- क्लोज फाइट सीटों पर समीकरण साधने की कोशिश, पोल के झांसे में न आने की अपील
- अतिरिक्त अलर्ट मोड में कांग्रेस से जोड़ कर देख रही है
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर 12 एक्जिट पोल सामने आये जिनमें से 10 एक्जिट पोल के मुताबिक़ मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच कशमकश की स्थिति बताई गई है। वहीं मात्र 2 एक्जिट पोल मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बना रहे हैं वह भी प्रचण्ड बहुमत से। इन 12 एक्जिट पोल के अतिरिक्त कांग्रेस बीजेपी आरएसएस, इंटेलिजेंस, आईबी, और आईबीसी समेत सभी स्थानीय चैनल भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने का ही अनुमान लगा रहे हैं।
जो दो चैनल कांग्रेस की जगह प्रचण्ड बहुमत से बीजेपी की सरकार बना रहे हैं, वो दोनों ही चैनल बीजेपी के अत्यधिक दबाव में आकर ऐसा कर रहे हैं। एक चैनल ने तो अपने ही स्टुडियो की बातचीत का एक वीडियो वायरल करके यह बताने की कोशिश भी कर ली है कि चैनल में दिखाये गये सर्वे से वो खुद भी सहमत नहीं है। दूसरे सर्वे की बात करें तो वो कल शाम 4 बजे तक मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बना रहे थे लेकिन अचानक से सभी आँकड़े बदलने पड़े।कांग्रेस इस पूरे खेल को देख कर अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को आगाह कर रही है कि यह माईण्ड गेम सत्ता पक्ष द्वारा प्रायोजित होने की प्रबल संभावना है जिसके जरिए वह ब्यूरोक्रेसी को दबाव में लेकर क्लोज फाइट वाली सीटों का गणित अपने पाले में करने की कोशिश कर सकती है, इसलिए मतगणना के दौरान हर स्तर पर पैनी निगाह रखना जरुरी है।
उल्लेखनीय है कि एक्सिस माई इंडिया और आज तक के एक्ज़िट पोल बिहार और पश्चिम बंगाल के चुनाव में पूरी तरह से ग़लत साबित हो चुके हैं। टुडेज चाणक्य के एक्ज़िट पोल भी बिहार और पश्चिम बंगाल में पूरी तरह से ग़लत साबित हो चुके हैं। मज़े कि बात तो यह है कि एक बार टुडेज चाणक्य ने अपने ग़लत एक्जिट पोल के लिये कम्प्यूटर की कोडिंग को भी ग़लत ठहरा दिया था।कांग्रेस नेताओं का मानना है कि दो चैनल को मैनेज करके केवल प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी पर दबाव बनाने की कोशिश की है ताकि कलेक्टर इस भ्रम में आ जायें कि बीजेपी की सरकार बन रही है और क्लोज फाइट सीटों का समीकरण खुद के पक्ष में कराया जा सके। कांग्रेस ने मतगणना को लेकर पहले से ही अपने कार्यकर्ताओं को चेता रखा है।
गत दिवस जिस तरह से 27 नवम्बर को ही बालाघाट में पोस्टल बैलेट खुलने मामला सामने आया और एक सीट पर मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत के चुनाव खर्च को वहां के निर्वाचन अधिकारी ने एक तरफा रिवाइज कर जो खेल खेला है उससे साफ जाहिर है कि नौकरशाही का खुलेआम चुनावी इस्तेमाल सत्ता पक्ष करने से नहीं चूक रहा। यहां शिवपुरी जिले में भी ऐसे ही कुछ मामले जांच में हैं जिनकी शिकायत ईसीआई को होने के बावजूद आयोग ने कार्रवाई के नाम पर चुप्पी ओढ़ रखी है। कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं और मतगणना एजेण्ट्स को स्पष्ट तौर पर कहा है कि बीजेपी की भ्रम फैलाने की कोई भी चाल कामयाब नहीं होने देना है मतगणना के एक एक चरण पर निगाह रखनी है और टेबुलेशन की नोटिंग भी एक एक मशीन की रखनी है जहां आशंका हो वहां चुप न रहते हुए अपनी आपत्त्ति पेश करनी है। पोस्टल बैलेट पर भी पैनी निगरानी करनी होगी।