-बरसात में खनन बंद तो डम्प चालू कर खेला जा रहा है खेल
-सेण्ड सिण्डीकेट के खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा प्रशासन
शिवपुरी में रेत माफिया, सत्ता और प्रशासन का एक सिण्डीकेट एनजीटी के नियमों से लेकर खनिज एक्ट के प्रावधानों तक पर भारी बैठ रहा है। कागजों में रेत का उत्खनन वर्षाकाल में बंद करने की तय व्यवस्था को धता बताकर जहां आज भी नदियों में से अवैध रेत खनन किया जा रहा है वहीं सिंध से लगे खेतों और मैदानों में रेत के पहाड़ खड़े कर डाले गए हैं। इस डम्प के पीछे यहां काम कर रही कम्पनी के साथ साथ क्षेत्र के नेता और दबंग भी सक्रिय हैं। प्रशासन इन सब से अनभिज्ञ हो ऐसा हो नहीं सकता इसलिए जाहिर है कि जानबूझकर इस भण्डारण की अनदेखी की जा रही है। जहां रेत के अवैध भण्डारण को पकड़ने का स्वांग किया भी जाता है तो यह कार्यवाही अज्ञात में की जाकर रेत माफिया के गुर्गों को सुपर्दगी में देने से लेकर उन्हें ही औने पौने दामों में नीलाम कर इसे वैध बनाया जाना कोई नई बात नहीं।
शिवपुरी के नरवर, करैरा, सीहोर, कल्याणपुर, बीजोर, चितारी, आदि क्षेत्रों में सुनहरी रेत का काला कारोबार कभी नहीं थमता। सत्ता की धमक के बीच रेत के इस काले कारोबार को देखें तो अकेले सीहोर क्षेत्र में करीब 6 लाख घनफीट रेत का विशाल पहाड़ डम्प की शक्ल में दिखाई दे रहा है। ऐसे डम्प इस सब डिवीजन के अलावा पिछोर, कोलारस में भी देखे जा सकते हैं। खनिज विभाग ने इस डम्प की परमीशन नहीं दी है ऐसे में यह रेत नजदीकी खदानों से अवैध रुप से खनित की जाकर अब बाजार में ऊंचे दामों में बेचे जाने की तैयारी है। सीधा सा फण्डा है कि बारिश में रेत का खनन बंद रखा जाता है तो इसकी रायल्टी प्रदाय करने का सवाल ही नहीं ऐसे में बिना रायल्टी के अब इन डम्प के मार्फत रेत का परिवहन सब दूर दिखाई देगा। रेत के कारोबार को यहां थानों से लेकर प्रशासन के दफ्तरों में दम से प्रश्रय मिल रहा है। हाल ही प्रशासन ने कुछ क्षेत्रों में अवैध डम्प पकड़ने का स्वांग किया है मगर यह सब दिखाने की कार्रवाई है, असल सच प्रशासन को भी पता है कि बड़े रेत डम्प कहां और किसके संरक्षण में चल रहे हैं।