–नेताओं ने अपनी राजनैतिक विश्वसनीयता गिराई
–शिवपुरी में खत्म होने का नाम नहीं ले रहा दलबदल का स्वांग
शिवपुरी में पिछले दिनों कुछ सिंधिया समर्थक भाजपा नेता भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे लेकिन अब इनमें से कुछ नेता फिर से भाजपा की ओर रुख करना शुरू कर चुके हैं। एक माह के भीतर ही इनका फिर से दल बदल खास चर्चा का विषय बन गया है। पहले कांग्रेस में रहकर सिंधिया समर्थक के तौर पर काम करने वाले राकेश जैन अमोल पिछले समय ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से भाजपा में शामिल हो गए थे। लेकिन चुनाव से ठीक पहले राकेश जैन का मोह ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा से मोह भंग हो गया और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जितेंद्र जैन गोटू के साथ भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस में कमलनाथ के समक्ष अपनी ज्वाइनिंग दे दी।
कांग्रेस से भाजपा और भाजपा से कांग्रेस में जाने के बाद एक महीने के भीतर ही राकेश जैन ने फिर से सोशल साईट पर यह कहते हुए पाला बदल लिया है कि आवत ही हरषे नहीं नैनन नहीं स्नेह तुलसी तहां न जाइए, कंचन बरसे मेह…और अब वे फिर से भारतीय जनता पार्टी में सिंधिया के समर्थन का जयकारा लगाते हुए कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। यह बता दें कि भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए जितेंद्र जैन गोटू के बड़े भाई देवेंद्र जैन को भारतीय जनता पार्टी ने शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बना दिया है, जबकि कोलारस से कांग्रेस का टिकट मांग रहे जितेंद्र जैन गोटू के स्थान पर कांग्रेस ने बैजनाथ सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा है जिसके बाद से जितेंद्र जैन गोटू भी कांग्रेस से खफा दिखाई दे रहे हैं और उनके तेवर भी बदले बदले दिखाई दे रहे हैं। अब गोटू क्या कुछ निर्णय लेते हैं यह 31 अक्टूबर तक साफ हो जाएगा। जितेंद्र जैन गोटू के साथ ही कांग्रेस ज्वाइन करने वाले राकेश जैन अमोल के बाद अब कुछ और नेताओं के कांग्रेस से वापस भाजपा में जाने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। कुल मिलाकर चुनाव के पहले चल रही दल बदल की यह हाई वोल्टेज नौटंकी फिलहाल खत्म होने का नाम लेती नजर नहीं आ रही।