राजनीत को साधकर कुर्सी थामने और मलाईदार पोस्टिंग का मजा लूटने वाले सरकारी नौकरशाहों के लिए चुनाव और चुनाव के बाद का समय सर्वाधिक तनाव भरा साबित होता दिखाई दे रहा है। यह चुनाव प्रशासन के लिए भी कई चुनौतियों से भरपूर हो सकता है। लॉ एण्ड आर्डर के लिहाज से सेंसटिव कहे जा रहे शिवपुरी, पिछोर और पोहरी में चुनावों के दौरान कुछ भी हो सकता है।
शिवपुरी जिले के कई नौकरशाहों पर सत्ता दल की कठपुतली होकर नाचने का ठप्पा लगा है। हालांकि सत्ता जिसकी होती है सिक्का उसका चलता है इसमें कोई नई बात नहीं लेकिन यहां कुछ अधिकारियों ने जिस तरह से पद की गरिमा को ताक पर रख कर मंत्रियों के पिछलग्गू की भूमिका में खुद को पेश कर रखा है, उसके दृष्टिगत इनको इनकी इस फितरत के चलते सत्ता परिवर्तन की स्थिति में इस निष्ठा का भारी मोल चुकाना पड़ सकता है। कुछ को बीच चुनाव से भी शंट किया जा सकता है। इनके इस रवैए पर दलों की पैनी निगाह है और इनको लिस्टेड भी किया जा रहा है।
जिस तरह से प्रशासन ने पिछले कुछ समय में मंत्रियों के प्रभाव में लीक से हटकर फैसले लिए उसका चिट्ठा चुनाव आयोग तक संदर्भ सहित एक क्लिक में पहुंचाए जाने की पूरी तैयारी के साथ दल तैयार बैठे हैं। हालत यह है कि मंत्रियों को छोड़िए नपाध्यक्ष और मण्डल के पदाधिकारियों तक के सामने हाथ बांधे खड़े होने वाले इन नौकरशाहों की जमात यहां देखते ही बनती है। चुनावों के दौरान इनका एक भी मनमानीपूर्ण निर्णय इनकी कुर्सी डांवाडोल कर सकता है। आने वाला पखबाड़ा इनकी प्रतिबद्धता सुधार और झुकाव के प्रदर्शन के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
यह समय प्रशासनाधीशों के लिए कठिन चुनौतियों से भरपूर है। कुछ अधिकारियोंं ने तो अपने आपको निष्पक्ष दिखाने के उपक्रम भी शुरु कर दिए हैं। कुछ अहम पदोंं पर आसीन अफसरों की जो मण्डली सत्ता पक्ष के इशारे पर काम कर रही थी उसने खुद का इन सबसे दूरी बनाने के साथ विपक्ष के लोगों से तालमेल बिठाने का काम शुरु कर दिया है।
सी वोटर ओपिनियन पोल सत्ता दल को झटका, कांग्रेस की बांछे खिलीं
शनिवार को आया सबसे लेटेस्ट सी वोटर सर्वे, दिखा रहा है कांग्रेस को बढ़त में
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी-कांग्रेस ने एक दूसरे पर हमले तेज कर दिए हैं। प्रचार के लिए दोनों ही पार्टियों के राष्ट्रीय स्तर के नेता यहां पहुंच रहे हैं। राज्य में इस बार दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर है। बीजेपी जहां सरकार में है वहीं कांग्रेस सत्ता में वापसी के दावे कर रही है। दोनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। उम्मीदवारों की घोषणा के बाद मध्यप्रदेश का सियासी माहौल कैसा है इस बार किसकी सरकार बनेगी इसे लेकर कई ओपिनियन पोल किए गए हैं। शनिवार को एक नए ओपिनियन पोल की रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट से कांग्रेस खेमे में खुशी हो सकती है। वहीं बीजेपी के हाथ मायूसी लग सकती है।
किस पार्टी को कितनी सीटें
एबीपी और सी वोटर्स के सर्वे के अनुसारमध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर है। सरकार विरोधी लहर के बीच बीजेपी को झटका लग सकता है। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 99 से 111 सीटें मिल सकती हैं। वहीं कांग्रेस 118 से 130 सीटें जीतकर राज्य की सत्ता में वापसी कर सकती है।