सहरिया क्रांति ने 101 गाँवों में धूमधाम से मनाई बिरसा मुंडा जयंती
शिवपुरी । सहरिया क्रांति द्वारा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 101 गाँवों में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर ग्रामीणों ने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके क्रांतिकारी कार्यों को विस्तार से याद किया। उनकी वीरता और समाज सुधार के प्रयासों ने आज भी आदिवासी समाज को प्रेरणा देने का काम किया है।
डेंड़री गाँव में रात्रि चौपाल का आयोजन-
जयंती समारोह के तहत जनपद के डेंड़री गाँव में एक विशेष रात्रि चौपाल का आयोजन किया गया। सहरिया क्रांति द्वारा आयोजित इस महाचौपाल में 22 गाँवों के मुखियाओं ने भाग लिया। चौपाल में सामाजिक सुधार, आदिवासी अधिकारों और शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “भगवान बिरसा मुंडा केवल एक योद्धा नहीं थे, बल्कि वे आदिवासी समाज के लिए क्रांति और परिवर्तन के प्रतीक थे। आज हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलकर शिक्षा, स्वास्थ्य और नशा उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में काम करना होगा।”
नेताओं ने समाज सुधार का आह्वान किया-
सभा को संबोधित करने वालों में प्रदेश अध्यक्ष औतार भाई सहरिया, विजय भाई आदिवासी, अजय आदिवासी, संजू आदिवासी, नीलेश आदिवासी, और मोहरसिंह आदिवासी शामिल थे। सभी ने भगवान बिरसा मुंडा की शिक्षाओं पर आधारित सामाजिक सुधार और आदिवासी एकजुटता पर बल दिया।
औतार भाई सहरिया ने अपने संबोधन में कहा, “आज भी हमारे समाज को शिक्षा और सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है। बिरसा मुंडा ने अन्याय के खिलाफ जो लड़ाई लड़ी, वह आज भी हमें प्रेरित करती है। हमें उनकी जयंती को केवल उत्सव तक सीमित न रखते हुए इसे आदिवासी जागरूकता और सशक्तिकरण का माध्यम बनाना चाहिए।
सामाजिक सुधार के लिए नई पहल-
चौपाल में यह निर्णय लिया गया कि सहरिया क्रांति के नेतृत्व में आदिवासी समाज में व्याप्त नशे की लत और शिक्षा की कमी को दूर करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत युवाओं को नशामुक्त जीवन अपनाने और बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने का काम किया जाएगा। इस अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष को याद करते हुए उनके आदर्शों को आदिवासी समाज के हर वर्ग तक पहुँचाने का संकल्प लिया गया।
ग्रामीणों में उत्साह और एकजुटता-
डेंड़री गाँव की चौपाल में आए ग्रामीणों ने भी भगवान बिरसा मुंडा की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। सभा के दौरान लोकगीतों और परंपरागत नृत्य के माध्यम से उनकी वीरगाथाओं को जीवंत किया गया। गाँव के बुजुर्गों ने बिरसा मुंडा के संघर्षों की कहानियाँ सुनाई, जिससे युवाओं में नया जोश और प्रेरणा का संचार हुआ।महाचौपाल के अंत में सहरिया क्रांति ने यह घोषणा की कि आगामी वर्ष में बिरसा मुंडा की जयंती को और भी व्यापक स्तर पर मनाया जाएगा। साथ ही, आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए नियमित बैठकें और जागरूकता शिविर आयोजित किए जाएंगे। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती का यह उत्सव न केवल श्रद्धांजलि का अवसर था, बल्कि आदिवासी समाज को एकजुट करने और उनके अधिकारों की लड़ाई में नई ऊर्जा भरने का एक मंच भी बन गया।