर बना हुआ है, आज जब कुटीर स्वीक्र्त हुई हैं तो उनको गाँव से बाहर बनाने के लिए धमकाया जा रहा है। गाँव के औतार आदिवासी का कहना था की हम जिस जगह रह रहे हैं कुटीर भी वहीं बनाएँगे , कुछ दबंग लोग हमे खदेड़ना चाहते हैं। उनके गांव में उनके द्वारा बनाई हुई झोपड़ियों से खदेड़ा जा रहा है। विनेगा गांव की रहने वाली बुजुर्ग आदिवासी महिला ने बताया कि जिस सरकारी जमीन पर उनके व अन्य आदिवासी परिवार रह रहे है उस जगह के पट्टे न देते हुए आश्रम के लोग वन विभाग से मिलकर उन्हें उस जगह से हटाना चाहते हैं।
डबिया के रहने वाले कल्याण आदिवासी ने बताया कि उनका परिवार 1982 से से गांव में झोपड़ी बनाकर रहता हुआ आ रहा हैं। इसके बावजूद सरकार उन्हें 30 फीट जगह भी रहने को न दे सकी है। जिस जगह पर उनका परिवार रह रहा है उस जगह को भी वन विभाग खाली कराना चाहता हैं जबकि आस पास के क्षेत्र में दबंग सैकड़ों बीघा सरकारी जमीन जिसका सर्वे नंबर 179 है उस पर गाँव के दबंग फसल कर रहे है।धुआनी के आदिवासियों का कहना था की हमे कुटीर बनाने जगह नहीं है और गाँव की आबादी की जमीन पर गाँव के दबंग लोगों ने कब्जा कर रखा है , या तो स्कूल के पास की जमीन हमे दिलाई जाये या फिर आबड़े की जमीन से दबंगों का कब्जा हटाकर हमे वहाँ कुटीर बनाने दी जाए ।
बमहारी, हिम्मतगढ़ और कोटका के आदिवासियों ने शिकायत करते हुये बताया की गाँव का सचिव व सहायक सचिव कुटीर के नाम पर 5000 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से रिश्वत मांग रहा है और नहीं देने पर आवास योजना के लाभ से वंचित करने की धमकी देता है। उस पर कार्यवाही की जाए। करई अहमदपुर के शंकरपुर के आदिवासी समाज के लोगों ने बताया की बाढ़ के कारण मानवीयता के साथ पूर्व में जिला कलेक्टर ने हमे ऊंचाई वाले स्थान पर विस्थापित किया था, झानपेयजल के लिए हेंडपंप भी लगवाया मगर अब जब कुटीर आई हैं तो पुनः हमे उसी स्थान पर कुटीर बनाने को बाढी किया जा रहा है झान से प्रेशाने के कारण हमे नई जगह बसाया था, काडू आदिवासी का कहना है की हमे जहां हम रह रहे हैं वहीं कुटीर बनाने का सर्वे करवाएँ ।
महिलाओं ने रोते हुये बताई माफिया की करतूत
सदियों से शिवपुरी के बार्ड कर्मांक 39 में पानी की टंकी के पास रह रहे आदिवासियो ने अपनी पीडा सुनाते हुये कहा की रोज रात को शहर के पैसेवाले लोग हमारी जमीन से हमे खदेड़ने की धमकी देने आते अहीन और साथ मे पुलिस की वर्दी मे भी कुछ लोग उनके साथ आते हैं । उनका कहना है की 150 साल से भी अधिक समय से हमारे बाप दादा इसी भूमि पर हैं अब रोज हमारी झोंपड़ियों पर बुलडोजर चलाकर हटाने की धमकी दी जा रही है । आज रात को भी गुंडों ने उनके साथ बदसलूकी की है । ये बताते हुये महिलाएं रोने लगीं, जैसा पर एसडीएम ने कहा की आप घब्राएन नहीं मैं रात को स्वयम वहाँ आकार स्थिति की जानकारी लूँगा और कोई भी नाजायज सताता है तो कार्यवाही करूंगा । इसके बाद महिलाओं ने पुलिस मे भी शिकायती आवेदन दिया है।
कार्यवाही नहीं हुई तो होगा महा आंदोलन
आज आदिवासियों के साथ पहुंचे सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन ,कल्याण आदिवासी, औतार आदिवासी , कारू आदिवासी , भडोरिया आदिवासी , ऊढ़म , राजेन्द्र आदिवासी आदि ने कहा की यदि समस्याओं का शीघ्र निराकर्ण नहीं हुआ तो महा आंदोलन करने को आदिवासी विवश होंगे ।