एक ने सिंधिया के सामने रोते हुए पार्टी छोड़ी
जिस दलबदल की नौटंकी के सहारे कांग्रेस एक माह पूर्व भाजपा से बागी हुए सिंधिया समर्थकों को हाथों हाथ लेकर फूली नहीं समा रही थी, अब उसी दलबदल ने कांग्रेस की सांसें फुलाना शुरु कर दिया है। पहले जो सिंधिया समर्थक कांग्रेसी सिंधिया के साथ भाजपा में गए थे, और जिस तरह से वहां घुटन का अनुभव करने की बात कहते हुए विधानसभा चुनावों के ठीक पहले एक रणनीति के तहत भाजपा छोड़ कर टिकट की चाह में फिर से कांग्रेसी रंग में रंग गए, उनमें से कईयों ने यहां बवाल काटना शुरु कर दिया है। वे एक माह के भीतर ही यहां कांग्रेस में टिकट न मिलने से इस हद तक उकता गए हैं कि फिर से सिंधिया का जयकारा लगाते हुए वापसी की मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं जिससे कांग्रेस को चुनावी बेला में बड़ा आघात लगा है। इनमें से राकेश जैन आमोल जैसे कुछ तो खुद व खुद आखों में आंसू भरकर उन्हीं सिंधिया के शरणम गच्छामि हो गए जिनको कोसते हुए वे भाजपा से कांग्रेस में आए थे।
सूत्रों की माने तो आने वाले कल में किसी भी दिन इन दल बदलने वाले नेताओं के एक समूह की फिर से सिंधिया के समक्ष ही भाजपा में वापसी की स्क्रिप्ट लिखी जा सकती है। चुनावी दौर में भाजपा छोड़ कांग्रेस में आने वाले राकेश गुप्ता वनस्थली ने अपने साले साहब देवेन्द्र जैन पत्तेवालों को भाजपा से टिकट मिलने के बाद एकाएक कमलनाथ और दिग्विजय के विरोध में सुर बुलन्द करते हुए सार्वजनिक तौर पर पार्टी के सर्वे पर जिस तरह के सवाल खड़े किए, उससे साफ संकेत मिलता है कि कांग्रेस में पुराने सिंधिया निष्ठों का खेल शुरु हो चुका है। देवेन्द्र जैन पत्तेवालों के भाई जितेन्द्र जैन गोटू जो भाजपा छोडऩे पर इस हद तक आमादा रहे कि उन्होंने प्रभात झा तक के अनुरोध को ठुकरा दिया, और कांग्रेस ज्वाईन करने के बाद भाजपा विधायक एवं मंत्री यशोधरा राजे के काले चश्मे पर खुलकर भाषणों में तीखे तेवर दिखाए, वे इन दिनों कांग्रेस की बजाए अपने बड़े भाई भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन के प्रचार मेंं शिवपुरी में जुटे दिखाई दे रहे हैं। हालांकि राकेश जैन, राकेश गुप्ता और जितेन्द्र जैन में से राकेश गुप्ता, जितेन्द्र जैन जहां आपस में साले बहनोई हैं वहीं राकेश जैन भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन के समाज बंधु हैं। ऐसे में इनका यह रोल अप्रत्याशित नहीं कहा जा सकता।
खबर यह भी निकल कर सामने आ रही है कि भाजपा की ओर से आने वाले समय में सिंधिया की चुनावी सभा के दौरान कुछ नेताओं की भाजपा वापसी भी सम्भावित है। कांग्रेस में चंद रोज पूर्व आए इन नेताओं के आने से भले ही पार्टी को कोई फायदा न हुआ हो मगर अब इनका बदलता किरदार पार्टी की किरकिरी का वायस जरुर बनता दिखाई दे रहा है।