डीपीआई ने अतिशेष शिक्षकों के अभ्यावेदन निराकरण के लिए जेडीई को भोपाल बुलाया

19 नवम्बर को होगी सभी संभागों के अभ्यावेदनों की समीक्षा

– शिक्षा विभाग में फिर से हड़कम्प की स्थिति, उछले आरोप

विसंगतियों से भरे पोर्टल के आधार पर मनमाने अंदाज में शिक्षकों को अतिशेष करार देकर स्थानान्तरण की श्रेणी में खड़ा करने के बाद जिस प्रकार से शिक्षा विभाग के आला अधिकारी विवादों की जद में आए थे और इस स्थानान्तरण प्रक्रिया पर विराम लग गया था, वह एक वार फिर से समूचे प्रदेश में प्रारम्भ होने जा रही है। इस सम्बंध में संचालक लोक शिक्षण केके द्विवेदी ने एक पत्र जारी कर समूचे संभागों के संयुक्त संचालकों को संचालनालय भोपाल तलब किया है।

जारी आदेश में कहा गया है कि अतिशेष शिक्षकों के संबंध में अभ्यावेदनों के निराकरण हेतु सभी संयुक्त संचालक सभी कार्यवाही पूर्ण कर 19 नवम्बर को जानकरी के साथ संचालनालय में उपस्थिति हों।पत्र में कहा गया है कि समस्त अभ्यावेदनों के निराकरण की स्थिति विमर्श पोर्टल पर दर्ज करें। दिनांक 8 नवम्बर से जारी निर्देश के तहत प्राप्त अभ्यावेदनों का परीक्षण कार्य भी पूर्ण करें ।

जिन शिक्षकों के सम्बंध में न्यायालय के आदेश के क्रम में स्पीकिंग आदेश जारी होने हैं जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से संबंधित को स्पीकिंग आदेश तामिल करायें। ऐसे न्यायालयीन प्रकरण जिनमें राज्य स्तर से अभ्यावेदन का निराकरण किया जाना है, उनकी लोक सेवकवार नस्ती तथ्यात्मक टीप एवं संभाग स्तर के निराकरण के आदेश के साथ लाएं। ऐसे लोक सेवक जिनके अभ्यावेदन मान्य होने से उनकी स्थिति में परिवर्तन हो रहा है ऐसे प्रस्ताव संलग्न प्रपत्र में तैयार कर सॉफ्ट कॉपी एवं हस्ताक्षरित प्रति साथ लाएं।प्राथमिक माध्यमिक हाई, हायर सेकेण्ड्री स्तर के ऐसे अतिशेष शिक्षक जो काउसलिंग में असहमत होकर अनुपस्थित रहे उनकी जिलेवार संभाग की संकलित सूची सॉफ्ट कॉपी/हार्ड कॉपी हस्ताक्षरित साथ लाएं। ऐसे लोक सेवक जिनके द्वारा काउसंलिंग में भाग लेकर विद्यालय लिया गया किन्तु उनके आदेश जारी नहीं हुए हैं, उनकी सॉफ्ट कॉपी साथ लाएं। उक्त समस्त कार्यवाही पूर्ण कर दिनांक 19 नवम्बर को संचालनालय में प्रात: 11 बजे अनिवार्यत: उपस्थित हो।

-आदेश के बाद फिर गर्माया माहौल, विभाग पर उछल रहे आक्षेप-

इस ताजा आदेश के बाद शिक्षा विभाग में एक वार फिर से हलचल पैदा हो गई है। कर्मचारी संगठन सक्रिय होकर विरोध की मुद्रा में आ गए हैं। यहां बता दें कि अलग अलग न्यायालयों ने रिट याचिकाओं का निराकरण करते हुए जिन शिक्षकों के अभ्यावेदन समय सीमा में निराकृत करने के लिए विभाग के आला अधिकारियों को निर्देशित किया था वे अभ्यावेदन समय सीमा में निराकृत कर पाने में विभाग असफल रहा है, ऐसे में कोई अधिकारी स्पीकिंग आर्डर पारित करने से पूर्व न्यायालय में प्रकरण फिर से जाने के पक्ष पर विचार कर हाथ डालने से बच रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग का पोर्टल आज भी विसंगति पूर्ण है ऐसे में भोपाल में बैठे अफसर कोई तार्किक कारण बता पाने की स्थिति में स्वयं नहीं हैं। इसी प्रकार से अतिशेष की प्रक्रिया स्थानान्तरण नीति 2022 के अनुसार मई जून में की जाना स्पष्ट उल्लेखित है उसका भी उल्लंघन यहां विभाग द्वारा किया गया है। ऐसे में इन विन्दुओं का भी कोई तार्किक जबाव विभाग दे पाएगा इसमें संशय है। वहीं पद संरचना में भी भारी विसंगति देखने में आई है कम छात्र संख्या वाली शालाओं में अधिक पद और अधिक छात्र संख्या वाली शालाओं में कम पद होने से भी विभाग कठघरे में खड़ा है। संभागीय स्तर पर शालाओं में पदों की स्थिति की सटीक जानकारी जेडीई भी नहीं दे पा रहे ऐसे में भोपाल स्तर पर पोर्टल में दर्शाई जा रही पदीय सरप्लस की स्थिति की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल हैं जिनका प्रमुख सचिव भी कोई संतुष्टिकारक उत्तर नहीं पेश कर पाए हैं।

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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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