शासन ने छीना शिवपुरी से प्रदेश का एक मात्र खेल प्रशिक्षण केन्द्र तात्याटोपे फिजिकल कॉलेज

खण्डहर बना हॉस्टल, भूमि पर कब्जे और खेल मैदानों में सन्नाटा
  • 1956 में स्थापित हुआ 2022 से बिना प्रक्रिया के चुपचाप कर दिया बंद
  • विधायक जैन और खटीक ने लिखा सीएम को पत्र पर नहीं हुई सुनवाई
  • जिस कालेज से अब तक हजारों खेल शिक्षक निकले उसके खेल मैदान पर सन्नाटा
  • 5 बीघा भूमि पर कब्जे, अब 43 बीघा भी खतरे में

शिवपुरी जिले को शासन से क्या मिल रहा है और इससे क्या छीना जा रहा है इसकी किसी को लेशमात्र भी परवाह नहीं। यदि परवाह होती तो प्रदेश का एक मात्र शारीरिक शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान जिसे पूरे प्रदेश में तात्याटोपे फिजिकल कॉलेज के नाम से जाना जाता है शिवपुरी से नहीं छिनता। दु:खद खबर यह है कि इस संस्थान को 2022 में ही बंद करने का तानाबाना बुन दिया गया। सन 1956 में मप्र की स्थापना के साल से शुरु हुए इस फिजिकल कॉलेज को 66 साल बाद 2022 मेें शिक्षा विभाग और खेल विभाग ने मिलकर किस तरह से बंद करने का खेल खेला उस पर किसी जनप्रतिनिधि ने ध्यान देना तक उचित नहीं समझा। लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल यानि स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन काम करने वाले इस संस्थान से सीपीएड और डीपीएड की परीक्षा पास करने वाले खेल शिक्षक न केवल प्रदेश बल्कि समूचे छतीसगढ़ राज्य से लेकर राजस्थान तक में मौजूद हैं और आज भी खेल प्रतिभाओं को निखारने का काम कर रहे हैं।

ऐसे हुई शुरुआत कि किसी को कानोंकान खबर तक नहीं

2022 में प्रदेश शासन के शीर्ष पर बैठे अफसरों और नेताओ ने जो निर्णय लिया वह शिक्षा जगत से खेलों को सिरे से खत्म करने की रणनीति का हिस्सा है जिसके दूरगामी दुष्परिणाम भविष्य में देखने में आऐंगे।तात्याटोपे फिजिकल कॉलेज शिवपुरी मप्र का एकमात्र खेल प्रशिक्षण संस्थान था जिसमें खेल शिक्षक तैयार होते थे। महिला और पुरुष खेल शिक्षकों की कई पीढ़ियां इन 66 सालों में दक्ष प्रशिक्षकों से प्रशिक्षित होकर आज समूचे देश में खिलाड़ी तैयार कर रही हैं, मगर अब आगे से यह सिलसिला खत्म हो जाएगा। यह महाविद्यालय 2022 से बंद किया जाने का फरमान इसे अघोषित तौर पर बंद करने का कारण बन गया है।

तत्कालीन सीएम की समीक्षा बैठक में बंद करने का बुना गया तानाबाना

1 जनवरी 2022 को सीएम की अध्यक्षता में हुई विभागीय समीक्षा बैठक में यह निर्णय ले लिया गया कि शिवपुरी के तात्याटोपे राज्य शारीरिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण कालेज को स्कूल शिक्षा विभाग के बजाए अब खेल एवं युवा कल्याण विभाग मप्र को हस्तांतरित किये जाने पर सहमति बनाई गई।इसी हस्तांतरण के प्रस्ताव को पास होने की प्रत्याशा में ही पीएस खेल एवं युवा कल्याण को स्कूल शिक्षा विभाग ने 24 अगस्त 22 को पत्र लिख कर हस्तांतरण प्रस्ताव को तत्काल सहमति दे डाली। और प्राचार्य फिजिकल कॉलेज को यह आदेश दिया कि वे अब फिजिकल कॉलेज में कोई नए प्रवेश न दें।

बिना किसी प्रक्रिया के त्रिशंकु बना गया फिजिकल कॉलेज

इस पत्र के बाद से यहां फिजिकल कालेज को अघोषित तौर पर बंद कर दिया गया और किसी भी प्रशिक्षण के लिए यह संस्थान बंद हो गया। 43 बीघा के विशाल क्षेत्रफल में फैला यह कालेज आज अपने दुर्दिनों पर रो रहा है। कभी यहां का जो एरिया 47 बीघा हुआ करता था आज वह 43 बीघा में सिमट कर रह गया। शेष पांच बीघा भूमि पर प्रशासन की नाक के नीचे अवैध कब्जे हो गए और बसाहट हो गई।

खेल मैदानों में खड़ी है घांस, खण्डहर बन रहा हॉस्टल और गायब हुई खेल सामग्री

कभी यहां खेल गतिविधियों का अंतहीन सिलसिला चलता था ग्राउण्ड्स में चहलपहल देखने को मिलती थी और यहां कक्षाओं का संचालन सुबह से शाम तक होता था आज इस कालेज में मुर्दनी पसरी है। कार्यालय में स्टाफ के नाम पर 3 कन्टेंजेंसी और तीन नियमित भृत्य के अलावा यदि कोई है तो अकेले एक प्राचार्य योगेन्द्र मकवाना और एक पीटीआई वीरेन्द्र वर्मा इनमें भी 3 माह बाद प्राचार्य का रिटायरमेंट होने पर एक व्यायाम शिक्षक के हवाले पूरा बेजान स्ट्रक्चर हो जाएगा। इस कालेज के गौरवशाली इतिहास की बात करें तो यहां अर्जुन अवार्डी खेल प्रशिक्षक तक रह चुके हैं। यहां से पास आउट चेहरे प्रदेश के मंत्री मण्डल में भी रहे हैं उदाहरणार्थ केपी सिंह, इसके अलावा आज विभिन्न शिक्षा संभागों से लेकर संचालनालय तक में इस कालेज से प्रशिक्षित खेल प्रभाग के अधिकारियों की खासी तादात है, किन्तु ऐसे कॉलेज का ऐसा दर्दनाक अंत होगा यह किसी को सपने में भी उम्मीद नहीं होगी। हॉस्टल खण्डहर बनता जा रहा है। खेल मैदान घांस के ढेर में छुपे हैं। एक दम तोड़ते संस्थान की दुर्भाग्यपूर्ण नजीर है यह कालेज।

करैरा विधायक रमेश खटीक और शिवपुरी विधायक देवेंद्र जैन ने भी लिखा पत्र।

सत्तादल के दो दो विधायकों की भी नहीं हो रही सुनवाई

शिवपुरी के वर्तमान विधायक देवेन्द्र जैन और करैरा विधायक रमेश खटीक दोनों भाजपा से हैं और इन दोनोंं ने ही सीएम को अलग अलग पत्र लिख कर फिजिकल कॉलेज को बंद करने पर आपत्ति उठाई और तर्क दिया कि यहां से प्रशिक्षित युवा न केवल सरकारी विभागों में खेल शिक्षक के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं बल्कि प्रायवेट संस्थाओं में भी उनको रोजगार का आधार बन रही है ये खेल शिक्षा, यह प्रदेश का इकलौता खेल प्रशिक्षण संस्थान है, ऐसे में इसे बंद न किया जाए। इन दोनों विधायकों की भी उनकी ही सरकार में सुनवाई नहीं हुई। सरकार तात्याटोपे फिजिकल कॉलेज को छीनने पर आमादा है।

अधर में संस्थान, खेल विभाग लेने तैयार नहीं

खेल एवं युवा कल्याण विभाग को हस्तांतरित करने के नाम पर इस कालेज को बंद कराया गया प्रवेश 2022 से बंद कर दिए गए मगर इन दो सालों में खेल एवं युवक कल्याण विभाग भी इसे अपने पजेशन में नहीं ले पाया है। उनके पास पहले से ही श्रीमंत माधव राव सिंधिया खेल प्रशाल है ऐसे में वे तात्याटोपे फिजिकल कालेज को लेने में कोई रुचि नहीं दिखा रहे। कुल मिलाकर आगे की कोई सोच या रणनीति को सामने रखे बिना इस फलते फूलते महाविद्यालय को मनमाने ढंग से बंद करने का षड़यंत्र फलीभूत होता दिखाई दे रहा है।

प्राचार्य योगेन्द्र मकवाना

इनका कहना है-

प्रदेश के एक मात्र खेल प्रशिक्षण संस्थान में हमने डीपीआई और शासनादेशों के क्रम प्रवेश देना बंद कर दिया है यहां अब झाडू की भी खरीदी भी मुश्किल भरा काम है हास्टल में ताले पड़े हैं, असमाजिक तत्वों ने कहीं बाउण्ड्री तोड़ दी तो कहीं दरवाज़े तोड़ दिए हैं। न स्टाफ बचा न कोई संसाधन, मैं खुद इसी संस्थान से पढ़ा,अब यह सोचकर दुख हो रहा है कि मेरे कार्यकाल में इसे बंद करना पड़ रहा है। खेल विभाग भी रुचि नहीं ले रहा। हम क्या कर सकते हैं।
योगेन्द्र मकवाना
प्राचार्य तात्याटोपे फिजिकल ट्रेनिंग कॉलेज

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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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