– तीन माह पूर्व केपी यादव ने जताई थी संभावना, जो सही साबित हुई
– मैदानी स्तर पर सर्वे से गड़बड़ाया पार्टी का गणित, स्थानीय नेताओं का विरोध शुरु
भाजपा अपने सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में टिकट देकर मैदान में उतार रही है। सांसदों को विधायकी का टिकट देने का स्थानीय स्तर के दावेदारों द्वारा तीखा विरोध भी शुरु हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो भारतीय जनता पार्टी को अपने सांसदों को और केंद्रीय मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाए जाने की नौबत इसलिए आई क्योंकि तमाम सर्वे रिपोर्ट्स भाजपा की स्थिति को 2023 के चुनाव में भारी डांवाडोल बता रही हैं। सूत्रों का कहना है कि आगामी लिस्ट में शिवपुरी जिले में भी सांसद वाला प्रयोग किसी एक सीट पर दोहराया जा सकता है। शिवपुरी जिले की कोलारस और शिवपुरी सीट को लेकर इस समय भारी ऊहापोह की स्थिति देखी जा रही है। करैरा विधानसभा और पिछोर विधानसभा सीट से भाजपा अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित कर चुकी है। अभी कोलारस और शिवपुरी विधानसभा सीट पर प्रत्याशी घोषित होना शेष है।
यहां बता दें कि पिछले समय सांसद केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को विधानसभा चुनाव लड़ाने संबंधी बयान दिया था। अब जबकि उनके इस बयान के लगभग तीन माह बाद भारतीय जनता पार्टी ने सांसदों को जब विधानसभा चुनाव में उतारना शुरू किया है तो लगता है कि पार्टी पहले से ही इस रणनीति पर कम कर रही थी। इस विधानसभा चुनाव में सांसदों को मैदान में उतारने के पीछे पार्टी का एक सोच यह भी सामने आ रहा है कि सांसदों के चुनाव लड़ने से उन क्षेत्रों के साथ साथ आसपास की सीटों पर भी भाजपा का वातावरण निर्माण होगा और पार्टी को इस रणनीति से फायदा मिलेगा। इसके ठीक उलट जिन क्षेत्रों मेंं इन बड़े नेताओ को प्रत्याशी बनाया गया है वहां स्थानीय स्तर पर विरोध के स्वर तीव्र होने लगे हैं। नेताओं का कहना है कि अब केन्द्रीय मंत्री और सांसद विधायक का चुनाव लड़ेगे तो छोटे स्तर के कार्यकर्ता क्या करेंगे उनके लिए तो भविष्य बचा ही नहीं। उधर काँग्रेसियों का साफ कहना है कि उप चुनाव बचाने के लिए जनता इन बड़े चेहरों को विधानसभा में ही हरा देगी ताकि न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी। जब विधानसभा जीतेंगे ही नहीं तो छह माद बाद उपचुनाव की नौबत ही नहीं आएगी। शिवपुरी जिले के दो नामों की चर्चा सामने आ रही है जिन्हें पार्टी अपने स्तर पर बतौर प्रत्याशी बना कर उतार सकती है – केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य और सांसद केपी यादव। अब किसे यादव बहुलय सीट कोलारस पर चांस दिया जाता है यह देखने काबिल होगा। हालांकि बड़े नामों को छोटे चुनाव इतने सहज भी नहीं माने जा सकते जितना सहज अनुमान लगाया गया है फिर भी भाजपा का यह ट्रम्पकार्ड कितना काम करता है देखना दिलचस्प होगा।