भारत का एक राज्य जो कई महिनों से हिंसा की आग में जल रहा है। मनिपुर में मानवता को घुटनों के बल बैठाकर नंगा – नाच करवाया जा रहा है। सांप्रदायिक तनाव ने आपसी सोहार्द का कत्ल कर दिया है। लेकिन इसी बीच ऐसी खबर आ रही है, जो शायद नीरस वातावरण में कुछ हद तक मनोरंजन का रस घोल पाए।
मनिपुर में दो दशकों से ज्यादा समय के बाद पहली दफा किसी फिल्म की स्क्रीनिंग होने जा रही है। हिंदी फिल्म की स्क्रीनिंग करने की घोषणा जनजातिय समूह हमार स्टूडेंट्स एसोसिएशन(एच.एस.ए) ने की है। फिल्म की स्क्रीनिंग चुराचांदपर गांव के रेंगकाई में होगी। फिल्म की स्क्रीनिंग समूह ने स्वंत्रता दिवस के अवसर पर रखी है।
एच.एस.ए के अनुसार मनिपुर में इससे पहले फिल्म कुछ-कुछ होता की स्कीनिंग हुई थी। हालांकि कुछ फिल्मों की स्कीनिंग राज्य सरकार द्वारा इम्फाल में सीमित संख्या के लोगों के लिए की गई थी। समूह का कहना है कि वो मनिपुर के लोगों से इस संघर्ष में साथ देने की अपील करते है।
आपको बता दे कि मनिपुर में बॉलीवुड़ फिल्मों की स्कीनिंग पर 12 सितंबर 2000 से प्रतिबंद है, जिस कारण मनिपुर में किसी फिल्म की स्कीनिंग नहीं होती है। मनिपुर में टेरर ग्रुप हिंसा फैलाते रहते है।
आखिर क्यों है मनिपर में फिल्मों की स्कीनिंग पर प्रतिबंद
तो कहानी शुरु होती है साल 2000 से मनिपुर में एक प्रतिबंदित ग्रुप सक्रिय था। जो की मनिपुर को भारत से अलग करने की मांग कर रहा था। इस ग्रुप का नाम था रेवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट जो मनिपुर में हिंसात्मक स्थिति पैदा करने के लिए जाना जाता था। आरपीएफ ने 12 सितंबर 2000 को हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंद लगा दिया। संगठन का कहना था कि ये फिल्में समाज में अश्लीलता फेला रही है। प्रतिबंदित ग्रुप ने 6000 से 8000 ऑडियो और वीडियो कैसेट हिंदी फिल्मों की जला दी थी।