शिवपुरी जिले के पिछोर क्षेत्र में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ और प्रशासन द्वारा उचित कार्रवाई न करने से आक्रोशित सहरिया क्रांति से जुड़े आदिवासियों ने आज जिला कलेक्टर कार्यालय पर एकत्रित होकर मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में सहरिया क्रांति ने थाना पिछोर अंतर्गत आने वाले नया चौराहा के पास स्थित टपरीयन गाँव के आदिवासियों पर पुलिस और अधिकारियों की मोजूदगी में हुए अत्याचारों का विस्तार से उल्लेख किया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। दोपहर 12 बजे आदिवासी समाज के लोग सहरिया क्रांति जिंदाबाद , अत्याचार नहीं सहेंगे, गुंडों को सरकारी संरक्षण बंद करो जैसे गगनभेदी नारे लगाकर संजय बेचैन के निवास से जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे जहां बरसते पानी में भी आदिवासी महिलाएं और पुरुष कलेक्टर कार्यालय पर डटे रहे। अपर कलेक्टर ने सहरिया क्रांति सदस्यों से ज्ञापन लिया व तत्काल उनकी समस्त मांगों को मानते हुये 7 दिन के अंदर निराकरण करने का आश्वाशन दिया और साथ ही 22 लोगों के विरुद्ध पुलिस प्राथमिकी तत्काल दर्ज करने के आदेश अमले को दिया। सहरिया क्रांति द्वारा सौंपे ज्ञापन के अनुसार ग्राम नया चौराहा के आदिवासियों की पट्टे की जमीन पर कब्जा करने के उद्देश्य से लोधी समुदाय के कुछ दबंगों ने अपने सजातीय बाहुबलियों और गुंडों को पास के गांवों से बुलाकर आदिवासियों के खेतों में मवेशी छोड़ दिए। इन मवेशियों ने खेतों में लगी मूंगफली और उड़द की फसल को नष्ट कर दिया, इसके बाद दबंग लोग खेतों में घुसे और खेतों की बाड़ों को भी तोड़ दिया। जब आदिवासी गौरव ने इस अत्याचार का विरोध किया, तो उसे सिर में लाठियों से पीटा गया और उसे दौड़ा-दौड़ाकर मारा गया। इस घटना में शामिल महिलाओं के साथ भी मारपीट की गई और उन्हें जातिसूचक गालियां दी गईं। पुलिस को सूचना दी तो उल्टा आदिवासियों पर ही कायमी कर डाली और निर्दोष लोगों को फंसा दिया।
अत्याचार का सिलसिला यहीं नहीं थमा। अगले दिन सुबह, जयंत लोधी, संतोष लोधी, महाराज सिंह लोधी, राहुल, अनिल, वीरसिंह लोधी समेत कई दबंग लोग सैकड़ों की संख्या में वापस आए और सड़क पर बैठे आवारा मवेशियों को हांककर आदिवासियों के खेतों में छोड़ दिया, जिससे उनकी बची-खुची फसल भी बर्बाद हो गई। इस दुखद घटना के दौरान राजस्व और पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में यह अत्याचार हुआ, लेकिन वे मूक दर्शक बने रहे।
ज्ञापन में सहरिया क्रांति ने इस घटना के कारण गांव के आदिवासियों की आर्थिक स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। गाँव के आदिवासी, जिनमें गुलशन, बाबू, दिलकूँ, बनमाली, पूरन, अच्छेलाल, जंकीय, चतुरसिंग, लचचू, रामलाल, ख़लक़सिंह, घमंडी, रामसेवक, फूलसिंह, ईश्वर, पन्ना लाल, बंशाराम, गोविंद दास, महेश, घमंडी, गुमान, हरी, रामसिंह, पुलई, ओमप्रकाश, जुराऊ, पीतम, सावरूपी, इमरत, सुखलाल, महरवान, पुशपेंडर, बेजनाथ, कल्याण, पातीराम, कोमल, रामजी, लालन, अशोक, चरण आदिवासी आदि शामिल हैं, अब भुखमरी की स्थिति में पहुँच गए हैं।
सहरिया क्रांति ने ज्ञापन में स्थानीय पुलिस पर भी आरोप लगाया कि उन्होंने आदिवासियों की फसल नष्ट करने का मामला दर्ज नहीं किया, जबकि घटना पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में हुई। उन्होंने पुलिस और राजस्व अधिकारियों पर बाहुबलियों के इशारों पर काम करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की। सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन ने कहा है की कर्तव्यविमुख अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए जिससे सुशासन का संदेश प्रसारित हो ।
ज्ञापन में सहरिया क्रांति ने निम्नलिखित मांगें की हैं:
1. फसल उजाड़ने वाले दबंगों पर कार्यवाही कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।
2. राजस्व और पुलिस अधिकारियों पर, जो घटना के दौरान मूकदर्शक बने रहे, कार्यवाही कर उन्हें निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठाई जाए।
3. पीड़ित आदिवासियों को फसल नुकसान का मुआवजा दिलवाया जाए।
4. महिलाओं के साथ अश्लील इशारे करने वाले दबंगों पर सख्त कार्यवाही की जाए।
5. आदिवासियों पर लगाए गए झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं।
6. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गांव में सुरक्षा की गारंटी दी जाए।
ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि इन मांगों को पूरा नहीं किया गया तो सहरिया क्रांति आंदोलन और प्रदर्शन के लिए विवश होगी, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। ज्ञापन सौंपने के दौरान सहरिया क्रांति के सदस्यों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। प्रशासन सहरिया क्रांति के प्रदर्शन के बाद अलर्ट हुआ और आरोपियों की धर पकड़ के निर्देश दिये। प्रशासन से ठोस आश्वाशन पाकर आदिवासी अपने घरों को रवाना हुये ।