पीडीएस व्यवस्था ध्वस्त- गुलछर्रे उड़ा रहे है माफिया, गरीबों में राशन को लेकर मारामारी

राशन के लिए जुटी भीड़ का शर्मनाक नजारा।
  • माफियाओं की गिरफ्त में राशन और प्रशासन
  • माफियाओं की गिरफ्त में राशन और प्रशासन
  • राशन दुकान पर ग्रामीणों का हंगामा-खतौरा गांव में भीड़ को काबू करने पुलिस बुलानी पड़ी

शिवपुरी जिले में खाद्यान्न वितरण व्यवस्था बुरी तरह से ध्वस्त है प्रशासन इस ओर लेश मात्र भी गौर नहीं कर रहा। कोलारस अनुविभाग में तो स्थिति और भी बदतर है यहां ज्यादातर दुकानों पर सत्ताधारी दल के नजदीकी चेहरे काबिज हैं जो सत्ता की हनक में पीडीएस सिस्टम को पूरी तरह से बर्बाद करने से नहीं चूक रहे।

गत रोज कोलारस विधायक के ही गृह ग्राम खतौरा में राशन वितरण को लेकर हंगामा खड़ा हो गया बदरवास जनपद के खतौरा गांव में देरी से राशन मिलने से नाराज ग्रामीणों ने राशन की दुकान में हड़कंप मचा दिया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि पुलिस को बुलाना पड़ा।हुआ यह कि ग्रामीणों को राशन दुकान खुलने की सूचना मिली तो बड़ी संख्या में लोग राशन लेने पहुंच गए दरअसल लंबे समय से राशन न मिलने के कारण लोग राशन लेने उमड़ पड़े और भीड़ अनियंत्रित हो गई माहौल तनावपूर्ण हो गया। ग्रामीणों का आरोप है कि दुकान के सेल्समैन हरवेंद्र यादव जान बूझकर राशन वितरण में देरी कर रहे थे।

ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें पिछले तीन महीने से राशन नहीं मिला। स्थानीय लोगों के मुताबिक कई गरीब परिवारों को पिछले तीन महीने से राशन नहीं मिला हैए जिससे उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालात बिगड़ते देख इंदार थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में किया। वहीं सेल्समैन हरवेंद्र यादव का कहना है कि इस बार राशन वितरण में कुछ दिनों की देरी हुई थी जिसके कारण भीड़ एकत्र हो गई।घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें बड़ी संख्या में लोग राशन की दुकान पर जमा दिखाई दे रहे हैं। प्रशासन से मांग की जा रही है कि राशन वितरण व्यवस्था को सुचारू किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने। इस शर्मनाक परिदृश्य पर प्रशासन के अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक के मुंह से बोल नहीं फूट रहे। माफिया मुक्त प्रशासन की बात करने जैसे दावों का खोखलापन यहां रह रह कर उजागर हो रहा है।

Share this article >
Rahil Sharma
Rahil Sharma
Articles: 95

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from बेचैन नज़र

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading