अब तक दो बर्खास्त पर तीसरे की जांच को टाल रहा है बैंक प्रबंधन
प्रदेश के सहकारिता सेक्टर के सबसे बड़े सीसीबी बैंक घोटाले के तमाम मुख्य आरोपी 3 साल बाद भी पुलिस पकड़ से बाहर हैं। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित शिवपुरी में 83 करोड़ के सनसनीखेज बैंक घोटाले में अपनी गाढ़ी कमाई की पाई पाई गंवा बैठे शिवपुरी जिले के तमाम किसानों और नागरिकों के हालातों की न तो शिवपुरी के जनप्रतिनिधियों को परवाह है और न यहां के प्रशासनाधीशों को कोई लेना देना। हजारों खाताधारक अपने ही पैसों की निकासी के लिए मारे मारे घूम रहे हैं। बैंक के घोटालेबाजों ने पुलिस सिस्टम में भी ऐसी सेंध लगाई है कि पुलिस मुख्य आरोपियों को पकड़ने के बजाए उन्हें खुला संरक्षण दे रही है। तीन साल से ये फरार आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं मगर पुलिस को इस ओर ध्यान केन्द्रित करने की भी सुधि नहीं है।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित शिवपुरी बैंक के सिस्टम प्रभारी प्रभात भार्गव ने बैंक के कम्प्यूटर सिस्टम में साजिशन गड़बड़ी कर जो 83 करोड़ के सनसनीखेज बैंक घोटाले की बुनियाद रखी और इसके विरुद्ध 80 करोड़ 56 लाख की वसूली ब्याज सहित होनी है, वह आज भी बैंक प्रबंधन और पुलिस का ऐसा चहेता बना है कि शहर में ही अपने पुरानी शिवपुरी स्थित मकान से लेकर पत्नि के नाम से बने आलीशान फिजिकल बंगले में डटा रह कर काम कर रहा है। बंगलों से किराया वसूल रहा है और बच्चों की 40 लाख की डोनेशन देकर मेडिकल करा रहा है। न तो बैंक ने इसके खिलाफ बर्खास्तगी की कार्यवाही की है न पुलिस ने इसे टटोलना ही उचित समझा। यह मुख्यालय पर जमा हुआ है। इसकी परिसम्पत्तियों को सीज करने की भी बैंक मंशा नजर नहीं आ रही।कोलारस पुलिस के आईओ अपनी जांच कार्यवाही को कछुआ गति से चला रहे हैं। इस स्कैम के मुख्य आरोपी लेखापाल त्यागी, प्रभात भार्गव और हरिवंश पकड़ से बाहर हैं। न तो इन पर ईनाम राशि बढ़ाने पर विचार किया गया और न इनकी धरपकड़ के प्रति पुलिस सक्रिय नजर आ रही सब कुछ सांठगांठ से चल रहा है। इनमें से हरवंश और त्यागी को तो बैंक सीईओ ने बर्खास्त कर उन पर रिकवरी संस्थित कर दी मगर सीबीएस प्रभारी प्रभात विभागीय कार्यवाही से कैसे बचा है इस पर कोई तर्क दे पाने की स्थिति में मौजूदा सीईओ भी नही हैं।
ज्ञातव्य है कि सहकारी बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बैंक घोटाले से जुड़े 3 आरोपियों को विभागीय जांच में दोषी पाते हुए बर्खास्त करने के आदेश दे डाले थे, साथ ही इनसे करोड़ों की गबन की गई राशि की वसूली के भी आदेश दिए हैं। इनमें लेखापाल सहायक लेखापाल और बैराड़ के बैकिंग सहायक की सेवाएं जहां समाप्त कर दी गई हैं वहीं घोटाले के मुख्य कर्ताधर्ता सीबीएस प्रभारी प्रभात भार्गव के विरुद्ध न तो कुर्की आदेश जारी हुआ न ही उसके विरुद्ध विभागीय जांच प्रतिवेदन ही अब तक सामने आया, और पुलिस भी इसे ढाई साल में अरेस्ट नहीं कर पाई।9 जुलाई 2024 को जारी एक आदेश में जिला सहकारी बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने घोटाले के मास्टर माईंड लेखापाल रामप्रकाश त्यागी को विभागीय जांच प्रतिवेदन जो 28 मई 2024 सामने आया उसको आधार बनाते हुए उसे सेवा से पृथक करने का आदेश जारी कर दिया है। आदेश में राम प्रकाश त्यागी से 66 करोड़ 64 लाख 2469 रुपए की वसूली किए जाने का भी उत्तरदाई ठहराते हुए सेवा से पृथक किया है। इसी क्रम में हरिवंश शरण श्रीवास्तव निलंबित सहायक लेखापाल को भी बैंक ने 15 जून को प्रस्तुत विभागीय जांच प्रतिवेदन के आधार पर दोषी पाते हुए सेवा से पृथक करने की कार्रवाई की। हरिवंश शरण श्रीवास्तव को बैंक से गबन की गई राशि में से 68 करोड़ 29 लाख 21342 रुपए की संयुक्त वसूली किए जाने का भी उत्तरदाई ठहराया गया है। बैंक के जीएम ने सीबीएस प्रभारी प्रभात पर कोई कार्यवाही नहीं की है। प्रभात के विरुद्ध डीआर कोर्ट ने 80 करोड़ 56 लाख रुपए की रिकवरी निकाली है। जीएम का तर्क है कि प्रभात की विभागीय जांच पूरी नहीं हुई। यह विभागीय जांच शाखा प्रबंधक पिछोर जयवीर धाकड़, कार्यालय अधीक्षक व स्थापना प्रभारी वीरु पाराशर तथा बैंकिग सहायक राजीव चौहान कर रहे हैं। इनके साथ प्रभात की सांठगांठ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक जांच पूरी न करके अटका रखी है जबकि भोपाल से आए 13 सदस्यीय जांच दल ने प्रभात को अपने प्रतिवेदन में मुख्य आरोपी मानते हुए प्रतिवेदन दिया है। पुलिस आरोपी को विभागीय स्तर पर जांच को प्रभावित करने के लिए भरपूर छूट दे रही है। यहां बता दें कि इस बैंक घोटाले की आरोपी पूर्व सीईओ लता कृष्णन पुलिस जांच के बीच ही फिर से सेवा में बहाल हो गई हैं। कुल मिलाकर इस बैंक घोटाले में पुलिस और विभागीय अधिकारियों की मंशा जहांं आरोपियों को बचाने की है, वहीं जनप्रतिनिधियों की जनता के प्रति कतई कोई जबावदेही नजर नहीं आ रहे। बैंक अधिकारी भी आरोपी प्रभात की सम्पत्ति बंधक नहीं बनाए जाने पर कुछ नहीं बोले।
इनका कहना है-
सहकारी बैंक में हुए घोटालें में तीन साल से जांचे लम्बित थीं, जिनको मैने यहां आने के बाद जांच को गति दी है। जो जांच पूरी हुईं उनमें हमने टर्मिनेशन की कार्यवाही की है, एक माह में शेष आरोपियों के विरुद्ध भी जांच प्रक्रिया भी पूरी कराने का प्रयास है। हम खुद चाहते हैं कि बैंक के स्तर पर जो भी विधियोचित कार्यवाही की जा सकती है उसमें अब कोई विलम्ब हमारे द्वारा न हो।
आरके दुबे
जीएम सीसीबी शिवपुरी