पोहरी में एक ही बिरादरी के दो प्रत्याशी आमने सामने
जिले की पोहरी विधानसभा में बसपा लगातार क्रम में चुनावों को त्रिकोणीय बनाती चली आ रही है, चुनाव कोई भी हारे जीते लेकिन पिछले दो चुनावों से बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर आ रहा है। इस बार जैसा कि बेचैन नज़र ने पहले ही प्रमुखता के साथ लिखा था कि पोहरी विधान सभा से इस बार कांग्रेस के बागी प्रद्युम्र बछोरा हाथी की सवारी गांठेंगे, अब बसपा ने प्रद्युम्र वर्मा को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। प्रद्युम्र के मैदान में आने से अब एक ही जाति समुदाय के दो प्रत्याशी मैदान में आमने सामने आ गए।
यहां यह उल्लेखनीय है कि पोहरी विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जहां कैलाश कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है वहीं भाजपा ने पिछली दो बार के विजेता लोनिवि राज्य मंत्री सुरेश रांठखेड़ा को तीसरी बार सिंधिया के दखल के चलते मैदान में उतारा है। पोहरी विधानसभा में किरार वोटर्स बड़ी संख्या में हैं ऐसे मे यहां अब बसपा और भाजपा दोनो ही दलों से किरार उम्मीदवारों के आमने सामने होने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। पोहरी विधानसभा का चुनाव त्रिकोणीय हो गया है। गौरतलब है कि पिछले दो चुनावों में बसपा के चुनावी परिणाम चौंकाने वाले रहे। बसपा पिछले दोनों ही चुनाव में दूसरे पायदान पर रही। पिछले दो बार से बसपा की ओर से कैलाश कुशवाह चुनाव लड़ रहे थे। इस बार कैलाश कुशवाह ने बसपा का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया। कांग्रेस ने भी कैलाश कुशवाह को पोहरी विधानसभा से उम्मीदवार बनाया।
जबकि पिछली दो बार से साल 2018 का चुनाव कांग्रेस से और कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल होने के बाद साल 2020 का उप चुनाव जीतने वाले सिंधिया समर्थक सुरेश धाकड़ इस बार भाजपा की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने अपना उम्मीदवार प्रधुमन वर्मा को बनाया है। 44 साल के प्रद्मुमन वर्मा पूर्व में जनपद अध्यक्ष पोहरी रह चुके हैं। प्रद्मुमन वर्मा ने बीकॉम की पढ़ाई कर रखी है। प्रद्मुमन वर्मा लंबे समय से कांग्रेस के लिए काम करते आ रहे थे।
इस बार उन्होंने कांग्रेस पोहरी विधानसभा से टिकट की मांग की थी। उन्हें कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं बनाया। इसी के चलते इस बार प्रद्मुमन वर्मा ने कांग्रेस का हाथ छोड़ बसपा का दामन थाम बसपा की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं।
पोहरी में जाति हमेशा करती है हार जीत तय
पोहरी विधानसभा में 2 लाख 43 हजार के लगभग मतदाता है जिनमें सबसे अधिक 50 हजार के लगभग धाकड़ लगभग 35 हजार के लगभग आदिवासी 30 हजार के लगभग, जाटव 17 हजार के लगभग यादव 12 हजार के लगभग ब्राह्मण अपना मतदान करते हैं।
धाकड़ समाज के अधिक वोटर होने के चलते धाकड़ समाज के प्रत्याशी के लिए यह सीट अनुकूल मानी जाती है। दूसरे नंबर पर आदिवासी और जाटव समाज की संख्या अधिक होने के चलते इस सीट पर बसपा उम्मीदवार को अच्छे वोट मिल जाते हैं। यही वजह रही कि पिछले दो वार के चुनाव में धाकड़ समाज का प्रत्याशी पहले स्थान व बसपा उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहा। पिछले दो चुनावों में कैलाश कुशवाह ने बसपा की उम्मीदवार करते हुए अपने समाज के साथ साथ आदिवासी समाज और जाटव समाज का वोट अपनी और खींचकर दूसरा स्थान प्राप्त किया था। माना जा रहा है कि मैदान में अब हाथी पर किरार उम्मीदवार के आने से मंत्री की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, और यहां का चुनाव पिछले दो चुनावों से भी दिलचस्प हो सकता है।