चित्रकूट सब दिन बसत, प्रभु सिय लखन समेत।राम नाम जप जाप कहि, तुलसी अभिमत देत॥

दुनिया में अनेकों पर्वत हैं जैसे हिमालय, हिंदूकुश, काराकोरम और सब पर्वतों का अपना एक अलग महत्त्व और विशेषता हैं परंतु इनमें सबसे सुंदर प्रतीत होता हैं चित्रकूट का कामदगिरि जो धनुष के आकार नुमा है, गोस्वामी तुलसीदास जी भी कहते हैं……

सीता और लक्ष्मण सहित प्रभु श्री राम चित्रकूट में सदा-सर्वदा निवास करते हैं। तुलसी कहते हैं कि वे राम-नाम का जप जपने वाले को इच्छित फल देते हैं।

कामद भे गिरि राम प्रसादा।
अवलोकत अपहरत बिषादा॥

कहते हैं जब भगवान राम को चौदह वर्षों का वनवास हुआ तो वो अपनी भार्या सीता एवं भ्राता लक्ष्मण के साथ चित्रकूट आए, वैसे तो भगवान राम ने चित्रकूट के अलग – अलग स्थानों पर निवास किया था, लेकिन सबसे अधिक समय उन्होंने कामदगिरि पर व्यतीत किया ।

दुनिया में अनेकों पर्वत हैं जैसे हिमालय, हिंदूकुश, काराकोरम और सब पर्वतों का अपना एक अलग महत्त्व और विशेषता हैं परंतु इनमें सबसे सुंदर प्रतीत होता हैं चित्रकूट का कामदगिरि जो धनुष के आकार नुमा है, गोस्वामी तुलसीदास जी भी कहते हैं……
विन्ध्य हिमाचल आदिक जेते, चित्रकूट जस गावहिं तेते ।

युग बीतते गए, संसार बदलता गया लेकिन जो नहीं बदला वो है इस पर्वत की आध्यात्मिक ऊर्जा ।

Kamadhgiri mandir

कामदगिरि की पूरी परिक्रमा पाँच किलोमिटर लंबी है, कामदगिरि का कुछ भाग उत्तर प्रदेश में और कुछ हिस्सा मध्य प्रदेश में आता है।

कामनाओं को पूर्ण करने वाले कामद नाथ जी की परिक्रमा करने का अपना विशेष महत्व है, कहते हैं जो सच्चे मन से भगवान कामद नाथ जी की परिक्रमा करता है, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसी आस्था एवं श्रद्धा के साथ हर वर्ष देश के कोने – कोने से लाखों श्रद्धालु आकर परिक्रमा करते हैं ।

इस पर्वत के चार मुख्य द्वार हैं और चारों द्वार अलग अलग दिशाओं में स्तिथ हैं ।
जिसमे से प्रथम द्वार अनादि श्री कामदनाथ जी का पूर्वी मुखारबिंद मंदिर हैं ।
दूसरा द्वार श्री कामधेनु माता का मुख्य द्वार हैं जिसे कामदनाथ जी का दक्षिण द्वार भी कहते हैं ।
तीसरे द्वार के प्रति लोगो अलग अलग मान्यता हैं ।
और चौथा द्वार हैं सरयूधारा ।

चार मुख्य द्वारों के अलावा कामदगिरि पर अनेकों मंदिर हैं और हर मंदिर की अपनी एक अलग गाथा हैं जैसे – बरहा हनुमान मंदिर, भरत मिलाप मंदिर, पीली कोठी, राम मोहल्ला और लक्ष्मण पहाड़ी भी कामदगिरी से जुड़ी हुई हैं ।

भरत मिलाप

अब अगर बात करे रामायण के सबसे मार्मिक प्रसंग की तो वो है भरत मिलाप और यह पर्वत भरत मिलाप का भी साक्षी हैं ।

भरत को अपने भाई राम के वनवास का ज्ञात नहीं था परंतु जैसे ही भरत को यह ज्ञात हुआ तब वे अपनी तीनों माताओ एवं पूरी आयोध्या के साथ भगवान राम को मनाने चित्रकूट आए थे ।

भरत मिलाप का जो मंदिर हैं वो पूरे भारत में चर्चित हैं, यह दो भाइयों के प्रेम कि ऐसी गाथा है जिस सुनकर सभी भावुक हो उठते हैं और बताते हैं जब राम और भरत का मिलन हुआ तब सभी की आखों में आंसू थे और ऐसा भी बताते हैं कि इन दोनों भाइयों के मिलने पर ऐसा करूणा दृश्य प्रकट हुआ की पत्थर ने भी अपनी जड़ता को त्याग सजीव होकर पिघल गए जिसका गवाह हैं यह भरत मंदिर ।

जब भगवान राम अयोध्या वापस जाने के लिए नहीं माने तो भरत अपने बड़े भाई की चरण पादुकाएँ लेकर रोते – रोते वापस जाने लगे तब उनको देख राम, लखन और जानकी भी भरत के वियोग में विलख रहे थे ।
यह थी चित्रकूट में स्तिथ कामदगिरि की गाथा

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Sushil Kumar
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