स्वास्थ्य विभाग में बड़ा गोलमाल, सीएचओ प्रोत्साहन राशि स्कैम, जांच टीम गठित

जिले से लेकर स्वास्थ्य केन्द्रों तक गड़बड़ियां

-आशा भर्ती में फर्जीवाड़ा, 8 को तो हटाया पर जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं 
– नेत्र सहायक को बनाया सर्वेसर्वा, खरीदी में भी वित्तीय अनियमितताएं 

शिवपुरी जिले में स्वास्थ्य विभाग के हाल बदहाल हैं यहां अधिकारियों की अनसुनी और अमले की मनमानी ने शासन की योजनाओं को पलीता लगा डाला है। मामला विजिलैंस के अधीन होने के बावजूद अनियमितताऐं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। 

यहां कम्युनिटी हेल्थ आफिसर यानि सीएचओ को प्रदाय की जाने वाली प्रोत्साहन राशि पीआईबी, जो वेतन के अतिरिक्त प्रदान की जाती है, को करैरा बीएमओ और एक नेत्र सहायक द्वारा अवैध वसूली कर एमपी आरोग्यम पीआईबी पोर्टल पर बिना एप्रूवल के कतिपय सीएचओ को खातों में अंतरित करने का कारनामा अंजाम दिया है, जबकि जिन सीएचओ ने कमीशन नहीं दिया वे आज भी प्रोत्साहन राशि की बांट जोह रहे हैं। यहां जांच बिन्दु यह है कि जब गड़बड़ी के पकड़ में आने की संभावना बनी तो आनन फानन में भुगतान के बाद बिल का एप्रूवल लिया गया। पहले राशि का स्थानान्तरण किया जाना और बाद में एप्रूवल लिया जाना ही अपने आप में अनियमितता के आरोपों को पुष्टि प्रदान करता है। प्रकरण की शिकायत होने पर बीएमओ और ऑप्थैल्मिक असिस्टेण्ट चौहान ने मामले में खुद को पाक साफ बताने की गरज से कुछ सीएचओ को नोटिस देकर राशि वापस करने को कहा गया। बताया जाता है कि इस मामले में एमडी एनएचएम भोपाल द्वारा आदेशित किया गया है कि प्रत्येक सीएचओ को हर माह प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। इस आदेश के बावजूद यह राशि यहां सिर्फ लेनदेन के खेल में रोके रखी गई जो जांच का विषय है। 

ट्रेनीज सीएचओ को भी कर डाला भुगतान- 

एमडी एनएचएम के आदेश अनुसार प्रशिक्षु को को मासिक प्रोत्साहन राशि दिए जाने की पात्रता नहीं है किंतु विकासखंड करेरा में 20 प्रतिशत कमीशन लेकर प्रशिक्षु को को भी प्रोत्साहन राशि का भुगतान कर दिया गया है, जो अपने आप में वित्तीय अनियमितता का परिचायक है। प्रभारी बीपीएम एनएस चौहान एवं बीएमओ द्वारा कई सीएचओ को प्रोत्साहन राशि का भुगतान बिना एमपी आरोग्यम पोर्टल पर अप्रूव किए उनके बैंक खातों में किया गया है, जिसकी जांच सीएचओ के पोर्टल एवं खातों के मिलान से की जा सकती है।  

आशा कार्यकर्ता चयन में घोटाला- 

यहां यह तथ्य है कि यहां आशा कार्यकर्ताओं की नियम विरुद्ध भर्ती में भी भारी अनियमितताएं की गई हैं जिसके चलते रीना भार्गव वार्ड 9, वर्षा त्रिपाठी वार्ड 7, आरती साहू वार्ड 4 और रजनी मण्डेलिया वार्ड 6 इन शहरी आशा कार्यकर्ताओं को सीएमएचओ ने जांच उपरांत 24 फरवरी 24 को पत्र क्रमांक 3131 जारी कर नियम विरुद्ध चयनित बताया और हटाने की कार्यवाही की। 

इस क्रम में वित्तीय वर्ष 2022-2023 में आशा कार्यकर्ताओं से भी पैसे लेकर उन्हें नियुक्ति का आश्वासन तो दिया गया लेकिन नियुक्ति पत्र नहीं दिए गए। उप स्वास्थ्य केंद्र अमोला पर पदस्थ सीएचओ शांति शरण शर्मा का कहना है कि उन्होंने वहां नियुक्त आशा कार्यकर्ता को आज तक नहीं देखा गया जबकि जिस आशा के पद पर रुचि लोधी नामक महिला की नियुक्ति बताई गई है उसके खाते में बीएमओ द्वारा 67650 की राशि भुगतान की गई है। यह भुगतान आज भी जारी है। यहां आशा कार्यकर्ताओं की अवैध नियुक्ति का जो मामला सामने आया है जिसमें आठ शहरी आशा कार्यकर्ताओं का चयन गलत तरीके से भर्ती गाइडलाइन को ताक पर रखकर किया गया है जिसकी शिकायत किए जाने पर डिप्टी डायरेक्टर एनएचएम डॉक्टर एस के सकल द्वारा कराई गई जांच में आठ आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति फर्जी पाई गईं उन आठ कार्यकर्ताओं को तो हटा दिया गया लेकिन नियम विरुद्ध नियुक्त करने वाले अधिकारियों के खिलाफ आज पर्यंत कोई कार्रवाई नहीं किया जाना इस बात का परिचायक है कि स्वास्थ्य महक में नीचे से ऊपर तक रैकेटियर सक्रिय हैं। 

नियम विरुद्ध प्रभार देकर की गई मनमानी- 

एमडी एनएचम के आदेश के अनुसार बीपीएम करेरा का प्रभार एनएचएम के किसी कर्मचारी जैसे खंड लेखा पाल, या डीसीएम को प्रदाय करने का नियम है, इसके बावजूद भी सीएमएचओ डॉक्टर पवन जैन द्वारा नवल सिंह चौहान नेत्र सहायक जो कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मनपुरा पर पदस्थ है, को करेरा बीपीएम के चार्ज के साथ.साथ जिला सीएमएचओ कार्यालय में कई अन्य प्रभार भी नियमों को ताक पर रखकर दिया गया है। 

इस तरह से बना सिण्डीकेट- 

स्वास्थ्य विभाग शिवपुरी में कोरोना काल में हुई अंधाधुंध खरीदी का मामला यदि जांच के पटल पर लिया जाए तो यहां चौंकाने वाला स्कैम सामने आना तय है। 2010 से 2021 के पीरियड में मैसर्स यश इन्टरप्रायजेज ग्वालिया, सुदर्शन एसोसिएट ग्वालियर, पर्व एन्टर प्रायजेज ग्वालियर, गणेश ट्रेडर्स शिवपुरी, रावत कम्प्यूटर शिवपुरी, कुमार स्टेशनरी वीनस प्रेस, आदि संस्थानों से की गई खरीद फरोख्त को लेकर विजिलेंस भी जांच कर रही है। यहां नेत्र सहायक को खरीद से लेकर अन्य शाखाओं में नियम विरुद्ध पदस्थ रखा जाना जांच योग्य है, इसके द्वारा अपने मूल पद पर कार्य करते हुए किन किन नेत्र आपरेशन में सहभागिता की गई इसकी जांच की जाए तो सारा खेल सामने आ जाएगा। 

इनका कहना है- 

सामुदायिक एवं संस्था आधारित सेवाए प्रदाय किए जाने के उददेश्य से समस्त उप स्वास्थ्य केंद्रों को आयुष्मानआरोग्य मंदिर के रुप में उन्नयन किया जाकर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदाय की जा रही हैं। इस सम्बंध में करैरा उप स्वा केन्द्र अमोला में कार्यरत सीएचओ ने अवगत कराया कि वर्तमान में किए जा रहे प्रोत्साहन राशि भुगतान में अनियमितता की गई है, इस बारे में जांच हेतु 14 जून को राज्य, जिला स्तर से एक संयुक्त जांच दल बनाया गया है जिसमें डॉ शरद, डॉ मनीष, मनोज राजपूत, निलेश, एवं प्रतीक मोदी को शामिल किया गया है समिति 15 दिन के भीतर जांच कर प्रतिवेदन देना सुनिश्चित करेगी। 
प्रियंका दास, मिशन संचालक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र 

आशा कार्यकर्ता एक तरह से मजदूर होती हैं- बीएमओ शर्मा 

बीएमओ करैरा डॉ प्रदीप शर्मा का कहना है कि आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति का कोई अर्थ नहीं वे तो मजदूर की तरह से होती हैं, ऐसे में उन्हे जो मानदेय मिला, उसकी रिकवरी का कोई सवाल ही नहीं उठता। जिस तरह से मजदूरों से काम करवाने के बाद उनसे मजदूरी का भुगतान वापस नहीं लिया जा सकता ठीक वैसे ही यह मामला है।

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Rahil Sharma
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