-पालिका दे रही है मोटी वसूली कर पार्किंग और फुटपाथों पर दुकानों की परमीशन
-एक तरफ अतिक्रमण हटाने के दावे दूसरी तरफ कब्जों को शह
-सड़कों के बीच आवरा पशुओं के समूहों का विचरण समस्या बना
शिवपुरी शहर की व्यवस्थाओं का ढर्रा पूरी तरह से पटरी से उतर चुका है। एक ओर नगर पालिका के जिम्मेदार बाजारों से अवैध अतिक्रमण हटाने के दावे कर रहे हैं, दूसरी ओर नगर पालिका प्रशासन खुद पैसे वसूल कर बाजार के पार्किंग, फुटपाथ, और सड़कों को किराए पर उठा रहा है और अतिक्रमणों को खुद शह दे रहा है। वसूली के बूते पूरे बाजार सजाए जा रहे हैं। बाजार में कन्या उमावि कोर्ट रोड की हालत देख लीजिए। यहां इस कन्या विद्यालय की खिड़कियां तक कपड़ा कारोबारियों ने ढंक दी हैं और दीवारों पर कपड़े टंगे है।
अगर पूछा जाए कि यहां वूलन बाजार को किसने परमिशन दी तो ज्यादातर कहते हैं कि नपा ने यहां से मोटी उगाही कर परमिशन दी है जिसके बूते ये बाजार कोर्ट रोड़ से लेकर राजेश्वरी स्टेशन मार्ग पर सजा है। यहां शहर के सबसे बड़े कन्या स्कूल को तक अतिक्रामकों की भेंट चढ़ा दिया गया और तो और सब्जी मण्डी के सामने स्थित जो दो पहिया पार्किंग नगर पालिका ने खुद स्थापित की थी उसे भी अब दुकानदारों को अलॉट कर दिया गया है जहां अब वाहन खड़े होने के बजाए दुकानें सजी दिखाई दे रही हैं। यह सब खुले आम नगर पालिका कर रही है और ऊपर से ढोंग किया जा रहा है, दावे किए जा रहे हैं कि व्यस्ततम बाजारों से अवैध अतिक्रमण हटाए जा रहे हैं। यहां न केवल कोर्ट रोड़ बल्कि कमलागंज, झांसी तिराहा, माधव चौक, सदर बाजार सब तरफ सड़कों पर फुटपाथों पर दुकानें सजी हैं या फिर हाथ ठेले लगे हैं। छोटे कारोबारियों से लेकर बड़े कारोबारियों ने भी अब तो सड़कों पर सामान सजाना शुरु कर दिया है जिसके कारण लोगों की आवाजाही प्रभावित हो रही है। बीच सड़कों पर गौशाला का नजारा यहां सहज दिखाई दे जाएगा जहां बीच बाजारों में सड़कों पर आवागमन को अवरुद्ध करते ढोरों के समूह देखते ही बनते हैं। यातायात पुलिस ने भी बाजार की व्यवस्थाओं से मुंह मोड़ रखा है जिसके चलते यहां यातायात की आपाधापी भी कमाल की देखने में आ रही है।सदर बाजार में दुकानों के सामने दुकानों ने इस बाजार की हालत यह कर डाली है कि यहां साईकल से तक निकलने में लोगों को पसीना छूट रहा है। थीम रोड पर अतिक्रमणों का साम्राज्य देखते ही बनता है। इतना सब होने के बावजूद यहां अतिक्रमण हटाने या बाजारों की सड़कों को उनकी स्वभाविक चौड़ाई प्रदान करने की तरफ किसी का कोई गौर नहीं।