कभी एशिया के नंबर 1 भेड़ फार्म के तौर पर जाना जाने वाला यह फार्म मात्र 197 एकड़ भूमि में सिमट गया

कभी एशिया के नंबर 1 भेड़ फार्म के तौर पर जाना जाने वाला यह फार्म मात्र 197 एकड़ भूमि में सिमट गया है, जो इस समय पशुपालन विभाग के अधिपत्य में हैं। शेष सभी भूमि या तो राजस्व विभाग के कब्जे में चली गई है या फिर उद्योग विभाग और अन्य अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ़ गई है।

शिवपुरी के भेड़ फार्म पर अतिक्रमण, गौपालन के लिए किया जा सकता है इस्तेमाल

कोलारस विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत आने वाले पड़ोरा स्थित भेड़ फार्म की अधिकांश भूमि इस समय अतिक्रमण की जकड़ में है। कभी एशिया के नंबर 1 भेड़ फार्म के तौर पर जाना जाने वाला यह फार्म मात्र 197 एकड़ भूमि में सिमट गया है, जो इस समय पशुपालन विभाग के अधिपत्य में हैं। शेष सभी भूमि या तो राजस्व विभाग के कब्जे में चली गई है या फिर उद्योग विभाग और अन्य अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ़ गई है।

पशुपालन विभाग के डीडी रहे डॉ तमोरी के अनुसार यहां के आवासों पर भी अवैध कब्जे हैं । अब विभाग पर मात्र 197 एकड़ जमीन ही शेष है। कभी इस भेड़ फार्म में शामिल रही हजारों बीघा भूमि पर सुनियोजित ढंग से अतिक्रमण कर निजी तौर पर खेती करवाई जा रही है जिसके बंदरबांट में कई अधिकारी भी शामिल हैं। यह भूमि पूर्व में भेड़ फार्म को वन विभाग ने दी थी।

यहां भेड़ फार्म की स्थाई अन्य परिसंपत्तियां भी कब्जों की जकड़ में आ चुकी हैं, जिन पर असामाजिक तत्वों ने अपना आधिपत्य जमा लिया है। यहां जो कुछ हो रहा है वह प्रशासन की निगाह में होने के बावजूद खुलेआम चल रहा है। प्रशासन इस सरकारी भूमि पर खड़ी लहराती खेती की अनदेखी यूं ही नहीं कर रहा बल्कि अधिकारियों की मिलीभगत से ही यह सब कुछ चल रहा है।

भेड़ फार्म पर सैकड़ों क्वार्टर्स बने हुए थे जिनमें कर्मचारी अधिकारी निवास करते थे लेकिन जब ऑस्ट्रेलियन भेड़ें यहां से हटाई गई तो यह सभी भूमि और तमाम सारा स्ट्रक्चर असामाजिक तत्वों के हाथों में चला गया।

शहर के ही कुछ लोगों ने इस बेशकीमती भूमि को अपने कब्जे में लेकर यहां निजी गतिविधियों को शुरू किया है यह सिलसिला पिछले कई दशकों से चल रहा है और यह लोग अपने आप को इस भूमिका मालिक मानकर काम कर रहे हैं।

सरकारी आवासों को यहां प्राइवेट लोगों ने कब्जा लिया है, साथ ही साथ कई आवासों का साजो सामान यहां असामाजिक तत्व भर ले गए हैं। वेटरनरी डिपार्टमेंट के अधीन रही भूमि अब अघोषित तौर पर निजी भूमि में तब्दील हो चुकी है।

उद्योग विभाग को यहां की तमाम भूमि आवंटित कर दी गई है जहां गुपचुप साईलो केन्द्र चल रहा है। अतिक्रमण कारियों का दबदबा इस कदर है कि प्रशासन का कोई अधिकारी इनके प्रभाव क्षेत्र में दखल देने की हिम्मत नही कर पाता।

इस फार्म पर 20 साल पुराना कब्जा दर्शा कर इसे पट्टे में मिली भूमि बताने वाले कतिपय लोग धड़ल्ले से खेती कर रहे हैं, जबकि प्रशासन को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए. राजस्व के अधिकारियों की मिली भगत से प्रशासन द्वारा कोर्ट केस की दुहाई देकर मामले को रफ़ा दफ़ा कर दिया जाता है. सैंकड़ो हेक्टेयर भूमि के पट्टे कैसे किसी को प्रदाय किए जा सकते हैं यह अपने आप में सोचनीय सवाल है.

कुल मिलाकर सरकार अपनी ही सम्पति की रक्षा नहीं कर पा रही. इस भूमि का उपयोग शासन यदि वर्तमान में लावारिस गायों के पालन और उनके चारागाह के तौर पर करे तो जिले से ही नहीं बल्कि संभाग भर के गौधन को यहां आसरा मिल सकता है.

गौपालन के लिए भूमि का इस्तेमाल किया जाना चाहिए

शिवपुरी के भेड़ फार्म की भूमि गौपालन के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. यह भूमि विशाल है और इसमें गायों को चारा उगाया जा सकता है. साथ ही, यह भूमि गायों को रखने के लिए भी उपयुक्त है. भेड़ फार्म की भूमि का इस्तेमाल गौपालन के लिए करने से जिले में गायों की संख्या बढ़ेगी और गायों को बेहतर देखभाल मिलेगी.

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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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