नवरात्रों में टिकटों की बौछार के बाद चटक होगा चुनावी रंग, बगावत के भी आसार

भाजपा में पूर्व से मची है भगदड़ तो कांग्रेस में सूची के बाद मच सकती है हलचल
  • शिवपुरी और कोलारस सीट पर सर्वाधिक सस्पेंस के हालात
  • कड़वे दिन बीते आज से घोषित होंगे प्रत्याशियों के नाम

विधानसभा चुनाव को लेकर चली आ रही टिकटों की उहापोह की स्थिति आज नवरात्रों के शुरू होने के साथ ही समाप्त होना शुरू हो जाएगी। कनागतों का बहाना ओढ़कर कांग्रेस जहां अपने उम्मीदवारों की घोषणा से परहेज करती रही उसे भी अब उम्मीदवारों की सूची सामने लाना होगी। वहीं कड़वे दिनों की परवाह किए बगैर भारतीय जनता पार्टी अब तक जो चार सूचियां घोषित कर चुकी हैं, उसके बाद नवरात्रों में भाजपा की पांचवी सूची क्या कुछ गुल खिलाएगी यह भी देखना काबिले गौर होगा।

सूचियां सामने आते ही बगावत का पिटेगा ढोल

इस समय स्थिति यह है कि भारतीय जनता पार्टी में बगावत के सुर हर तरफ सुनाई दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस की खुशफ हमी भी उसकी कैंडिडेट सूची सामने आने के साथ ही हवा हो सकती है, क्योंकि अब तक सभी दावेदार खुद को टिकट की आस में चुपी साधे बैठे हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवारी समय से पूर्व घोषित हो गई है इस कारण वहां जगह जगह सीटों पर हंगामा बरपा हुआ है और जो दावेदार थे वह अब अपने ही दल के उम्मीदवारों को कैसे पटकनी दी जाए और आगे का रास्ता कैसे क्लियर किया जाए इसकी जुगत में जुटे दिखाई दे रहे हैं।

शिवपुरी जिले के पिछोर करेरा विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी क्रमश: प्रीतम लोधी और रमेश खटीक को उम्मीदवार घोषित कर चुकी है यह दोनों ही वे सीटें हैं जो भाजपा कांग्रेस के हाथो हार चुकी है। हारी हुई सीटों पर प्रत्याशी घोषणा के बाद करेरा में उठा पटक की स्थिति निर्मित होना शुरू हो गई है। करैरा विधानसभा सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक जसवंत जाटव की उम्मीद पर पानी फि र चुका है तो वहीं पार्टी के मूल कार्यकर्ता ओम प्रकाश खटीक के बेटे राजकुमार खटीक भी निराश हो गए हैं, हालांकि वे पिछला चुनाव हार चुके हैं। कांग्रेस करैरा विधायक प्रागीलाल जाटव के टिकट पर इन दिनों खड़े हो रहे तकनीकी पेंचों को देखकर उम्मीदवार बदलने की मुद्रा में भी आ जाए तो अचम्भा नहीं होगा। वैसे भी करेरा की तासीर रही है कि यहां से कोई प्रत्याशी लगातार क्रम में नहीं जीतता।

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राजे के बाद शिवपुरी पर संग्राम

शिवपुरी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा इसे लेकर सस्पेंस गहराता चला जा रहा है, क्योंकि पिछले लंबे समय से शिवपुरी का प्रतिनिधित्व कर रही विधायक यशोधरा राजे सिंधिया चुनाव लडऩे से मुंह मोड़ चुकी हैं और उन्होंने अपना कोई उत्तराधिकारी भी घोषित नहीं किया है, बल्कि स्पष्ट रूप से किसी को भी अपना उत्तराधिकारी मानने से इनकार किया है। जो कहीं ना कहीं पार्टी के प्रति उनकी नाराजगी के भाव का भी परिचायक कहा जा सकता है। इन परिस्थितियों में जो दावेदार यशोधरा राजे सिंधिया के वरदहस्त की उम्मीद में टिकटों की बाट जोह रहे थे उन नेताओं की मंशा पर घड़ों पानी पड़ गया है। इन्हें अब राजनीति में अपना कोई दूसरा गॉड फादर तलाशना होगा और तब तक यह चुनाव तो कम से कम उनके हाथों से निकल ही चुका होगा।शिवपुरी विधानसभा सीट से कांग्रेस संभवत: वीरेंद्र रघुवंशी को प्रत्याशी बनाएगी जिसकी संभावना इसलिए काफी अधिक है क्योंकि एक तो वह सिंधिया विरोधी हैं दूसरे शिवपुरी से विधायक भी रहे हैं, और वर्तमान में भी भाजपा से सिंधिया फैक्टर से परेशान होकर कांग्रेस में शामिल हुए हैं।

वीरेंद्र रघुवंशी अपना टिकट तय मानकर दीवार लेखन से लेकर विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क तक करने में जुट गए हैं, इन परिस्थितियों में वीरेंद्र के विरुद्ध लामबंद हुए कई अन्य दावेदारों की भूमिका चुनाव में क्या कुछ होगी इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी से ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव मैदान में उतरेंगे इसकी संभावना कम है फि र भी राजनीति में कुछ भी नहीं कहा जा सकता इनके अलावा जो नाम चर्चा में बने हुए हैं उनमें राघवेंद्र शर्मा के नाम से लेकर स्थानीय स्तर पर वैश्य वर्ग के प्रत्याशी के तौर पर देवेंद्र जैन, ब्राम्हण वर्ग से नरेन्द्र बिरथरे रामजी व्यास, जिलाध्यक्ष राजू बाथम, धैर्यवर्धन शर्मा जैसे चेहरों के अलावा कुछ अन्य वैश्य समाज से भी दावेदारी जता रहे हैं। नरेन्द्र विरथरे का नाम पिछले दो दिन से चर्चा में आया है, हो सकता है पार्टी ब्राहम्ण, और लोधी वोटर्स के गणित को ध्यान में रख यह दांव खेले क्योंकि नरेन्द्र उमा समर्थक हैं।

कोलारस में ट्राय एंगल फाइट के आसार

सबसे टिपिकल सीट कोलारस विधानसभा सीट मानी जा रही है जहां से भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आ मिले हैं। भारतीय जनता पार्टी की ओर से सिंधिया समर्थक महेंद्र यादव और पूर्व विधायक देवेंद्र जैन टिकट की मांग कर रहे हैं। ऐसे में यदि सिंधिया की चली तो महेंद्र यादव को टिकट मिल सकता है। हालांकि इसके अपने नुकसान भी कम नहीं है क्योंकि एक ही परिवार को पिछले कई दशक से हर चुनाव में उपकृत करते आ रहे सिंधिया के लिए भी यादव समुदाय के अन्य लोगों का विरोध आने वाले कल में झेलना पड़ सकता है। बात देवेंद्र जैन के टिकट की करें तो पिछले समय हुई उनकी हार यहां उनके आड़े आ रही है जो काफी मतांतर से हुई थी। कांग्रेस से यहां दो दावेदार ताल ठोक रहे हैं, जिनमें पूर्व में सिंधिया के खास रहे बैजनाथ सिंह यादव और दूसरे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जितेंद्र जैन गोटू। इन दोनों ही नेताओं की कांग्रेस में हवाई एंट्री चुनाव से ठीक पहले जिस अंदाज में हुई है उसे देखकर कोई भी कह सकता है कि विशुद्ध रूप से यह दोनों ही चेहरे चुनाव लडऩे की नीयत से भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए हैं। अब दो में से यदि बैजनाथ सिंह यादव को उनकी उम्र का लिहाज करते हुए पार्टी टिकट देती है तो पार्टी के सम्मुख विकट परिस्थितियों उत्पन्न करने के लिए जितेंद्र जैन गोटू भी तैयार मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं।। माना जा रहा है कि यदि बैजनाथ को टिकट हुआ तो गोटू हाथ छोड़ हाथी पर सवार हो सकते हैं और यह एक तरह से कोलारस की राजनीति में त्रिकोणीय संघर्ष को तय करने वाला कदम होगा।

पिछोर में घमासान जारी

बात करें पिछोर की तो यहां भाजपा प्रीतम लोधी को पहले ही प्रत्याशी बन चुकी है जबकि कांग्रेस से केपी सिंह कक्काजू के नाम की औपचारिक घोषणा भर शेष है।

पोहरी से मंत्री के नाम पर संशय के बादल

पोहरी विधानसभा सीट पर मौजूद सिंधिया समर्थक विधायक सुरेश राठखेड़ा के टिकट पर संशय बना हुआ है। यहां से भाजपा पूर्व में सुरेश राठ खेड़ा के हाथों पराजय का सामना कर चुके प्रहलाद भारती को दोहराने की मुद्रा में दिखाई दे रही है। जबकि कांग्रेस यहां यहां से कैलाश कुशवाहा, कल्याण वर्मा और प्रद्युम्न बछोरा में से किसी को भी मैदान में उतार सकती है। जिसमें से कैलाश कुशवाहा की संभावना अब्बल नंबर पर है। करैरा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक कुल मिलाकर अब नवरात्रों मैं सभी दलों के टिकटो का खुलासा हो जाएगा वही इलेक्शन का काउंटडाउन भी तेजी पकड़ लेगा त्योहारों के इस सीजन में लोकतंत्र का यह पर्व खांसी रंगत घोलने वाला साबित होगा।

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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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