भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार की शाम तक शिवपुरी पोहरी कोलारस तीनों विधानसभा सीटों पर अपना कोई प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। पार्टी के भीतर चिंतन मंथन की प्रक्रिया लगातार क्रम में जहां जारी है वहीं काँग्रेस प्रत्याशियों ने अपने-अपने स्तर पर रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। भाजपा ने नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल जैसे केंद्रीय नेताओं को विधानसभा चुनाव में उतार कर जो नया दांव खेला है वह किस हद तक सफल रहेगा यह तो आने वाले कल में तय होगा, लेकिन इन दिग्गजों के विधानसभा चुनाव लडऩे से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर विधानसभा चुनाव लडऩे का दबाव बनता नजर आ रहा है। काँग्रेस ने सिंधिया की संभावनाओं को ताड़ते हुए पहले ही मोर्चे बंदी शुरू कर दी है जिसके तहत ग्वालियर पूर्व से जहां सतीश सिकरवार चुनाव मैदान में हैं वही सिंधिया के पुराने संसदीय क्षेत्र और भाजपा के गढ़ माने जाने वाले शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार के विजेता पूर्व मंत्री पिछोर विधायक केपी सिंह कक्काजु को उतारा है। यह दोनों वह सीटें हैं जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव माना जाता है और वह यदि विधानसभा लड़ते हैं तो इन दोनों ही सीटों में से किसी एक पर उन्हें मैदान में उतरना होगा। इन सबसे परे काँग्रेस का टिकट घोषित होते ही पिछोर विधायक केपी सिंह ने नवरात्रि के पहले दिन 15 अक्टूबर को ही शिवपुरी के अपने फिजिकल स्थित बंगलो पर डेरा जमा लिया है जहां प्रात: से लेकर देर रात तक जबरदस्त भीड़ का जमावड़ा जुटा दिखाई दिया।
विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि अलग-अलग समाज और संगठनों के प्रतिनिधि सहित काँग्रेस के तमाम नेता एवं कार्यकर्ता केपी सिंह कक्काजू को शिवपुरी से टिकट मिलने पर उन्हें बधाई देते दिखाई दिए। 1993 से लगातार क्रम में केपी सिंह पिछोर विधानसभा सीट से अब तक छह चुनाव जीत चुके हैं, छात्र राजनीति से काँग्रेस की राजनीति में कदम रखने वाले केपी सिंह एक ऐसे नेता के तौर पर जाने जाते हैं जिन्होंने कभी जातिगत आधार पर राजनीति नहीं की बल्कि सभी जातियों को तवज्जो देकर चले हैं। यही कारण है कि 40 हजार के लगभग लोधी मतदाताओं के बाहुल्य वाले पिछोर विधानसभा सीट से बिना किसी जाति गणित के अपराजेय योद्धा के तौर पर हर चुनाव और तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जीत दर्ज कराते रहे हैं। शिवपुरी विधानसभा उनके लिए नया नहीं है क्योंकि पिछोर के कई गांव शिवपुरी विधानसभा में लगते हैं और रही बात यहां के व्यापारी और अन्य वर्गो के लोगों के साथ ताल्लुक की तो केपी सिंह के सबसे आत्मीय रिश्ते हैं जहां तक भाजपा के कई दिग्गज केपी सिंह के साथ खड़े देखे गए हैं ।अब यदि सिंधिया का टिकट शिवपुरी से नहीं होता तो फिर कौन होगा मैदान में इसे देखें तो इस समय देवेन्द्र जैन, नरेन्द्र बिरथरे, धैर्यवधन शर्मा, राजू बाथम जैसे नाम सामने आ रहे हैं वहीं संभावना यह भी है कि भाजपा इन सबसे परे कोई और चौंकाने वाला फैसला ले क्योंकि काँग्रेस के कुछ असंतुष्ट भी हाथ पैर मार रहे हैं।