आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या (Daily Routine)

आज हम चर्चा करेंगे आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या के बारे में। हमारे आचार्यों ने स्वस्थ और रोग मुक्त जीवन जीने के लिए दिनचर्या का उल्लेख किया है। आज कल हम देखते हैं अपनी की लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स काफी बढ़ चुके हैं जिसका परिणाम समय से पहले बाल झड़ना, महिलाओं में PCOD/PCOS की समस्या होना डायबिटीज होना इत्यादि देखने को मिलते हैं।

जबकि पहले के ज़माने में हमारे दादा और परदादा के ज़माने में ये बिमारियों का अस्तित्व ही नहीं था। आइये जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार दिन की शुरुआत और दिन के अंत तक की चर्या के बारे में जो हमें स्वस्थ जीवन की और ले जाएगी।

1 . ब्रह्ममहुरत में जागना


श्लोक :

ब्राह्मे मुहूर्त उत्तिष्ठेत्स्वस्थो रक्षार्थमायुषः|

अo सू २ /२

ब्रह्ममहुरत का मतलब होता है ब्रहम्म जी का समय (सुबह 4 – 6 बजे ) , इस समय उठ कर परमात्मा का ध्यान यानि मैडिटेशन करना चाहिए।
इस समय वायु, जल, भूमि, प्रकाश, आकाश अदि शुद्ध होता है।
शरीर की चिंता यानि रात का भोजन पचा या नहीं उसका विचार करते हुए मलमूत्र का त्याग करना चाहिए और मलमूत्र के मार्ग को पानी से शुद्ध करना चाहिए।

  • केवल इस समय मात्र उठने से ही आपका जीवनकल बढ़ जाता है (lifespan increases)
  • मन शांत रहता है, कोई नेगेटिव विचार नहीं आते।
  • दिन भर आप एक्टिव फील करते हैं।

2. दन्तधावन

दन्तधावन यानि दातों की सफाई करना। प्रातःकाल और सायं काल में दातुन करना चाहिए। दातुन के लिए बबूल, नीम और करंज (pongamiya pinnata) की 12 अंगुल लम्बी और कनिष्ठा अंगुली की समान मोटी होनी चाहिए। दातुन करते समय ध्यान रहे की आपके मसूड़ों को हानि न पहुंचे।

  • मुख में पवित्रता आती है।
  • दुर्गन्ध का नाश होता है।
  • आहार में रूचि आती है।
  • जिव्हा रोग (tongue related problems) का नाश होता है।

NOTE : ज्वर, Facial Paralysis, cough , मुँह में छाले, नेत्र रोग वाले व्यक्ति को दातुन नहीं करना चाहिए।
हमें दातुन करने के बाद जिव्हा को सुख पूर्वक साफ़ करना चाहिए।

3. अंजन कर्म

अंजन कर्म का मतलब आँखों में काजल लगाना होता है। इससे आखें शुद्ध होती हैं सुन्दर होती हैं और बड़ी हो जाती हैं। Pupil , cornea का रंग साफ़ होता है। और पलके चिकनी और घनी हो जाती हैं। इससे नेत्र की शक्ति बढ़ती है। नेत्र वायु और धूप को सहने में कुशल होता है।

4. नस्य गण्डूष का सेवन

अंजन कर्म के बाद अब हमें अणु तैल का नस्य (Nasal Drops) लेना चाहिए। इसका सेवन करने से त्वचा , कन्धा, ग्रीवा सुन्दर होती है , मुख सुगन्धिंत बना रहता है त्वचा पर झुर्रियां, बालों में सफ़ेदपन नहीं होता।

गण्डूष यानि अपने मुँह में नारियल या तिल का तैल को कुछ समय के लिए धारण कर के रखना। इसको धारण करने से

  • दांतो के रोग नहीं होते।
  • मुँह सूखता नहीं है।
  • होंठ फटते नहीं हैं।
  • स्वर हानि नहीं होती।

5. अभ्यंग

अभ्यंग यानि तैल से शरीर की मालिश करना। अभ्यंग को रोज़ करना चाहिए। शिर, कान एवं पैर के तलुओं पर विशेष रूप से प्रतिदिन मालिश करनी चाहिए।

  • आयु बढ़ती है।
  • निद्रा आती है।
  • शरीर में मज़बूती आती है।

6. व्यायाम

व्यायाम करने से शरीर में हल्कापन और कार्य करने की शक्ति, शरीर की एक एक माँसपेशी स्पष्ट हो जाती है और शरीर ठोस हो जाता है। अधिक जानकारी के लिए हमारा पिछले आर्टिकल ज़रूर पढ़ें।

7. उबटन

व्यायाम के बाद उबटन यानि लेप करना चाहिए। यह लेप अगरु, चन्दन , जौ या चने के आटे में तेल और दही मिलाकर शरीर पर मलना चाहिए।

8. स्नान

स्नान तोह हम सभी करते हैं पर क्या हमें स्नान करने के फायदे पता हैं? नहीं !

प्रतिदिन स्नान करने से

  • खुजली, दाद, पसीना, प्यास, दाह और बुरी भावना का नाश होता है।
  • गरम पानी से शिर का स्नान बालों और आखों की शक्ति को नष्ट करता है।
    स्नान जब भी करें , ठंडे या गुनगुने पानी से करें।

9. भोजन विधि

स्नान करने के बाद पहले वाले भोजन के पच जाने पर ही भोजन करें।
भोजन मात्रा अनुसार करना चाहिए।
हम सभी की भोजन करने की मात्रा अलग – अलग होती है इसलिए भोजन करते समय मात्रा का ध्यान रखना चाहिए।

10. सद्वृत्त का पालन

आसान भाषा में अगर कहें तो जो पीड़ित है, गरीब है, जिनका कोई जीवन उपदेश नहीं है उनकी सहायता करें।

11. कालस्मृति विचार

एक व्यक्ति के लिए यह बहुत ज़रूरी होता है की वह यह विचार करे – इस समय मेरा दिन – रत किस तरह बीत रहा है , मै कैसा होता जा रहा हूँ , मै पहले क्या था ?, आज मैंने कौनसा कार्य अच्छा या बुरा किया।
यह करने से हम कभी दुखी नहीं होंगे।

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Parag Batham
Parag Batham
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